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अद्भुत है ये तालाब! सीटी बजाओ तो उठते हैं बुलबुले, देखिए VIDEO - उत्तराखंड के रहस्यमयी स्थल

उत्तरकाशी में एक ऐसा तालाब है, जिसके पास खड़े होकर बोलने या कोई आवाज करने से तालाब के पानी में बुलबुले उठने लगते हैं. इस तालाब को मंगलाछु ताल (Manglachu taal of Uttarakashi) के नाम से जाना जाता है. यह तालाब मां गंगा के शीतकालीन प्रवास मुखबा से 6 किलोमीटर दूरी पर स्थित है.

Mangalachu Taal of Uttarkashi
उत्तरकाशी का मंगलाछु ताल
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Published : Aug 1, 2022, 4:57 PM IST

Updated : Aug 4, 2022, 1:13 PM IST

उत्तरकाशी: उत्तराखंड को उसकी खूबसूसरती की वजह से जाना जाता है और उसकी पहचान एक धर्मनगरी के तौर पर होती है. ऐसा इसलिए क्योंकि एक तरफ जहां पहाड़ों का सौंदर्य लोगों को अपनी ओर मोहित करता है वहीं, दूसरी तरफ पौराणिक कथाएं और रहस्यमयी चीजें लोगों को लुभाती हैं. ऐसा ही एक रहस्यमयी मंगलाछु ताल है, जो उत्तरकाशी में स्थित है. दरअसल, उत्तराखंड के उत्तरकाशी में रहस्यमयी मंगलाछु ताल (Manglachu taal of Uttarkashi) के आसपास आवाज निकालने और ताली, सीटी बजाते ही ताल में बुलबुले उठने लगते हैं.

यह एक रहस्यमयी ताल है, जहां हल्की सी भी आवाज निकालने ताली, सीटी बजाने पर ताल से पानी के बुलबुले उठने लगते हैं. यह ताल मां गंगा के शीतकालीन प्रवास मुखबा गांव से 6 किलोमीटर दूरी पर स्थित है. जिसे मंगलाछु ताल नाम से जाना जाता है. यह तालाब आज भी सभी के लिए रहस्य बना हुआ है. इसी गांव से मंगलाछु ताल के लिए रास्ता जाता है. छह किमी का यह ट्रैक फूलों से लकदक घाटी के बीच से होकर गुजरता है. मुखबा गांव से चार किलोमीटर की दूरी पर बुग्यालों में नागणी नाम का स्थान पड़ता है. नागणी से 2 किलोमीटर की दूरी पर 200 मीटर के दायरे में फैला यह ताल है.
पढ़ें: विश्व विख्यात भगवान मदमहेश्वर धाम पहुंच रहे भक्त, देखते ही बन रही सुंदरता

200 मीटर के दायरे में फैले मंगलाछु ताल को लेकर कई मान्यताएं हैं. इस ताल की सबसे बड़ी खूबी ये है कि यहां किनारे खड़े होकर अगर आप ताली, सीटी बजाएंगे या आपस में बात करेंगे, तो इस ताल के पानी में बुलबुले उठने शुरू हो जाते हैं. इसके पीछे क्या रहस्य है, इसका आज तक पता नहीं चला है. इस खूबसूरत ताल को सोमेश्वर देवता का ताल (someshwar devta taal) कहा जाता है. जब स्थानीय लोग हिमाचल प्रदेश के कुल्लू से सोमेश्वर देवता को मंगलाछु लाए थे, तो उसी दौरान सोमेश्वर देवता की डोली का स्नान इस ताल में कराया गया था.

मान्यता यह भी है कि बारिश ना होने पर स्थानीय लोग इस ताल में आकर पूजा अर्चना करते हैं. मुखबा गांव के तीर्थ पुरोहित का कहना है कि यह ताल पवित्र है. अगर यहां पर कोई अशुद्धता करता है तो काफी अतिवृष्टि का सामना लोगों को करना पड़ता है. मुखवा गांव के युवा सरकार से ताल के रास्ते में पड़ने वाले ट्रेक को विकसित करने की मांग कर रहे हैं. क्योंकि यहां का दृश्य बहुत ही रोमांचक होता है और इन वादियों से मन को शांति मिलती है. चारों ओर बर्फ से लदी हिमालय की चोटियां देश-विदेश से आये पर्यटकों को बहुत आकर्षित करती हैं. मुखबा के लोगों का मानना है कि यहां का दृश्य और ताल देखने के लिए बहुत से ट्रेकर्स आते हैं.

