उत्तरकाशी: सीमांत जनपद उत्तरकाशी में सड़क हादसों का बड़ा डरावना इतिहास रहा है. यहां घुमावदार संकरे मार्गों पर वाहन चालक की हल्की सी लापरवाही जानलेवा साबित होती है. 20 सितंबर 1995 को गंगोत्री हाईवे पर डबराणी के पास हुई बस दुर्घटना जिले के इतिहास की सबसे भीषण दुर्घटना थी. जिसमें 70 लोग काल के गाल में समा गए थे. ये वो समय था जब पहाड़ के दूर दराज के इलाकों में वाहनों की सुविधा बहुत कम थी. लोग बसों की छत पर बैठकर भी यात्रा करते थे.
इसके अलावा राज्य गठन के बाद से अब तक जिले में ऐसी कई घटनाएं हुई हैं. हर बार हादसा होने पर दुर्घटना के कारणों की पड़ताल के लिए मजिस्ट्रियल जांच करायी जाती है, लेकिन इसमें दिए गए सुझावों के अनुसार धरातल पर कोई कार्रवाई नहीं होती है. वहीं बढ़ते सड़क हादसों पर अंकुश नहीं लग पा रहा है. जिले में हुए कुछ हादसों की वजह सड़कों की बदहाली मानी जाती है. लेकिन अधिकांश दुर्घटनाओं का कारण तेज रफ्तार, ओवरलोडिंग और वाहन चालक की लापरवाही ही रहा है. हादसे जिसकी तस्दीक कर रहे हैं.
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जिले में ताजा सड़क हादसा: वहीं उत्तरकाशी में आज (28 अगस्त) नाल पट्टी के थानकी, भानी गांव से स्कूली बच्चे राजगढ़ी आते समय हादसे का शिकार हो गए. धराली गांव के पास स्कूली बच्चों से भरी यूटिलिटी वाहन अचानक पलट गया. हादसे में वाहन चालक सहित कुछ बच्चों को हल्की चोटें आई हैं. वहीं गनीमत रही कि बड़ी अनहोनी टल गई. बताया जा रहा है कि जैसे ही यूटिलिटी वाहन पलटा उसमें सवार बच्चों ने छलांग लगा दी, जिस कारण बच्चे चोटिल हो गए.
सड़क हादसों का बढ़ता ग्राफ: प्रदेश के पर्वतीय अंचलों में सड़क हादसों का ग्राफ दिनों दिन बढ़ता जा रहा है. पूर्व के हादसों में कई लोगों को अकाल मौत के गाल में समा गए हैं. पहाड़ों के संकरे मार्गों पर वाहन चलाना किसी चुनौती से कम नहीं होती है. ऐसा नहीं है कि यात्रा मार्ग पर सिर्फ छोटे वाहन ही दुर्घटनाग्रस्त हो रहे हैं, बल्कि बड़े वाहन भी दुर्घटनाग्रस्त हो रहे हैं. हादसों के बाद कुछ समय तक पुलिस-प्रशासन अभियान चलाकर हादसों को रोकने की कोशिश करता है, लेकिन मामला शांत होते ही पुलिस-प्रशासन की कार्रवाई सिफर रहती है.
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जानिए पहाड़ों पर हादसों के क्या हैं कारण: उत्तराखंड के हिल स्टेशनों में देश-विदेश से सैलानी घूमने आते हैं. लेकिन कई बार मैदानी क्षेत्रों के वाहन चालकों को पर्वतीय क्षेत्रों में वाहन चलाने का खास अनुभव नहीं होता है. ऐसे चालकों की हल्की सी चूक हादसे का कारण बन जाती है. जबकि पर्वतीय क्षेत्रों के वाहन चालकों के सामने ये समस्या तो नहीं आती है, लेकिन नींद की झपकी आना, ड्रिंक एंड ड्राइव, तेज रफ्तार, ओवरलोडिंग हादसों की वजह बनती रही है. क्योंकि पर्वतीय क्षेत्रों के चालक सवारियों के चक्कर में पर्याप्त नींद पूरी नहीं कर पाते हैं. जिससे हादसे का खतरा बना रहता है. वहीं संकरे मार्ग, मार्गों की खस्ताहाल स्थिति और अंधे मोड़ भी हादसों को दावत देते रहते हैं. इसके अलावा वाहन चलाते समय लापरवाही बरतना भी वाहन हादसों का एक मुख्य कारण होता है.
उत्तरकाशी जनपद में सड़क हादसे
- 20 सितंबर 1995 को डबराणी के पास बस गंगा भागीरथी में गिरने से 70 लोगों की मौत.
- 9 जुलाई 2006 को नालूपाणी में बस गिरने से 22 लोगों की मौत.
- 3 जुलाई 2008 को नाकुरी के पास बस गिरने से 13 लोगों की मौत.
- 21 जुलाई 2008 को सुक्की टॉप के पास बस गिरने से 14 लोगों की मौत.
- 4 जुलाई 2009 को भटवाड़ी गंगनानी के बीच बस गंगा भागीरथी में गिरने से 40 लोगों की मौत.
- 10 दिसंबर 2009 को नालूपाणी में टैक्सी वाहन भागीरथी नदी में गिरने से 12 लोगों की मौत.
- अगस्त 2010 को डबराणी के पास ट्रक खाई में गिरने से 27 कांवड़ यात्रियों की मौत.
- 23 मई 2017 को गंगोत्री हाईवे पर नालूपाणी के पास बस गिरने से 26 लोगों की मौत.
- 4 जून 2017 को गंगोत्री हाईवे पर हेलगूगाड के निकट टैक्सी भागीरथी नदी में गिरने से 12 लोगों की मौत.
- 20 अगस्त गंगोत्री हाईवे गंगनानी के पास पहाड़ी से बस गिरने पर 7 तीर्थ यात्रियों की मौत.