काशीपुरः समूचे उत्तर भारत में इस समय चिलचिलाती गर्मी का प्रकोप चल रहा है.गर्मी से बचने के लिए ग्रामीण क्षेत्रों में लोग तालाबों का सहारा लेते हैं.तालाबों का पानी ग्रामीण क्षेत्रों में अनेक प्रकार के लिये उपयोग में आता है. वहीं, सुल्तानपुर पट्टी क्षेत्र में नगर पंचायत द्वारा ही तालाब को कूड़ाघर बनाने का कार्य आजकल जोरों पर किया जा रहा है.
बता दें कि नगर पंचायत सुल्तानपुर पट्टी के तालाबों में नगर का कूड़ा फेंकने की परंपरा बन गई है. इससे तालाब दिन प्रतिदिन पटते जा रहे हैं. सच कहें तो नगर पंचायतों द्वारा कूड़ा तालाबों में फेंककर अतिक्रमण का जरिया बन गया है.
तालाब में कूड़ा फेंकने से तालाबों की गहराई इतनी कम हो गई है कि पता ही नहीं चलता कि यहां कभी तालाब रहा होगा. आलम यह है कि नगर पंचायत सुल्तानपुर पट्टी में नगर पंचायत द्वारा ही तालाबों में खुलेआम कूड़ा डाला जा रहा है.
जबकि, तालाब व पोखरे गांव की पहचान होते थे. गांव का मुख्य मार्ग हो या बीच का हिस्सा तालाब की मौजूदगी गांव की शोभा में चार चांद लगाती थी. पूरे गांव के पशु, पक्षियों के साथ लोगों की भी इन तालाबों से प्यास बुझती थी. लेकिन, आधुनिकता की अंधी दौड़ व मनुष्य की भौतिकवादी सोच ने इन तालाबों पर संकट के बादल खड़े कर दिए हैं. वर्तमान में ऐसा कोई गांव या नगर नहीं जहां तालाबों कूड़े के ढेर से न पटे हों.
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स्थानीय लोगों कहना है कि नगर पंचायत अधिकारियों द्वारा तालाब खेत संख्या 463 को कूड़े से पाटा जा रहा है. जिससे आने-जाने वालों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. जहां नगर पंचायत द्वारा तालाब में डाले जाने वाले कूड़े से उठती दुर्गंध के कारण संक्रामक बीमारियों के फैलने का खतरा बढ़ गया है.
वहीं, इस मामले में अधिशासी अधिकारी जीएस सुयाल का कहना है कि नगर पंचायत के पास ट्रेंचिंग ग्राउंड न होने के कारण नगर का कूड़ा तालाब भूमि पर डाला जा रहा है. उचित जगह मिलने पर कूड़े को उठा लिया जाएगा