उत्तरकाशी: वायुसेना के मल्टीपर्पज भारी विमान एएन-32 (Uttarkashi Air Force Aircraft AN 32) ने चिन्यालीसौड़ हवाई अड्डे पर तीन बार सफलतापूर्वक लैंडिंग और टेकऑफ का अभ्यास किया. एयरक्राफ्ट पहली बार ग्वालियर एयरबेस से चिन्यालीसौड़ एयरपोर्ट (Uttarkashi Chinyalisaur Airport) पर रूटीन अभ्यास के लिए आया है.
एयरफोर्स के भारी विमान अभी तक इलाहाबाद और आगरा से लैंडिंग और टेकऑफ का अभ्यास करने कई बार आ चुके हैं, लेकिन ग्वालियर एयरबेस से पहली बार एयरफोर्स का विमान आया है. पहले चिन्यालीसौड़ हवाई अड्डे पर वायुसेना के बरेली एयरबेस से हेलीकॉप्टर से दो सदस्यीय कम्युनिकेशन टीम आयी और उसके बाद ग्वालियर एयरबेस से एयरक्राफ्ट एएन 32 ने लैंडिंग की. एयरक्राफ्ट ने आकाश में चक्कर लगाये और एयरपोर्ट पर तीन बार लैंडिंग और टेकऑफ का अभ्यास कर वापस ग्वालियर एयरबेस लौटा. एयरक्राफ्ट का यह अभ्यास आज से तीन दिन तक चलेगा. कम्युनिकेशन टीम चिन्यालीसौड़ में ही रुकी हुई है.
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भारत-चीन अंतरराष्ट्रीय सीमा के करीब बने चिन्यालीसौड़ हवाई अड्डा को एयरफोर्स काफी मुफीद मानती है. अंतरराष्ट्रीय सीमा के मद्देनजर चिन्यालीसौड़ हवाई पट्टी पर भारतीय वायु सेना पिछले कई सालों से लगातार अपने विमानों का अभ्यास करवा रही है. यही वजह है कि वायु सेना इसे अपना एडवांस लैंडिंग ग्राउंड (ALG) बनाने की कवायद में लगी हुई है और यहां अभ्यास जारी रखे हुए हैं. वायुसेना उत्तराखंड सरकार से चिन्यालीसौड़ हवाई अड्डे को एयरबेस बनाने के लिए विस्तारीकरण की मांग कर रही है.
दरअसल, चिन्यालीसौड़ हवाई पट्टी से अंतरराष्ट्रीय सीमा की दूरी महज 125 से 130 किमी के बीच है, इसलिए यह हवाई पट्टी सामरिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है. भारतीय वायु सेना गत वर्षों में चिन्यालीसौड़ हवाई पट्टी में लड़ाकू विमानों के टेक ऑफ और लैंडिंग सहित सामान छोड़ने का ऑपरेशन गगन शक्ति नाम से अभ्यास कर चुका है.
भारतीय वायुसेना के AN 32 (ऐंटोनोव एन 32) विमानों को सोवियत संघ से खरीदा गया था. ये विमान वायुसेना के परिवहन के लिए महत्वपूर्ण है, जो छोटे और अस्थायी रनवे पर भी उतर सकता है और सबसे बड़ी बात ये कि ये विमान किसी भी मौसम में उड़ान भर सकता है. भारत के पास करीब 100 AN 32 विमान हैं.