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तालाब को कूड़ाघर में किया तब्दील, संक्रामक बीमारियों के फैलने का बढ़ा खतरा - काशीपुर न्यूज

नगर पंचायत सुल्तानपुर पट्टी के अंतर्गत इन दिनों तालाब में कूड़ा फेंका जा रहा है जिससे तालाब के अस्तित्व पर खतरा मंडरा रहा है. नपं की गाड़ियां कूड़ा डाल रहीं हैं.

कूड़ाघर
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Published : Jun 23, 2019, 12:23 PM IST

काशीपुरः समूचे उत्तर भारत में इस समय चिलचिलाती गर्मी का प्रकोप चल रहा है.गर्मी से बचने के लिए ग्रामीण क्षेत्रों में लोग तालाबों का सहारा लेते हैं.तालाबों का पानी ग्रामीण क्षेत्रों में अनेक प्रकार के लिये उपयोग में आता है. वहीं, सुल्तानपुर पट्टी क्षेत्र में नगर पंचायत द्वारा ही तालाब को कूड़ाघर बनाने का कार्य आजकल जोरों पर किया जा रहा है.

तालाब में डाला जा रहा है कूड़ा.

बता दें कि नगर पंचायत सुल्तानपुर पट्टी के तालाबों में नगर का कूड़ा फेंकने की परंपरा बन गई है. इससे तालाब दिन प्रतिदिन पटते जा रहे हैं. सच कहें तो नगर पंचायतों द्वारा कूड़ा तालाबों में फेंककर अतिक्रमण का जरिया बन गया है.

तालाब में कूड़ा फेंकने से तालाबों की गहराई इतनी कम हो गई है कि पता ही नहीं चलता कि यहां कभी तालाब रहा होगा. आलम यह है कि नगर पंचायत सुल्तानपुर पट्टी में नगर पंचायत द्वारा ही तालाबों में खुलेआम कूड़ा डाला जा रहा है.

जबकि, तालाब व पोखरे गांव की पहचान होते थे. गांव का मुख्य मार्ग हो या बीच का हिस्सा तालाब की मौजूदगी गांव की शोभा में चार चांद लगाती थी. पूरे गांव के पशु, पक्षियों के साथ लोगों की भी इन तालाबों से प्यास बुझती थी. लेकिन, आधुनिकता की अंधी दौड़ व मनुष्य की भौतिकवादी सोच ने इन तालाबों पर संकट के बादल खड़े कर दिए हैं. वर्तमान में ऐसा कोई गांव या नगर नहीं जहां तालाबों कूड़े के ढेर से न पटे हों.

यह भी पढ़ेंः लापरवाहीः पेयजल लाइन लीकेज होने से लाखों लीटर पानी हो रहा बर्बाद, अधिकारी दे रहे ये जवाब

स्थानीय लोगों कहना है कि नगर पंचायत अधिकारियों द्वारा तालाब खेत संख्या 463 को कूड़े से पाटा जा रहा है. जिससे आने-जाने वालों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. जहां नगर पंचायत द्वारा तालाब में डाले जाने वाले कूड़े से उठती दुर्गंध के कारण संक्रामक बीमारियों के फैलने का खतरा बढ़ गया है.

वहीं, इस मामले में अधिशासी अधिकारी जीएस सुयाल का कहना है कि नगर पंचायत के पास ट्रेंचिंग ग्राउंड न होने के कारण नगर का कूड़ा तालाब भूमि पर डाला जा रहा है. उचित जगह मिलने पर कूड़े को उठा लिया जाएगा

काशीपुरः समूचे उत्तर भारत में इस समय चिलचिलाती गर्मी का प्रकोप चल रहा है.गर्मी से बचने के लिए ग्रामीण क्षेत्रों में लोग तालाबों का सहारा लेते हैं.तालाबों का पानी ग्रामीण क्षेत्रों में अनेक प्रकार के लिये उपयोग में आता है. वहीं, सुल्तानपुर पट्टी क्षेत्र में नगर पंचायत द्वारा ही तालाब को कूड़ाघर बनाने का कार्य आजकल जोरों पर किया जा रहा है.

तालाब में डाला जा रहा है कूड़ा.

बता दें कि नगर पंचायत सुल्तानपुर पट्टी के तालाबों में नगर का कूड़ा फेंकने की परंपरा बन गई है. इससे तालाब दिन प्रतिदिन पटते जा रहे हैं. सच कहें तो नगर पंचायतों द्वारा कूड़ा तालाबों में फेंककर अतिक्रमण का जरिया बन गया है.

तालाब में कूड़ा फेंकने से तालाबों की गहराई इतनी कम हो गई है कि पता ही नहीं चलता कि यहां कभी तालाब रहा होगा. आलम यह है कि नगर पंचायत सुल्तानपुर पट्टी में नगर पंचायत द्वारा ही तालाबों में खुलेआम कूड़ा डाला जा रहा है.

