उत्तरकाशी: देशभर में लोगों पर होली का खुमार चढ़ा हुआ है. होली का ऐसा ही कुछ उत्साह उत्तराखंड में भी देखने को मिल रहा है. उत्तराखंड में काशी के नाम से मशहूर उत्तरकाशी के काशी विश्वनाथ मंदिर में भस्म से होली खेली गई. काशी विश्वनाथ मंदिर में पिछले 10 सालों से भस्म होली खेली जा रही है.
मंदिर में साल भर होने वाले यज्ञों की भस्म को स्थानीय निवासी एक दूसरे पर लगाने के साथ ही प्रसाद के रूप में घर भी ले जाते हैं. होली के पावन पर्व पर इस वर्ष भी काशी विश्वनाथ मंदिर में उज्जैन के महाकाल मंदिर की तर्ज पर भस्म की होली खेली गई. बड़ी संख्या में श्रद्धालु विश्वनाथ मंदिर पहुंचे. यहां विश्वनाथ की विशेष पूजा-अर्चना के बाद भस्म से होली खेली गई और श्रद्धालुओं ने ढोल-नगाड़ों पर जमकर नृत्य किया.
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काशी विश्वनाथ मंदिर के महंत अजय पुरी बताते हैं कि भस्म की होली प्राकृतिक होली को भी बढ़ावा देती है. वर्तमान में होली के रंगों के केमिकल का प्रयोग किया जाता है, जिससे त्वचा को नुकसान होता है. यज्ञ की भस्म एवं भभूत पूर्ण रूप से प्राकृतिक है. स्थानीय लोग भस्म की होली मे खूब रुचि दिखा रहे हैं.
वहीं, संवेदना समूह के होली मिलन कार्यक्रम में अबीर गुलाल के रंग उड़ने के साथ ही होली के गीतों की धूम रही. नगर में घूमती होल्यारों की टोलियों ने लोगों को रंग लगाकर होली की शुभकामनाएं दी. हनुमान चौक पर संवेदना समूह एवं चौक के व्यापारियों की ओर से होली मिलन कार्यक्रम आयोजित किया गया.
इस मौके पर समूह के कलाकारों ने ऐगी फागुन को त्योहार, खेला होली, भर पिचकारी रंग डारो रे आदि होली के गीतों से रंग जमा दिया. कार्यक्रम में शामिल लोगों ने एक दूसरे को अबीर गुलाल लगाकर होली की शुभकामनाएं दी. देर शाम को नगर के हनुमान चौक पर संवेदना समूह एवं स्थानीय व्यापारियों की ओर से होलिका दहन किया जाएगा.
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