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पिथौरागढ़ बनेगा मशरूम उत्पादन का हब, युवाओं को मिलेगा रोजगार

पंतनगर कृषि विश्वविद्यालय, पिथौरागढ़ के केवीके सेंटर के माध्यम से जिले को मशरूम उत्पादन का हब बनाने जा रहा है. इसके लिए वैज्ञानिकों की टीम ने रूपरेखा भी तैयार कर ली है.

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Published : Jun 11, 2020, 4:47 PM IST

pithoragarh
पंतनगर कृषि विश्वविद्यालय

रुद्रपुर: पंतनगर कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक अब पहाड़ी जिले पिथौरागढ़ को मशरूम के उत्पादन के लिए तैयार करने जा रहे हैं. इसके लिए केवीके के जरिए जिले में युवाओं को फार्मास्यूटिकल मशरूम और अन्य मशरूम के उत्पादन की जानकारी और ट्रेनिंग दी जाएगी. इससे सीमांत जिले से पलायन रुकेगा और युवाओं को अपने ही जिले में रोजगार मिलेगा.

पिथौरागढ़ बनेगा मशरूम उत्पादन का हब

दरअसल, पहाड़ से पलायन रोकने और लोगों को रोजगार से जोड़ने के लिए पंतनगर कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने कमर कस ली है. मशरूम की कई तरह की वैरायटी उत्पादन की क्षमता को देखते हुए पंतनगर कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक पिथौरागढ़ को मशरूम का हब बनाने जा रहे हैं. ताकि यहां के लोग मशरूम की खेती कर अधिक से अधिक फायदा उठा सकें. पंतनगर विश्वविद्यालय के शिक्षा प्रसार के निदेशक अनिल शर्मा ने कहा कि प्रदेश सरकार का सहयोग मिला तो वैज्ञानिक केवीके के जरिए पिथौरागढ़ को मशरूम उत्पादन में अग्रणी बना देंगे. इसके लिए उन्होंने केवीके पिथौरागढ़ की इंचार्ज से वार्ता भी कर ली है.

पढ़ें: हल्द्वानी में बदला मौसम का मिजाज, लोगों को गर्मी से मिली राहत

उन्होंने बताया कि पिथौरागढ़ का वातावरण मशरूम की खेती के लिए उपयुक्त है. पिथौरागढ़ में मशरूम की कई प्रजातियों को आसानी से उगाया जा सकता है. उन्होंने बताया कि फार्मास्यूटिकल मशरूम की बाजार में अत्यधिक डिमांड होने से उसके दाम भी अच्छे मिलते हैं. ऐसे में वहां के युवाओं को मशरूम की खेती के साथ जोड़ने से उनकी आय को बढ़ाया जा सकता है. यही नहीं लंबे समय तक मशरूम खराब ना हो सके, इसके लिए उसकी कैनिंग कर बाजारों तक पहुंचाने के लिए भी रूपरेखा तैयार की जा रही है. वैज्ञानिकों की टीम ने पिथौरागढ़ को मशरूम के लिए चिह्नित किया है. मेडिसिन पर्पज को देखते हुए मशरूम के उत्पादन से पिथौरागढ़ के युवाओं को अच्छा रोजगार मिल सकता है.

क्या होता है मशरूम

मशरूम एक पौष्टिक आहार है. इसमें एमीनो एसिड, खनिज, लवण, विटामिन जैसे पौष्टिक तत्व होते हैं. मशरूम हार्ट और डायबिटीज के मरीजों के लिए एक दवा की तरह काम करता है. मशरूम में फॉलिक एसिड और लावणिक तत्व पाए जाते हैं, जो खून में रेड सेल्स बनाते हैं.

ऐसी जगह पैदा होता है मशरूम

मशरूम उत्पादन में मौसम का खास महत्व है. मशरूम के लिए तापमान 20 से 30 डिग्री सेल्सियस तथा नमी 80 फीसदी से अधिक होनी चाहिए. इसके उत्पादन के लिए सितम्बर-अक्तूबर का महीना बेहतर माना जाता है.

दो से तीन महीने में तैयार होता है मशरूम

मशरूम दो से तीन महीनों में तैयार हो जाते हैं. इसे फ्रिज में 3 से 6 दिन तक ताजा रख सकते हैं. मशरूम की एक बार में दो से तीन बड़ी पैदावार ली जा सकती हैं.

