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आग से धधक रहे हर्षिल घाटी के जंगल, वन संपदा हो रही खाक - हर्षिल घाटी उत्तरकाशी

सर्दियों के आगाज के साथ ही एक बार फिर हर्षिल घाटी में जंगल धधकने लगे हैं. जिससे अमूल्य वन संपदा को भारी नुकसान पहुंच रहा है. अगर समय रहते आग पर काबू नहीं पाया गया तो ये आग रिहायशी इलाकों तक पहुंच सकती है.

Harsheel Valley
हर्षिल घाटी
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Published : Oct 28, 2020, 6:32 PM IST

Updated : Oct 28, 2020, 7:27 PM IST

उत्तरकाशी: जहां एक ओर प्रदेश में फायर सीजन के दौरान दावानल की घटनाएं देखने को मिली थीं, वहीं अब सर्दियों के आगाज के साथ ही एक बार फिर हर्षिल घाटी में जंगल धधकने लगे हैं. जिससे अमूल्य वन संपदा को भारी नुकसान पहुंच रहा है. अगर समय रहते आग पर काबू नहीं पाया गया तो ये आग रिहायशी इलाकों तक पहुंच सकती है.

आग से धधक रहे हर्षिल घाटी के जंगल.

स्थानीय लोगों से मिली जानकारी के अनुसार हर्षिल घाटी के जालंधरी नदी के आसपास के जंगलों और क्यारकुटी ट्रैक पर जंगल एक बार फिर धधकने लगे हैं. गंगोत्री रेंज के अंतर्गत इन जंगलों में देवदार, थुनेर जैसी बहुमूल्य वन संपदा है, लेकिन उसके बाद भी वन विभाग इन ऊंचाई वाले इलाकों में आग पर काबू नहीं कर पा रहा है. स्थानीय लोगोंं का कहना है कि अगर ऐसी ही स्थिति रहती है तो जल्द ही यह आग बस्ती तक भी पहुंच सकती है.

पढ़ें: परिवार के साथ खिर्सू के होमस्टे 'बासा' पहुंच रहे पर्यटक

आपको बता दें कि, अभी तीन दिन पूर्व मुख्य वन संरक्षक गढ़वाल सुशांत पटनायक ने गंगोत्री और हर्षिल घाटी में निरीक्षण किया था. जहां पर हर्षिल घाटी पर्यटन समिति और स्थानीय जनप्रतिनिधियों ने उनके सामने हर्षिल घाटी में वनाग्नि की समस्या और उसको बुझाने के लिए ड्रोन आदि के प्रयोग की मांग की थी. लेकिन उसके बाद अभी हर्षिल घाटी के जंगलों में आग लगातार जारी है. डीएफओ संदीप कुमार का कहना है कि हर्षिल घाटी में वनाग्नि की सूचना पर जल्द ही विभागीय कर्मचारियों द्वारा आग पर काबू पाने के लिए अभियान शुरू किया जाएगा.

उत्तरकाशी: जहां एक ओर प्रदेश में फायर सीजन के दौरान दावानल की घटनाएं देखने को मिली थीं, वहीं अब सर्दियों के आगाज के साथ ही एक बार फिर हर्षिल घाटी में जंगल धधकने लगे हैं. जिससे अमूल्य वन संपदा को भारी नुकसान पहुंच रहा है. अगर समय रहते आग पर काबू नहीं पाया गया तो ये आग रिहायशी इलाकों तक पहुंच सकती है.

आग से धधक रहे हर्षिल घाटी के जंगल.

स्थानीय लोगों से मिली जानकारी के अनुसार हर्षिल घाटी के जालंधरी नदी के आसपास के जंगलों और क्यारकुटी ट्रैक पर जंगल एक बार फिर धधकने लगे हैं. गंगोत्री रेंज के अंतर्गत इन जंगलों में देवदार, थुनेर जैसी बहुमूल्य वन संपदा है, लेकिन उसके बाद भी वन विभाग इन ऊंचाई वाले इलाकों में आग पर काबू नहीं कर पा रहा है. स्थानीय लोगोंं का कहना है कि अगर ऐसी ही स्थिति रहती है तो जल्द ही यह आग बस्ती तक भी पहुंच सकती है.

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आपको बता दें कि, अभी तीन दिन पूर्व मुख्य वन संरक्षक गढ़वाल सुशांत पटनायक ने गंगोत्री और हर्षिल घाटी में निरीक्षण किया था. जहां पर हर्षिल घाटी पर्यटन समिति और स्थानीय जनप्रतिनिधियों ने उनके सामने हर्षिल घाटी में वनाग्नि की समस्या और उसको बुझाने के लिए ड्रोन आदि के प्रयोग की मांग की थी. लेकिन उसके बाद अभी हर्षिल घाटी के जंगलों में आग लगातार जारी है. डीएफओ संदीप कुमार का कहना है कि हर्षिल घाटी में वनाग्नि की सूचना पर जल्द ही विभागीय कर्मचारियों द्वारा आग पर काबू पाने के लिए अभियान शुरू किया जाएगा.

Last Updated : Oct 28, 2020, 7:27 PM IST
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