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इंस्पेक्टर सुरजीत ने माउंट एवरेस्ट पर फहराया तिरंगा, लौटने पर काशीपुर में हुआ जोरदार स्वागत

गृह मंत्रालय में इंस्पेक्टर सुरजीत ने फतह की माउंट एवरेस्ट चोटी. लगभग दो महीने में पूरा हुआ आरोहण.

सुरजीत ने लहराया माउंट एवरेस्ट पर तिरंगा.
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Published : Jun 11, 2019, 5:26 PM IST

Updated : Jun 11, 2019, 5:55 PM IST

काशीपुर: उधम सिंह नगर के काशीपुर के रहने वाले सुरजीत सिंह रावत ने विश्व की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट पर तिरंगा फहराकर देश का नाम रोशन किया है. गृह मंत्रालय में कार्यरत सुरजीत सिंह रावत ने बीते माह 21 मई की सुबह चोटी पर पहुंचकर तिरंगा लहराया था. सुरजीत चोटी फतह सोमवार रात को वापस काशीपुर पहुंचे.

इस दौरान सुरजीत के परिवार वालों और करीबी मित्रों ने उनका जोरदार स्वागत किया. इस मौके पर कुंडेश्वरी के विजयपथ पूर्व सैनिक संगठन के अध्यक्ष ने सुरजीत के उज्जवल भविष्य की कामना की. सुरजीत ने बताया कि दो महीने में वो चोटी फतह कर वापस लौटे हैं. अप्रैल के पहले हफ्ते में दिल्ली से रवाना होने के बाद 21 मई को चोटी फतह कर ली गई थी. उन्होंने बताया कि 11 सदस्यीय दल इस दौरान माउंट एवरेस्ट के लिए रवाना हुए थे.

अपनी उपलब्धि की जानकारी देते सुरजीत सिंह रावत.

पढ़ें- आम के शौकीनों के लिए बुरी खबर, स्वाद के लिए चुकानी पड़ेगी भारी कीमत

सुरजीत गृह मंत्रालय में इंस्पेक्टर के पद पर दिल्ली में तैनात हैं. साल 2011 से पर्वतारोहण क्षेत्र से जुड़े सुरजीत ने पर्वत आरोहण का कोर्स भी किया है. विश्व की सबसे ऊंची चोटी को फतह करने से पहले सुरजीत जम्मू-कश्मीर और सिक्किम से हिमालय की 7000 फीट से ऊंची चोटियों पर चढ़ चुके हैं. सुरजीत ने बताया कि इस दौरान 20 से 30 लाख रुपये का खर्च आया है. कुछ पैसा सरकार की तरफ से मिला था और कुछ उन्होंने खुद लगाया था.

सुरजीत के सभी रिश्तेदार और मित्र उनकी सफलता पर बेहद खुश हैं. सुरजीत के पिता वीरेंद्र सिंह रावत गढ़वाल के बीरोंखाल क्षेत्र के देघाट के रहने वाले हैं. साल 2014 में सुरजीत के पिता सुबेदार वीरेंद्र सिंह रावत ने काशीपुर में अपना आवास बनाया और तभी से उनका परिवार कुंडेश्वरी स्थित आदर्श नगर के फेज टू में रह रहा है. सुरजीत सुबेदार वीरेंद्र सिंह रावत के इकलौते बेटे हैं.

काशीपुर: उधम सिंह नगर के काशीपुर के रहने वाले सुरजीत सिंह रावत ने विश्व की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट पर तिरंगा फहराकर देश का नाम रोशन किया है. गृह मंत्रालय में कार्यरत सुरजीत सिंह रावत ने बीते माह 21 मई की सुबह चोटी पर पहुंचकर तिरंगा लहराया था. सुरजीत चोटी फतह सोमवार रात को वापस काशीपुर पहुंचे.

इस दौरान सुरजीत के परिवार वालों और करीबी मित्रों ने उनका जोरदार स्वागत किया. इस मौके पर कुंडेश्वरी के विजयपथ पूर्व सैनिक संगठन के अध्यक्ष ने सुरजीत के उज्जवल भविष्य की कामना की. सुरजीत ने बताया कि दो महीने में वो चोटी फतह कर वापस लौटे हैं. अप्रैल के पहले हफ्ते में दिल्ली से रवाना होने के बाद 21 मई को चोटी फतह कर ली गई थी. उन्होंने बताया कि 11 सदस्यीय दल इस दौरान माउंट एवरेस्ट के लिए रवाना हुए थे.

