रुद्रपुरः मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में बंगाली समाज के प्रमाण पत्रों से पूर्वी पाकिस्तान शब्द हटाने का फैसला लिया गया है. पूर्वी पाकिस्तान की जगह अब पूर्वी बंगाल शब्द जोडे़ जाने की बात कही जा रही है. लेकिन इसे लेकर बंगाली समिति से जुड़े लोगों ने आपत्ति जताई है. उन्होंने मांग की है कि उनके समाज को पिछड़ी जाति में शामिल किया जाए. वहीं, उन्होंने उनकी मांगें पूरी नहीं होने पर आंदोलन करने की चेतावनी भी दी.
रुद्रपुर में बंगाली समाज के जाति प्रमाण पत्र में पूर्वी पाकिस्तान शब्द हटाते हुए पूर्वी बंगाल शब्द जोड़े जाने को लेकर प्रादेशिक बंगाली समिति की ओर से एक बैठक हुई. बैठक में बंगाली समाज के लोगों ने पूर्वी बंगाल शब्द जोड़े जाने को लेकर एतराज जताया. प्रादेशिक बंगाली समिति के प्रदेश अध्यक्ष आशुतोष रॉय ने कहा कि वो पूर्वी पाकिस्तान शब्द हटाने के लिए भारत सरकार व राज्य सरकार से पिछले 20 सालों से आग्रह कर रहे हैं. इसके बावजूद बंगाली समाज के साथ यह कलंक हटने का नाम नहीं ले रहा था.
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उन्होंने कहा कि अब मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की ओर से कैबिनेट में पूर्वी पाकिस्तान शब्द तो हटा दिया गया, लेकिन उसके स्थान पर पूर्वी बंगाल शब्द जोड़ दिया गया है. जो कि बंगाली समाज के साथ छल है. उन्होंने कहा कि वो कई पीढ़ियों से भारत में रह रहे हैं. कई बार पूर्वी पाकिस्तान शब्द को हटाने की कवायद भी तेज हुई, लेकिन अंत में केंद्र सरकार की ओर से फाइल को रोक दिया गया.
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ऐसा नहीं है कि उन्हें आश्वासन न मिला हो, बावजूद इसके कई साल बीत जाने के बाद भी उनके प्रमाण पत्रों से पूर्वी पाकिस्तान शब्द नहीं हटा था. अब राज्य सरकार ने पूर्वी पाकिस्तान की जगह पूर्वी बंगाल शब्द जोड़ दिया है. उन्होंने मांग करते हुए कहा उनके समाज के लोगों को पिछड़ी जाति में दर्ज किया जाए. साथ ही पूर्वी पाकिस्तान/बंगाल शब्द को हटाया जाए, अन्यथा बंगाली समाज आंदोलन को बाध्य हो जाएंगे.
क्यों जुड़ा 'पूर्वी पाकिस्तान' शब्द: गौर हो कि देश की आजादी के बाद पाकिस्तान से करोड़ों लोग भारत आए थे. इनमें से कई पूर्वी पाकिस्तान से भी भारत में आकर बसे थे. पाकिस्तान से आए लोगों को तराई में बसाया गया. पूर्वी पाकिस्तान से आए बंगाली समाज के लोगों को साल 1952-53 में पीलीभीत और नैनीताल जैसे कई जिलों में बसाया गया. नैनीताल में सबसे पहले दिनेशपुर फिर शक्तिफार्म, सितारगंज व रुद्रपुर के ट्रांजिट कैम्प में बसाया गया और आजीविका चलाने के लिए खेती की जमीन दी गयी.
वहीं, साल 2000 में उत्तराखंड बनने के बाद बंगाली समाज के विद्यार्थियों के प्रमाण पत्र पर विस्थापित पूर्वी पाकिस्तान शब्द लिखा जाने लगा. इसका बंगाली समाज ने विरोध किया, क्योंकि पूर्वी पाकिस्तान शब्द लिखने से ये लोग अपमानित महसूस करते थे. पूर्वी पाकिस्तान शब्द को हटाने के लिए कई बार बंगाली समाज के लोग उत्तराखंड के मुख्यमंत्री से मिले. कई बार राज्यपाल को भी ज्ञापन भेजा.
इससे पहले पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने भी दिनेशपुर में पूर्वी पाकिस्तान शब्द हटाने का भरोसा दिया था. वहीं, सोमवार यानी 16 अगस्त को हुई कैबिनेट बैठक में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने बंगाली समाज के प्रमाण पत्रों से पूर्वी पाकिस्तान शब्द हटाने के फैसले पर मुहर लगा दी है, लेकिन अब समाज के लोगों ने पूर्वी बंगाल शब्द जोडे़ जाने को लेकर आपत्ति जताई है.