ETV Bharat / state

अपने मायके में ही दूषित हो रही मोक्षदायिनी, नमामि गंगे प्रोजेक्ट को लग रहा पलीता

इसे दुर्भाग्य ही कहा जाएगा, जहां नमामि गंगे और गंगा स्वच्छता के नाम करोड़ों रुपए की योजनाएं फाइलों में तो चल रही है, लेकिन धरातल पर उनका असर शून्य दिखाई दे रही है.

नमामि गंगे प्रोजेक्ट की हालत
author img

By

Published : Apr 20, 2019, 10:55 PM IST

उत्तरकाशी: चारधाम यात्रा के दौरान मां गंगा के दर्शन के लिए हर साल लाखों श्रद्धालु उत्तरकाशी पहुंचते हैं. यहां श्रद्धालु गंगा के निर्मल जल में स्नान करने के साथ उसका आचमन भी करते है. लेकिन इसे शासन और प्रशासन की सुस्ती कहे या फिर लापरवाही गंगा अपने मायके में ही दूषित होती जा रही है. ईटीवी भारत की टीम ने गंगा स्वच्छता अभियान के नाम चल रही योजनाओं की जमीनी पड़ताल की.

नमामि गंगे प्रोजेक्ट की हालत

पढ़ें- रोहित शेखर तिवारी मौत मामला: रहस्य से उठने लगा पर्दा, अगल-अलग कमरों में सोते थे पति-पत्नी

इसे दुर्भाग्य ही कहा जाएगा, जहां नमामि गंगे और गंगा स्वच्छता के नाम करोड़ों रुपए की योजनाएं फाइलों में तो चल रही है, लेकिन धरातल पर उनका असर शून्य दिखाई दे रही है. क्योंकि जिला मुख्यालय में शहर के बीचों-बीच भागीरथी नदी में करीब 10 छोटे-बड़े नाले ऐसे हैं, जो सीधे गंगा में गिर रहे हैं. हालात ये ही सबके लिए जीवनदायिनी गंगा आज स्वच्छ जीवन मांगने को मजबूर हो गई है.

पढ़ें- चारधाम यात्रा बनी पुलिस के लिए चुनौती, DGLO ने कहा - चुनाव की वजह से यात्रा को नहीं होने देंगे प्रभावित

गंगा में गिरने वाले ये सभी नाले घाटों से मात्र 10 से 20 मीटर की दूरी पर स्थित है. जहां रोज हजारों श्रद्धालु स्नान और शिवालयों के लिए गंगा जल ले आते है. ये स्थिति तब है जब सरकार गंगा को स्वच्छ और निर्मल बनाने के लिए करोड़ों रुपए की योजनाएं चला रही है. लेकिन हकीकत में ये योजनाएं धरातल पर उतरती हुई नहीं दिख रही है. इससे तो यही लगता है कि गंगा स्वच्छता के नाम पर लाखों लोगों की भावनाओं के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है.

उत्तरकाशी: चारधाम यात्रा के दौरान मां गंगा के दर्शन के लिए हर साल लाखों श्रद्धालु उत्तरकाशी पहुंचते हैं. यहां श्रद्धालु गंगा के निर्मल जल में स्नान करने के साथ उसका आचमन भी करते है. लेकिन इसे शासन और प्रशासन की सुस्ती कहे या फिर लापरवाही गंगा अपने मायके में ही दूषित होती जा रही है. ईटीवी भारत की टीम ने गंगा स्वच्छता अभियान के नाम चल रही योजनाओं की जमीनी पड़ताल की.

नमामि गंगे प्रोजेक्ट की हालत

पढ़ें- रोहित शेखर तिवारी मौत मामला: रहस्य से उठने लगा पर्दा, अगल-अलग कमरों में सोते थे पति-पत्नी

इसे दुर्भाग्य ही कहा जाएगा, जहां नमामि गंगे और गंगा स्वच्छता के नाम करोड़ों रुपए की योजनाएं फाइलों में तो चल रही है, लेकिन धरातल पर उनका असर शून्य दिखाई दे रही है. क्योंकि जिला मुख्यालय में शहर के बीचों-बीच भागीरथी नदी में करीब 10 छोटे-बड़े नाले ऐसे हैं, जो सीधे गंगा में गिर रहे हैं. हालात ये ही सबके लिए जीवनदायिनी गंगा आज स्वच्छ जीवन मांगने को मजबूर हो गई है.

