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तीन दिवसीय कृषि विज्ञान केंद्रों का वार्षिक कार्यशाला शुरू, कृषि केंद्र के कई वैज्ञानिकों ने लिया भाग - तेज प्रताप, कुलपति पन्त नगर कृषि विश्वविद्यालय

पंतनगर में आयोजित तीन दिवसीय कृषि विज्ञान कार्यशाला में कई राज्यों के कृषि वैज्ञानिकों ने शिरकत की. इस आयोजन में जम्मू व काश्मीर, हिमांचल प्रदेश, पंजाब और उत्तराखंड के कई विश्वविद्यालयों के कुलपति भी मौजूद रहे.

तीन दिवसीय कृषि विज्ञान केंद्रों का वार्षिक आयोजन शुरु.
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Published : Aug 4, 2019, 8:27 AM IST

पंतनगर: नगर के कृषि विश्वविद्यालय में शनिवार को कृषि विज्ञान केंद्रों के वार्षिक कार्यशाला का आयोजन किया गया. तीन दिवसीय इस कार्यशाला में कई राज्यों के कृषि विज्ञान केंद्रों के वैज्ञानिकों ने शिरकत की. वहीं, इस कार्यक्रम में जम्मू व काश्मीर, हिमांचल प्रदेश,पंजाब और उत्तराखंड के कई विश्वविद्यालयों के कुलपति भी मौजूद रहे.

कृषि विज्ञान केंद्रों का वार्षिक कार्यशाला शुरू.

बता दें कि कृषि विज्ञान केंद्रों के वार्षिक क्षेत्रीय कार्यशाला जोन 1 का आयोजन पंतनगर कृषि विश्विद्यालय में किया गया. जिसमें कृषि विज्ञान केंद्रों के 66 वैज्ञानिकों ने भाग लिया. कार्यशाला में वैज्ञानिकों ने कहा कि किसानों की आय को दोगनी करने के लिए योजनाएं बनानी होगी. कृषि क्षेत्र के लिए जोन 1 विषम परिस्थतियों में भी बेहतर काम कर रहा है. क्योंकि जोन एक की भगौलिक परिस्थिति अन्य जोन से अलग है.

ये भी पढ़ें:SSP का चार्ज लेते ही अरुण मोहन ने थाना-चौकियों को चेताया, कहा- आम और खास के लिए एक पैरामीटर

वहीं, पंतनगर कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति तेज प्रताप ने कहा कि विश्वविद्यालयों में होने वाले शोधों को किसानों तक पहुंचाने का काम कृषि विज्ञान केंद्र कर रहा है. न्यू इंडिया के किसानों को कॉमर्शियल खेती करने की जरूरत है. पहाड़ों के किसानों की आय को पांच गुना करने की जरुरत है, ताकि खेती से मोह भंग न हो. इसके लिए विश्वविद्यालय को नए-नए शोध करने होंगे और साथ ही उन शोधों को कृषि विज्ञान केंद्रों के माध्यम से किसानों तक पहुंचाना भी होगा, ताकि किसान की आय को बढ़ाया जा सके.

पंतनगर: नगर के कृषि विश्वविद्यालय में शनिवार को कृषि विज्ञान केंद्रों के वार्षिक कार्यशाला का आयोजन किया गया. तीन दिवसीय इस कार्यशाला में कई राज्यों के कृषि विज्ञान केंद्रों के वैज्ञानिकों ने शिरकत की. वहीं, इस कार्यक्रम में जम्मू व काश्मीर, हिमांचल प्रदेश,पंजाब और उत्तराखंड के कई विश्वविद्यालयों के कुलपति भी मौजूद रहे.

कृषि विज्ञान केंद्रों का वार्षिक कार्यशाला शुरू.

