उत्तरकाशी: पुरोला के लाल धान की फसल अब गंगा घाटी में भी लहलहाने लगी है. लाल धान का उत्पादन केवल पुरोला के रामा और कमल सिरांई क्षेत्र तक ही सीमित था, लेकिन अब कृषि विभाग ने गंगा घाटी में भी लाल धान का उत्पादन शुरू करने की योजना बनाई है. जिसके तहत गंगा घाटी के काश्तकारों को लाल धान के बीज उपलब्ध कराए गए. जिसके बाद पांच महीने में ही इसके अच्छे परिणाम देखने को मिल रहे हैं.
60 क्विंटल लाल धान के बांटे गए थे बीज: हर साल करीब 19800 क्विंटल लाल धान का उत्पादन किया जाता है. इसकी पौष्टिकता और देश भर में इसकी मांग को देखते हुए पिछले साल कृषि विभाग ने गंगा घाटी के 200 हेक्टेयर क्षेत्र में इसका उत्पादन शुरू करने की योजना बनाई थी. जिसके तहत गंगा घाटी के भटवाड़ी, डुंडा और चिन्यालीसौड़ के करीब 35 से 40 गांवों में इसी साल मार्च-अप्रैल में पुरोला क्षेत्र के 60 क्विंटल लाल धान के बीच बांटे गए. जिनसे पांच माह में ही गंगा घाटी के बादसी, क्यारी, सैंज, तुल्याड़ा, टिपरी आदि गांवों में लाल धान की फसल लहलहाने लगी है.
लाल धान की खेती का ट्रायल रहा सफल: आत्मा(कृषि तकनीकी प्रबंधन संस्था) परियोजना के उप परियोजना निदेशक मनोज भट्ट ने बताया कि असींचित खेतों में लाल धान की फसल पक्कर तैयार हो गई हैं, जबकि सींचित खेतों में लाल धान की फसल दो से तीन माह में तैयार हो जाएगी. वहीं, मुख्य कृषि अधिकारी जेपी तिवारी ने बताया कि गंगा घाटी के गांवों में लाल धान की खेती का ट्रायल सफल रहा है. असींचित खेतों में इसकी कटाई भी शुरू हो गई है. उन्होंने कहा कि लाल धान की फसल करने से काश्तकारों की आजीविका बढ़ेगी. गुणवत्ता का पता लगाने के लिए इसकी टेस्टिंग भी कराई जाएगी.
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लाल धान के फायदें: लाल धान में आयरन, प्रोटीन, पोटैशियम, फाइबर के साथ-साथ एंटी ऑक्सीडेंट भरपूर मात्रा में होता है. यह दिल के साथ-साथ हड्डी, मोटापे और अस्थमा आदि बीमारियों के लिए आवश्यक होता है. यही वजह है कि सामान्य धान की तुलना में इसकी बाजार कीमत 120 रुपए से 150 रुपए किलो तक होती है.
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