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उत्तरकाशी की फिजाओं में घुल रहा नशे का जहर, बढ़ता जा रहा हुक्के का चलन

इन दिनों हुक्का युवाओं के बीच एक स्टेट्स सिंबल का रूप लेता जा रहा है. रेस्टोरेंट और विवाह समारोहों में भी अब हुक्के का प्रचलन बढ़ता जा रहा है. धीरे-धीरे हुक्के का ये प्रचलन मैदानी इलाकों से निकलकर पहाड़ों में भी बढ़ने लगा है.

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उत्तरकाशी की साफ हवाओं में घोला जा रहा जहर
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Published : Feb 3, 2020, 5:57 PM IST

उत्तरकाशी: जनपद की शुद्ध और साफ हवाओं में अब स्मैक और हुक्के के धुंए का जहर घुल चुका है. आम तौर पर शांत माने जाने वाले उत्तरकाशी में भी मिनी हुक्के का प्रचलन बढ़ रहा है. जिसके कारण यहां की साफ हवा जहरीली हो रही है. शहर की शांत जगहों जैसे नदी किनारे या सुनसान जगहों पर लोग हुक्के का इस्तेमाल करते नजर आ रहे हैं. इतना ही नहीं कुछ लोग इस हुक्के से स्मैक आदि का भी नशा कर रहे हैं.

दिल्ली-एनसीआर और राजधानी से निकलकर हुक्के का चलन पहाड़ों में भी बढ़ने लगा है. यहां कॉलेज और स्कूल जाने वाले युवा हुक्के के धुएं से घिरे हुए नजर आ रहे हैं. बात अगर उत्तरकाशी की करें तो यहां के सुनसान इलाकों में मिनी हुक्का बार का प्रचलन बढ़ रहा है. जहां 15 से 20 साल के बीच के युवा इस नशे की गिरफ्त में घिरते दिख रहे हैं.

उत्तरकाशी की साफ हवाओं में घोला जा रहा जहर

पढ़ें-रामनगर के गोजानी गांव पहुंचा ईटीवी भारत, बजट पर जानी लोगों की राय

हालांकि उत्तरकाशी में पुलिस की ओर से नशे के खिलाफ लगातार अभियान चला जा रहा है. लेकिन ये मिनी हुक्का बार अभी पुलिस की पहुंच से दूर है. समय रहते अगर इस नशे के कारोबार को नहींं रोका गया तो वह दिन दूर नहीं जब पहाड़ की जवानी इस जहर में घुल कर पूरी तरह तबाह हो जाएगी.

उत्तरकाशी: जनपद की शुद्ध और साफ हवाओं में अब स्मैक और हुक्के के धुंए का जहर घुल चुका है. आम तौर पर शांत माने जाने वाले उत्तरकाशी में भी मिनी हुक्के का प्रचलन बढ़ रहा है. जिसके कारण यहां की साफ हवा जहरीली हो रही है. शहर की शांत जगहों जैसे नदी किनारे या सुनसान जगहों पर लोग हुक्के का इस्तेमाल करते नजर आ रहे हैं. इतना ही नहीं कुछ लोग इस हुक्के से स्मैक आदि का भी नशा कर रहे हैं.

दिल्ली-एनसीआर और राजधानी से निकलकर हुक्के का चलन पहाड़ों में भी बढ़ने लगा है. यहां कॉलेज और स्कूल जाने वाले युवा हुक्के के धुएं से घिरे हुए नजर आ रहे हैं. बात अगर उत्तरकाशी की करें तो यहां के सुनसान इलाकों में मिनी हुक्का बार का प्रचलन बढ़ रहा है. जहां 15 से 20 साल के बीच के युवा इस नशे की गिरफ्त में घिरते दिख रहे हैं.

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हालांकि उत्तरकाशी में पुलिस की ओर से नशे के खिलाफ लगातार अभियान चला जा रहा है. लेकिन ये मिनी हुक्का बार अभी पुलिस की पहुंच से दूर है. समय रहते अगर इस नशे के कारोबार को नहींं रोका गया तो वह दिन दूर नहीं जब पहाड़ की जवानी इस जहर में घुल कर पूरी तरह तबाह हो जाएगी.

Intro:उत्तरकाशी। उत्तरकाशी की शुद्ध हवाओं में भी अब स्मैक और हुक्के के धुंए का जहर घुल चुका है। आम तौर पर शांत माने जाने वाले शहर उत्तरकाशी में भी मिनी हुक्का बार का प्रचलन चल पड़ा है। इस हुक्का बार मे अमूमन तीन से चार लोग पार्टनर होता है। जो कि नदी किनारे या सुनसान स्थानों पर अपना एक छोटा सा हुक्का खरीदकर स्मैक आदि का नशा करते हैं। दुर्भाग्य कि इस नशे के पकड़ में सबसे ज्यादा स्कूली बच्चों का भविष्य खराब हो रहा है। उड़ता उत्तरकाशी पर Etv Bharat की exclusive रिपोर्ट।Body:वीओ-1, आम तौर पर तीन से चार छात्र या युवा,जो कि आपस मे पैसा मिलाकर छोटा हुक्का खरीदते हैं और उसके बाद इसे लेकर नदी के किनारे सुनसान स्थानों या जंगलों में शुरू होता है। मिनी हुक्का बार,जहां नशा बेचने वाले भी स्वयं होते हैं और लेने वाले भी स्वयं। जी हां हम बात कर रहे हैं उड़ते उत्तरकाशी की। जहां पर मिनी हुक्का बार का प्रचलन अब सुनसान इलाको में शुरू हो चुका है। 15 से 20 वर्ष के बीच के किशोर और युवा इस नशे की गिरफ्त में बहुत बुरी तरह घिर चुके हैं।Conclusion:वीओ-2, हालांकि पुलिस की और से स्मैक को लेकर अभियान चला जा रहा है। लेकिन पुलिस अभी इन मिनी हुक्का बारों को रोकने में कामयाब नहीं हो पाई है। जहाँ पर स्कूली बच्चे इस नशे की गिरफ्त में आकर अपने भविष्य के साथ अपने हाथों से ही खिलवाड़ कर रहे हैं। वहीं अगर समय रहते इस नशे के कारोबार को नहीं रोका गया। तो वह दिन दूर नहीं जब पहाड़ की जवान हवा इस जहर के घुलने से पूरी तरह तबाह हो जाएगी। बाईट- पंकज भट्ट,एसपी उत्तरकाशी।
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