जबकि, तालाब व पोखरे गांव की पहचान होते थे. गांव का मुख्य मार्ग हो या बीच का हिस्सा तालाब की मौजूदगी गांव की शोभा में चार चांद लगाती थी. पूरे गांव के पशु, पक्षियों के साथ लोगों की भी इन तालाबों से प्यास बुझती थी. लेकिन, आधुनिकता की अंधी दौड़ व मनुष्य की भौतिकवादी सोच ने इन तालाबों पर संकट के बादल खड़े कर दिए हैं. वर्तमान में ऐसा कोई गांव या नगर नहीं जहां तालाबों कूड़े के ढेर से न पटे हों.

यह भी पढ़ेंः लापरवाहीः पेयजल लाइन लीकेज होने से लाखों लीटर पानी हो रहा बर्बाद, अधिकारी दे रहे ये जवाब

स्थानीय लोगों कहना है कि नगर पंचायत अधिकारियों द्वारा तालाब खेत संख्या 463 को कूड़े से पाटा जा रहा है. जिससे आने-जाने वालों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. जहां नगर पंचायत द्वारा तालाब में डाले जाने वाले कूड़े से उठती दुर्गंध के कारण संक्रामक बीमारियों के फैलने का खतरा बढ़ गया है.

वहीं, इस मामले में अधिशासी अधिकारी जीएस सुयाल का कहना है कि नगर पंचायत के पास ट्रेंचिंग ग्राउंड न होने के कारण नगर का कूड़ा तालाब भूमि पर डाला जा रहा है. उचित जगह मिलने पर कूड़े को उठा लिया जाएगा

Intro:Summary- समूचे उत्तर भारत में इस समय चिलचिलाती गर्मी का प्रकोप चल रहा है गर्मी से बचने के लिए ग्रामीण क्षेत्रों में लोग तालाबों का सहारा लेते हैं। तालाबों का पानी ग्रामीण क्षेत्रों में अनेक प्रकार के लिये उपयोग में आता है लेकिन सुल्तानपुर पट्टी क्षेत्र में नगर पंचायत के द्वारा ही तालाब को कूडाघर बनाने का कार्य आजकल जोरों पर किया जा रहा है।



एंकर- नगर हो या गांव तालाबों के अस्तित्व को लेकर आम हों या खास सभी उदासीन बने हुए है। गांव के तालाबों का इतिहास समाप्त होता जा रहा है और हम दामन बचाने में लगे हुए हैं। यदि किसी ने पहल की भी तो अधिकारी के द्वारा यह कहकर उसका मुंह बंद कर दिया जाता है कि यह सरकारी संपत्ति है किसी की निजी नहीं।
Body:वीओ- नगर पंचायत सुल्तानपुर पट्टी के बने इन तालाबों में नगर का कूड़ा फेंकने की परंपरा बन गई है। इससे तालाब दिन प्रतिदिन पटते जा रहे हैं। सच कहें तो नगर पंचायतो द्वारा कूड़ा तालाबों में फेककर अतिक्रमण का जरिया बन गया है। तालाब में कूड़ा फेंकने से तालाबों की गहराई इतनी कम हो गई है कि पता ही नहीं चलता कि यहां कभी विशाल तालाब रहा होगा। आलम यह है कि नगर पंचायत सुल्तानपुर पट्टी में नगर पंचायत द्वारा ही तालाबो में खुलेआम कूड़ा डाला जा रहा है।

वीओ- तालाब व पोखरे गांव की पहचान होते थे। गांव का मुख्य मार्ग हो या बीच का हिस्सा तालाब की मौजूदगी गांव की शोभा में चार चांद लगाती थी। पूरे गांव के पशु, पक्षियों के साथ लोगो की भी इन तालाबों से प्यास बुझती थी। पर आधुनिकता की अंधी दौड़ व मनुष्य की भौतिकवादी सोच ने इन तालाबों पर संकट के बादल खड़े कर दिए हैं। वर्तमान में ऐसा कोई गांव या नगर नहीं जहां तालाबों कूड़े के ढेर से न पटे हों।
वीओ- वही स्थाई निवासियों ने बताया कि नगर पंचायत अधिकारियों दुआरा तालाब खेत संख्या 463 को कूड़े से पाटा जा रहा है। जिससे आने जाने बालो को का सामना करना पड़ रहा है । जहाँ नगर पंचायत दुआरा तालाब में डाले जाने बाले कूड़े से स्कूल जाने बाले बच्चो को ज्यादा परेशानी हो रही है । बच्चो को बदबू के गुब्बार से बचने के लिए मुँह पर कपड़ा रखकर निकलना पड़ रहा है ।
वीओ- अधिशासी अधिकारी जीएस सुयाल का कहना है कि नगर पंचायत के पास ट्रंचिंग ग्राउंड नही होने के कारण नगर का कूड़ा तालाब भूमि पर डाला जा रहा है । उचित जगह मिलने पर कूड़े को उठा लिया जाएगा ।
बाईट- जीएस सुयाल, अधिशासी अधिकारी
बाइट- स्थायी निवासीConclusion:
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