उत्तरकाशी: उत्तराखंड को उसकी खूबसूसरती की वजह से जाना जाता है और उसकी पहचान एक धर्मनगरी के तौर पर होती है. ऐसा इसलिए क्योंकि एक तरफ जहां पहाड़ों का सौंदर्य लोगों को अपनी ओर मोहित करता है वहीं, दूसरी तरफ पौराणिक कथाएं और रहस्यमयी चीजें लोगों को लुभाती हैं. ऐसा ही एक रहस्यमयी मंगलाछु ताल है, जो उत्तरकाशी में स्थित है. दरअसल, उत्तराखंड के उत्तरकाशी में रहस्यमयी मंगलाछु ताल (Manglachu taal of Uttarkashi) के आसपास आवाज निकालने और ताली, सीटी बजाते ही ताल में बुलबुले उठने लगते हैं.

यह एक रहस्यमयी ताल है, जहां हल्की सी भी आवाज निकालने ताली, सीटी बजाने पर ताल से पानी के बुलबुले उठने लगते हैं. यह ताल मां गंगा के शीतकालीन प्रवास मुखबा गांव से 6 किलोमीटर दूरी पर स्थित है. जिसे मंगलाछु ताल नाम से जाना जाता है. यह तालाब आज भी सभी के लिए रहस्य बना हुआ है. इसी गांव से मंगलाछु ताल के लिए रास्ता जाता है. छह किमी का यह ट्रैक फूलों से लकदक घाटी के बीच से होकर गुजरता है. मुखबा गांव से चार किलोमीटर की दूरी पर बुग्यालों में नागणी नाम का स्थान पड़ता है. नागणी से 2 किलोमीटर की दूरी पर 200 मीटर के दायरे में फैला यह ताल है.
पढ़ें: विश्व विख्यात भगवान मदमहेश्वर धाम पहुंच रहे भक्त, देखते ही बन रही सुंदरता

200 मीटर के दायरे में फैले मंगलाछु ताल को लेकर कई मान्यताएं हैं. इस ताल की सबसे बड़ी खूबी ये है कि यहां किनारे खड़े होकर अगर आप ताली, सीटी बजाएंगे या आपस में बात करेंगे, तो इस ताल के पानी में बुलबुले उठने शुरू हो जाते हैं. इसके पीछे क्या रहस्य है, इसका आज तक पता नहीं चला है. इस खूबसूरत ताल को सोमेश्वर देवता का ताल (someshwar devta taal) कहा जाता है. जब स्थानीय लोग हिमाचल प्रदेश के कुल्लू से सोमेश्वर देवता को मंगलाछु लाए थे, तो उसी दौरान सोमेश्वर देवता की डोली का स्नान इस ताल में कराया गया था.

मान्यता यह भी है कि बारिश ना होने पर स्थानीय लोग इस ताल में आकर पूजा अर्चना करते हैं. मुखबा गांव के तीर्थ पुरोहित का कहना है कि यह ताल पवित्र है. अगर यहां पर कोई अशुद्धता करता है तो काफी अतिवृष्टि का सामना लोगों को करना पड़ता है. मुखवा गांव के युवा सरकार से ताल के रास्ते में पड़ने वाले ट्रेक को विकसित करने की मांग कर रहे हैं. क्योंकि यहां का दृश्य बहुत ही रोमांचक होता है और इन वादियों से मन को शांति मिलती है. चारों ओर बर्फ से लदी हिमालय की चोटियां देश-विदेश से आये पर्यटकों को बहुत आकर्षित करती हैं. मुखबा के लोगों का मानना है कि यहां का दृश्य और ताल देखने के लिए बहुत से ट्रेकर्स आते हैं.

Last Updated : Aug 4, 2022, 1:13 PM IST
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