बता दें कि कृषि विज्ञान केंद्रों के वार्षिक क्षेत्रीय कार्यशाला जोन 1 का आयोजन पंतनगर कृषि विश्विद्यालय में किया गया. जिसमें कृषि विज्ञान केंद्रों के 66 वैज्ञानिकों ने भाग लिया. कार्यशाला में वैज्ञानिकों ने कहा कि किसानों की आय को दोगनी करने के लिए योजनाएं बनानी होगी. कृषि क्षेत्र के लिए जोन 1 विषम परिस्थतियों में भी बेहतर काम कर रहा है. क्योंकि जोन एक की भगौलिक परिस्थिति अन्य जोन से अलग है.

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वहीं, पंतनगर कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति तेज प्रताप ने कहा कि विश्वविद्यालयों में होने वाले शोधों को किसानों तक पहुंचाने का काम कृषि विज्ञान केंद्र कर रहा है. न्यू इंडिया के किसानों को कॉमर्शियल खेती करने की जरूरत है. पहाड़ों के किसानों की आय को पांच गुना करने की जरुरत है, ताकि खेती से मोह भंग न हो. इसके लिए विश्वविद्यालय को नए-नए शोध करने होंगे और साथ ही उन शोधों को कृषि विज्ञान केंद्रों के माध्यम से किसानों तक पहुंचाना भी होगा, ताकि किसान की आय को बढ़ाया जा सके.

Intro:summry - 3 दिवशीय कृषि विज्ञान केंद्रों का वार्षिक कार्यशाला का पन्तनगर कृषि विश्वविद्यालय में आयोजन चल रहा है। जिसमे कई राज्यो के विज्ञान केंद्रों के कृषि वैज्ञानिकों ने प्रतिभाग किया। यही नही जम्मू, हिमांचल,पंजाब और उत्तराखंड के कई विश्वविद्यालयो के कुलपति भी मौजूद रहे। एंकर - पन्तनगर कृषि विश्वविद्यालय में 3 दिवशीय कृषि विज्ञान केंद्रों का वार्षिक क्षेत्रीय कार्यशाला का आयोजन किया जा रहा है। जिसमे उत्तराखंड, पंजाब, हिमांचल प्रदेश जम्मू कश्मीर के कृषि वेज्ञान केंद्रों के 66 वैज्ञानिकों ने प्रतिभाग किया। इस दौरान जोन एक के सभी विश्वविद्यालय के कुलपति भी मौजूद रहे। कार्यशाला में किसानों की आय को कैसे बढ़ाया जाए इस पर चर्चा की गई।


Body:वीओ - कृषि विज्ञान केंद्रों की वार्षिक क्षेत्रीय कार्यशाला जोन 1 का आयोजन पन्तनगर कृषि विश्विद्यालय में किया गया। जिसमें जम्मू कश्मीर, पंजाब , हिमांचल प्रदेश और उत्तराखंड के कई कृषि विश्वविद्यालयो के कुलपति, 66 विज्ञान केंद्रों के वैज्ञानिकों ने प्रतिभाग किया गया। कार्यशाला में वैज्ञानिक वक्ताओं द्वारा कहा किसानों की आय को दुगनी करने के लिए जोन के वैज्ञानिक विषम प्रस्तितियों में बेहतर काम कर रहे है। क्यो की जोन 1 की भगोलिक परिस्थिति अन्य जोन से अलग है। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालयो में होने वाले शोधों को किसानों तक पहुचाने का काम कृषि विज्ञान केंद्र कर रहे है। आज देश के किसानों को कॉमर्शियल खेती करने की जरूरत है पहाड़ो के किसानों की आय को पाँच गुना करने की जरूरत है ताकि पहाड़ो के किसानो का खेती से मोह भंग ना हो। इसके लिए विश्वविद्यालय को नए नए शोध करने होंगे साथ ही उन शोधों को विज्ञान केंद्रों के माध्यम से किसानों तक पहुचाये ताकि किसान की आय को बढ़ाया जा सके। उन्होंने बताया कि अगले एक साल में किन किन बातों को ध्यान रखते हुए किसानों की आय को बढ़ाया जा सके इस बिन्दुओ में चर्चा की जाएगी। बाइट - तेज़ प्रताप, कुलपति पन्त नगर कृषि विश्वविद्यालय। बाइट - राजवीर, निदेशक आईसीएआर।


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