मशरूम से कमाई की अपार संभावनाएं

मशरूम उत्पादन से हर हफ्ते कम से कम पांच से दस हजार रुपये तक कमाई हो सकती है. उत्पादन बढ़ने पर आय कई गुना तक बढ़ सकती है.

रुद्रपुर: पंतनगर कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक अब पहाड़ी जिले पिथौरागढ़ को मशरूम के उत्पादन के लिए तैयार करने जा रहे हैं. इसके लिए केवीके के जरिए जिले में युवाओं को फार्मास्यूटिकल मशरूम और अन्य मशरूम के उत्पादन की जानकारी और ट्रेनिंग दी जाएगी. इससे सीमांत जिले से पलायन रुकेगा और युवाओं को अपने ही जिले में रोजगार मिलेगा.

पिथौरागढ़ बनेगा मशरूम उत्पादन का हब

दरअसल, पहाड़ से पलायन रोकने और लोगों को रोजगार से जोड़ने के लिए पंतनगर कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने कमर कस ली है. मशरूम की कई तरह की वैरायटी उत्पादन की क्षमता को देखते हुए पंतनगर कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक पिथौरागढ़ को मशरूम का हब बनाने जा रहे हैं. ताकि यहां के लोग मशरूम की खेती कर अधिक से अधिक फायदा उठा सकें. पंतनगर विश्वविद्यालय के शिक्षा प्रसार के निदेशक अनिल शर्मा ने कहा कि प्रदेश सरकार का सहयोग मिला तो वैज्ञानिक केवीके के जरिए पिथौरागढ़ को मशरूम उत्पादन में अग्रणी बना देंगे. इसके लिए उन्होंने केवीके पिथौरागढ़ की इंचार्ज से वार्ता भी कर ली है.

पढ़ें: हल्द्वानी में बदला मौसम का मिजाज, लोगों को गर्मी से मिली राहत

उन्होंने बताया कि पिथौरागढ़ का वातावरण मशरूम की खेती के लिए उपयुक्त है. पिथौरागढ़ में मशरूम की कई प्रजातियों को आसानी से उगाया जा सकता है. उन्होंने बताया कि फार्मास्यूटिकल मशरूम की बाजार में अत्यधिक डिमांड होने से उसके दाम भी अच्छे मिलते हैं. ऐसे में वहां के युवाओं को मशरूम की खेती के साथ जोड़ने से उनकी आय को बढ़ाया जा सकता है. यही नहीं लंबे समय तक मशरूम खराब ना हो सके, इसके लिए उसकी कैनिंग कर बाजारों तक पहुंचाने के लिए भी रूपरेखा तैयार की जा रही है. वैज्ञानिकों की टीम ने पिथौरागढ़ को मशरूम के लिए चिह्नित किया है. मेडिसिन पर्पज को देखते हुए मशरूम के उत्पादन से पिथौरागढ़ के युवाओं को अच्छा रोजगार मिल सकता है.

क्या होता है मशरूम

मशरूम एक पौष्टिक आहार है. इसमें एमीनो एसिड, खनिज, लवण, विटामिन जैसे पौष्टिक तत्व होते हैं. मशरूम हार्ट और डायबिटीज के मरीजों के लिए एक दवा की तरह काम करता है. मशरूम में फॉलिक एसिड और लावणिक तत्व पाए जाते हैं, जो खून में रेड सेल्स बनाते हैं.

ऐसी जगह पैदा होता है मशरूम

मशरूम उत्पादन में मौसम का खास महत्व है. मशरूम के लिए तापमान 20 से 30 डिग्री सेल्सियस तथा नमी 80 फीसदी से अधिक होनी चाहिए. इसके उत्पादन के लिए सितम्बर-अक्तूबर का महीना बेहतर माना जाता है.

दो से तीन महीने में तैयार होता है मशरूम

मशरूम दो से तीन महीनों में तैयार हो जाते हैं. इसे फ्रिज में 3 से 6 दिन तक ताजा रख सकते हैं. मशरूम की एक बार में दो से तीन बड़ी पैदावार ली जा सकती हैं.

मशरूम से कमाई की अपार संभावनाएं

मशरूम उत्पादन से हर हफ्ते कम से कम पांच से दस हजार रुपये तक कमाई हो सकती है. उत्पादन बढ़ने पर आय कई गुना तक बढ़ सकती है.

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