ETV Bharat / state

तीन घटनाओं ने बदल दी बछेंद्री पाल की जिंदगी, संघर्षों से लड़ते हुए फतह की थी एवरेस्ट की चोटी

एवरेस्ट चोटी को फतह करने वाली विश्व की पहली महिला बछेंद्री पाल ने भंकोली गांव में राजकीय इंटर कॉलेज के छात्रों से मुलाकात की. इस दौरान उन्होंने कई महिलाओं और छात्राओं को गौरव सम्मान से सम्मानित किया.

पद्मश्री बछेंद्री पाल.
author img

By

Published : May 3, 2019, 11:23 PM IST

उत्तरकाशी: पद्मश्री बछेंद्री पाल के जीवन की कहानी किसी फिल्मी स्टोरी से कम नहीं है. फिल्मों में हीरो एक छोटे से परिवार से उठकर, समाज से लड़कर एक मुकाम को हासिल करते हैं. कुछ ऐसी ही कहानी है एवरेस्ट चोटी को फतह करने वाली विश्व की पहली महिला बछेंद्री पाल की. बछेंद्री पाल ने गुरुवार को आपदा प्रभावित अस्सी गंगा के भंकोली गांव में राजकीय इंटर कॉलेज के छात्रों से मुलाकात की. इस दौरान उन्होंने अपने संघर्ष के दिनों की तीन घटनाओं को साझा किया, जिसने उनका पूरा जीवन बदल दिया.

जानकारी देते शम्भू प्रसाद नौटियाल.

राजकीय इंटर कॉलेज भंकोली में एवरेस्ट फतह करने वाली बछेंद्री पाल ने कहा कि बीए करने के बाद उन्हें देहरादून से ही एमए करना था. लेकिन उनके परिवार के पास पैसे नहीं थे, जिस बात से वो काफी निराश थीं. फिर एक दिन उनके पिता ने कहा, जाओ देहरादून से एमए करो. लेकिन, पिता ने यह नहीं बताया कि पैसे कहां से आयेगा. बछेंद्री पाल ने बताया कि उन्हें बाद में पता चला कि उनकी मां ने 'तेमन्या' (पहाड़ी महिलाओं का मंगलसूत्र) को बेच दिया था. बिछेंद्री पाल ने बताया कि उनकी मां के इस त्याग ने ही उनका पूरा जीवन बदल दिया था.

पढ़ें- CBSE रिजल्ट: उत्तरकाशी की सोफिया ने हासिला किया देश में चौथा स्‍थान, अर्थशास्त्री बनना है सपना

बछेंद्री पाल ने बताया कि जब उन्हें पर्वतारोहण का शौक चढ़ा तब वो नाकुरी से रेणुका मन्दिर तक रोज चढ़ती थीं. वो चढ़ाई के दौरान एक पत्थर मंदिर के पास रखकर आती थीं और वापसी में वहां से घास लाती थीं. जिससे मां को न लगे कि उनकी बेटी अपना समय बर्बाद कर रही है. पाल ने बताया कि जब वो पर्वतरोहण करने लगीं तो मां ने कहा, बेटी लोग क्या कहेंगे? एमए करवाने के बाद भी बेटी ऐसा काम कर रही है. बछेंद्री पाल ने बताया कि उस दौरान उसने मां से कहा था लोगों को क्या है, एक दिन वो खुद आएंगे और बधाई देंगे. आज वही वक्त चल रहा है.

बता दें कि भकोली गांव के इंटर कॉलेज ने एवरेस्ट विजेता पूनम राणा, 2013 की आपदा की जांबाज ममता रावत, पर्वतारोही राधा रावत और संतोषी को भी राजकीय इंटर कॉलेज भकोली गौरव सम्मान से सम्मानित किया.

उत्तरकाशी: पद्मश्री बछेंद्री पाल के जीवन की कहानी किसी फिल्मी स्टोरी से कम नहीं है. फिल्मों में हीरो एक छोटे से परिवार से उठकर, समाज से लड़कर एक मुकाम को हासिल करते हैं. कुछ ऐसी ही कहानी है एवरेस्ट चोटी को फतह करने वाली विश्व की पहली महिला बछेंद्री पाल की. बछेंद्री पाल ने गुरुवार को आपदा प्रभावित अस्सी गंगा के भंकोली गांव में राजकीय इंटर कॉलेज के छात्रों से मुलाकात की. इस दौरान उन्होंने अपने संघर्ष के दिनों की तीन घटनाओं को साझा किया, जिसने उनका पूरा जीवन बदल दिया.

जानकारी देते शम्भू प्रसाद नौटियाल.

राजकीय इंटर कॉलेज भंकोली में एवरेस्ट फतह करने वाली बछेंद्री पाल ने कहा कि बीए करने के बाद उन्हें देहरादून से ही एमए करना था. लेकिन उनके परिवार के पास पैसे नहीं थे, जिस बात से वो काफी निराश थीं. फिर एक दिन उनके पिता ने कहा, जाओ देहरादून से एमए करो. लेकिन, पिता ने यह नहीं बताया कि पैसे कहां से आयेगा. बछेंद्री पाल ने बताया कि उन्हें बाद में पता चला कि उनकी मां ने 'तेमन्या' (पहाड़ी महिलाओं का मंगलसूत्र) को बेच दिया था. बिछेंद्री पाल ने बताया कि उनकी मां के इस त्याग ने ही उनका पूरा जीवन बदल दिया था.