अपनी उपलब्धि की जानकारी देते सुरजीत सिंह रावत.

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सुरजीत गृह मंत्रालय में इंस्पेक्टर के पद पर दिल्ली में तैनात हैं. साल 2011 से पर्वतारोहण क्षेत्र से जुड़े सुरजीत ने पर्वत आरोहण का कोर्स भी किया है. विश्व की सबसे ऊंची चोटी को फतह करने से पहले सुरजीत जम्मू-कश्मीर और सिक्किम से हिमालय की 7000 फीट से ऊंची चोटियों पर चढ़ चुके हैं. सुरजीत ने बताया कि इस दौरान 20 से 30 लाख रुपये का खर्च आया है. कुछ पैसा सरकार की तरफ से मिला था और कुछ उन्होंने खुद लगाया था.

सुरजीत के सभी रिश्तेदार और मित्र उनकी सफलता पर बेहद खुश हैं. सुरजीत के पिता वीरेंद्र सिंह रावत गढ़वाल के बीरोंखाल क्षेत्र के देघाट के रहने वाले हैं. साल 2014 में सुरजीत के पिता सुबेदार वीरेंद्र सिंह रावत ने काशीपुर में अपना आवास बनाया और तभी से उनका परिवार कुंडेश्वरी स्थित आदर्श नगर के फेज टू में रह रहा है. सुरजीत सुबेदार वीरेंद्र सिंह रावत के इकलौते बेटे हैं.

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देवभूमि उत्तराखंड काशीपुर के रहने वाले एक युवक ने क्षेत्र का नाम रोशन किया है। कुंडेश्वरी के आदर्श नगर फेस 2 में रहने वाले सूबेदार वीरेंद्र सिंह रावत के गृह मंत्रालय में कार्यरत पुत्र सुरजीत सिंह रावत ने विश्व के सबसे ऊंचे पर्वत माउंट एवरेस्ट पर तिरंगा लहराकर प्रदेश का ही नहीं बल्कि देश का नाम भी रोशन किया है।।




Body:वीओ- बीते माह 21 मई की सुबह चोटी पर पहुंच कर अपना लक्ष्य प्राप्त किया। उनके कल रात काशीपुर पहुंचने पर परिवार सहित उनके करीबी व उनके मित्रों ने उनका स्वागत करते हुए उनके उज्जवल भविष्य की कामना की है। इस मौके पर कुंडेश्वरी के विजयपथ पूर्व सैनिक संगठन के अध्यक्ष ने संगठन की तरफ से सुरजीत के उज्जवल भविष्य की कामना की। 

वीओ- सुरजीत गृह मंत्रालय में इंस्पेक्टर के पद पर दिल्ली में तैनात हैं। वह सन् 2011 पर्वतारोहण के क्षेत्र से जुड़े हुए हैं। उन्होंने पर्वतारोहण का कोर्स भारत के सबसे प्रतिष्ठित संस्थान सोनम ग्यात्सो माउंटेन रिंग इंस्टीट्यूट गंगतोक से प्राप्त किया है। विश्व की सबसे ऊंची चोटी को पता करने से पहले वह जम्मू कश्मीर और सिक्किम के हिमालय की 7000 फीट से ऊंची चोटियां चढ़ चुके हैं।

वीओ- उनके मुताबिक 11 सदस्यीय अखिल भारतीय पुलिस दल का हिस्सा बनकर उन्होंने यह सफलता प्राप्त की है। सुरजीत के सभी रिश्तेदार और मित्र उनकी के सफलता पर बेहद खुश है। उनका परिवार जन उनकी सफलता पर खुद को बेहद गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं। 

वीओ- आज मीडिया के सामने रूबरू होते हुए इसका श्रेय अपने माता-पिता और धर्मपत्नी को दिया। सुरजीत के पिता विरेंद्र सिंह रावत मूलतः गढ़वाल के बीरोंखाल क्षेत्र के देघाटरहने वाले है। वर्ष 2014 में सुरजीत के पिता सूबेदार वीरेंद्र सिंह रावत ने काशीपुर अपना आवास बना लिया। तभी से उनका परिवार कुंडेश्वरी स्थित आदर्श नगर के फेस टू में रह रहा है। सुरजीत सूबेदार विजेंद्र सिंह रावत के इकलौते पुत्र हैं। 

बाइट- सुरजीत सिंह रावत, माउंट एवरेस्ट पर्वतारोही विजेता




Conclusion:
Last Updated : Jun 11, 2019, 5:55 PM IST
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