पढ़ें- चारधाम यात्रा बनी पुलिस के लिए चुनौती, DGLO ने कहा - चुनाव की वजह से यात्रा को नहीं होने देंगे प्रभावित

गंगा में गिरने वाले ये सभी नाले घाटों से मात्र 10 से 20 मीटर की दूरी पर स्थित है. जहां रोज हजारों श्रद्धालु स्नान और शिवालयों के लिए गंगा जल ले आते है. ये स्थिति तब है जब सरकार गंगा को स्वच्छ और निर्मल बनाने के लिए करोड़ों रुपए की योजनाएं चला रही है. लेकिन हकीकत में ये योजनाएं धरातल पर उतरती हुई नहीं दिख रही है. इससे तो यही लगता है कि गंगा स्वच्छता के नाम पर लाखों लोगों की भावनाओं के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है.

Intro:हेडलाइन- गंगा में गिर रहे नाले।(रियलिटी चेक)।। Slug- Uk_uttarkashi_vipin negi_'reality chek'ganga cleanness_20 april 2019. उत्तरकाशी। चारधाम यात्रा के दौरान माँ गंगा के दर्शन के लिए लाखों श्रद्धालु उत्तरकाशी पहुंचते हैं। देश विदेश से आने वाला यात्री पवित्र और स्वच्छ गंगा के भाव लेकर यहां पर आता है। लेकिन दुर्भाग्य की गंगा अपने मायके में ही दूषित हो रही है। नमामि गंगे और गंगा स्वच्छ्ता की अन्य योजनाओं के नाम पर करोड़ो खर्च हो रहे हैं। लेकिन उन करोड़ो का बजट मात्र फाइलों में ही बन रहा है। क्योंकि धरातल पर कुछ और ही नजर आ रहा है। जिला मुख्यालय के शहर के बीचों बीच भागीरथी नदी में करीब 10 छोटे बड़े नाले ऐसे हैं। जो कि सीधा गंगा में गिर रहे हैं। जिससे कि जीवनदायिनी गंगा की आज अपने लिए ही स्वच्छ जीवन मांगने को मजबूर हो गई है। etv bharat की टीम ने गंगा स्वच्छ्ता को लेकर शहर में वास्तविकता को जाना। etv bharat की रियलिटी चेक रिपोर्ट।


Body:वीओ-1, उत्तरकाशी को गंगा का मायका माना जाता है। आज दुर्भाग्य की गंगा मायके में ही अपमानित हो रही है। हम जिला मुख्यालय की बात करें,जहां हर रोज गंगा स्वच्छता को लेकर योजनाओ का क्रियान्वयन और समीक्षा बैठकें होती हैं। लेकिन मुख्यालय के मुख्य शहर में ही जिला प्रशासन की आंखों के सामने ही गंगा दूषित हो रही है। प्रत्यक्ष रूप से तिलोथ पुल के समीप करीब 10 छोटे बड़े सीवरेज और घरों से निकलने वाले नाले ऐसे हैं। जिनका गन्दा पानी रोज भागीरथी में जा रहा है। इन्हीं नालों से बमुश्किल 10 मीटर की दूरी पर बने घाट से हर रोज सैकड़ो श्रद्धालु गंगा जल पूजा और शिवालयों के लिए भरते हैं। जो कि गंगा स्वच्छ्ता की हकीकत को रोज बयां कर रही है।


Conclusion:वीओ-2, करोड़ो लोगों को जीवन देने वाली जीवनदायनी शासन प्रशासन की लापरवाही के चलते आज अपने मायके में ही स्वच्छ जीवन की मांग कर रही है। लेकिन दुर्भाग्य की बड़े बड़े कार्यलयों में बैठे अधिकारी और गंगा स्वच्छ्ता के लिए जिम्मेदार विभाग लाखों करोड़ों की योजनाओं के बोर्ड तो सड़क किनारे लगा रहे हैं। लेकिन इन बोर्ड की हकीकत इनके पीछे ही मुंह खोले खड़ी है। इससे तो यही लगता है कि या तो गंगा स्वच्छता के नाम पर लाखों लोगों की भावनाओ के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है। या तो गंगा एक दुधारू गाय बन कर रह गयी है। कि जब तक योजनाएं बन रही हैं। तब तक बंद कमरों में बैठक कर गंगा की सफाई की बात की जाए। उसके बाद गंगा में कितने गन्दे नाले जाते हैं। इसका हिसाब रखने वाला कोई नहीं। बाईट- स्थानीय निवासी,उत्तरकाशी।
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.