पढ़ें- CBSE रिजल्ट: उत्तरकाशी की सोफिया ने हासिला किया देश में चौथा स्‍थान, अर्थशास्त्री बनना है सपना

बछेंद्री पाल ने बताया कि जब उन्हें पर्वतारोहण का शौक चढ़ा तब वो नाकुरी से रेणुका मन्दिर तक रोज चढ़ती थीं. वो चढ़ाई के दौरान एक पत्थर मंदिर के पास रखकर आती थीं और वापसी में वहां से घास लाती थीं. जिससे मां को न लगे कि उनकी बेटी अपना समय बर्बाद कर रही है. पाल ने बताया कि जब वो पर्वतरोहण करने लगीं तो मां ने कहा, बेटी लोग क्या कहेंगे? एमए करवाने के बाद भी बेटी ऐसा काम कर रही है. बछेंद्री पाल ने बताया कि उस दौरान उसने मां से कहा था लोगों को क्या है, एक दिन वो खुद आएंगे और बधाई देंगे. आज वही वक्त चल रहा है.

बता दें कि भकोली गांव के इंटर कॉलेज ने एवरेस्ट विजेता पूनम राणा, 2013 की आपदा की जांबाज ममता रावत, पर्वतारोही राधा रावत और संतोषी को भी राजकीय इंटर कॉलेज भकोली गौरव सम्मान से सम्मानित किया.

Intro:हेडलाइन- बछेंद्री पाल के संघर्ष की कहानी। Slug- Uk_uttarkashi_vipin negi_bachendri paal struggle story_uk10014. (exclusive) नोट- इस खबर का वीडियो मेल से भेजा गया है। उत्तरकाशी। पद्मश्री बछेंद्री पाल के जीवन की कहानी किसी फिल्मी स्टोरी से कम नहीं है। जिस प्रकार फिल्मों में हीरो एक छोटे से परिवार से उठकर समाज से लड़कर एक मुकाम को हासिल करता है। और उसे दुनिया सलाम करती है। ऐसी ही कहानी है एवरेस्ट चोटी को फतह करने वाली विश्व की पहली महिला बछेंद्री पाल की। बछेंद्री पाल ने गुरुवार को आपदा प्रभावित अस्सी गंगा के भंकोली गांव में राजकीय इंटर कॉलेज की छात्र छात्राओं के साथ अपने संघर्ष के दिनों की तीन घटनाओं को शेयर किया। जिसने उनका पूरा जीवन बदल दिया। etv bharat की exclusive रिपोर्ट।


Body:वीओ-1, राजकीय इंटर कॉलेज भंकोली में एवरेस्ट विजेता बछेंद्री पाल ने कहा कि बीए करने के बाद जब उन्हें देहरादून से भीएमए करना था। तो उनके परिवार के पास पैसे नहीं थे। जिससे वह निराश हो गई। फिर एक दिन उनके पिता उनके पास आये, और कहा कि जाओ देहरादून से एमए करो। लेकिन पिता ने यह नहीं बताया कि पैसे कहाँ से आये। जब बछेंद्री पाल ने पता किया तो मालूम हुआ कि उनकी माँ ने गले का "तेमन्या" पहाड़ में स्त्री के गले का मंगलसूत्र,जो कि गढ़वाल की परंपरा की अभी तक निशानी मानी जाती है। वह बेच दिया था। पाल ने कहा कि माँ के उस त्याग ने उनका पूरा जीवन बदल दिया। उसके बाद उन्होने दुनिया देखी। आज वह जिस मुकाम पर हैं,वह माँ का वह त्याग ही है।


Conclusion:वीओ-2, बछेंद्री पॉल ने कहा जब उन्हें पर्वतारोहण का शौक चढ़ा। तब वह नाकुरी से रेणुका मन्दिर तक रोज चढ़ती थी और वहां पर एक पत्थर रख कर आती थी और वापसी में घास लेकर आती थी। जिससे कि माँ को न लगे कि उनकी बेटी अपना समय बर्बाद कर रही हैं। पॉल ने बताया कि जब वह पूर्णतः पर्वतारोहण में सक्रिय हो गई थी। तो माँ कहती थी कि बेटी लोग क्या कहेंगे। एमए,बीएड करवाया,लेकिन बेटी ऐसा काम कर रही है। तो बछेंद्री पाल में माँ से कहा कि में लोगों को क्या कहूँ। एक दिन आएगा कि लोग स्वयं कहेंगे। आज वह समय चल रहा है। इस मौके पर विद्यालय ने एवरेस्ट विजेता पूनम राणा,2013 की आपदा की जांबाज ममता रावत,पर्वतारोही राधा रावत और सन्तोषी को राजकीय इंटर कॉलेज भंकोली गौरव सम्मान से सम्मानित किया। बाईट- शम्भू प्रसाद नोटियाल,अध्यापक।
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.