ETV Bharat / state

नैनीताल हाई कोर्ट के आदेश पर PCS मनीष बिष्ट नौकरी से बर्खास्त

author img

By

Published : Aug 2, 2019, 12:15 PM IST

Updated : Aug 2, 2019, 7:20 PM IST

नैनीताल हाई कोर्ट के आदेश पर PCS मनीष बिष्ट को बर्खास्त कर दिया गया है. हाई कोर्ट में दी गई एक याचिका में मनीष बिष्ट की नियुक्ति को गलत ठहराया गया था. जिस पर हाई कोर्ट ने राज्य सरकार को बिष्ट को नौकरी से हटाने के आदेश दिए हैं.

PCS मनीष बिष्ट, Nainital High Court.

रुद्रपुर: राजधानी देहरादून से लेकर उधम सिंह नगर में उस वक्त अधिकारियों में हड़कंप मच गया जब उत्तराखंड शासन के कार्मिक विभाग ने एसडीएम के पद पर कार्यरत पीसीएस अधिकारी की सेवा को समाप्त कर दिया. दरअसल, कोर्ट के आदेश की अवमानना के चलते शासन द्वारा यह निर्णय लिया गया है. हालांकि, बर्खास्त पीसीएस अधिकारी ने मामले कि पुष्टि करते हुए कहा कि मामला अभी भी हाईकोर्ट की डबल बेंच में है.

जानकारी के मुताबिक उधम सिंह नगर के सितारगंज में एसडीएम के पद पर तैनात PCS मनीष बिष्ट का चयन 2012 में हुई राज्य लोक सेवा आयोग की परीक्षा के परिणाम 2017 में क्षैतिज आरक्षण के नियमों से सामान्य वर्ग के पूर्व सैनिक कोटे से हुआ था. इस परीक्षा में उन्हें 776 अंक मिले थे, उनकी नियुक्ति को एक अन्य पूर्व सैनिक अभ्यर्थी द्वारा यह आपत्ति लगाते हुए उत्तराखंड उच्च न्यायालय में चुनौती दी थी कि वह आरक्षित वर्ग से है और पीसीएस परीक्षा में उनके मनीष बिष्ट से अधिक 807 अंक आए थे.

PCS Manish Bisht
PCS मनीष बिष्ट नौकरी से बर्खास्त

सुधीर कुमार की याचिका पर दिसंबर 2018 में उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन व न्यायमूर्ति लोकपाल सिंह की खंडपीठ ने पीसीएस अधिकारी मनीष बिष्ट की नियुक्ति को गलत ठहराया और शासन को मामले का संज्ञान लेते हुए कार्रवाई के आदेश दिए थे. जिसका अनुपालन न होने पर एक बार फिर अपीलकर्ता द्वारा हाई कोर्ट में कोड ऑफ कंडक्ट लगाई थी. जिससे बचने के लिए कार्मिक विभाग द्वारा पीसीएस अधिकारी की सेवा समाप्त कर दी.

पढ़ें- राज्य विधि आयोग के अध्यक्ष ने Etv भारत से की खास बात, कहा- 2021 तक अनुपयोगी एक्ट हो जाएंगे रद्द

वहीं, PCS मनीष बिष्ट ने बताया कि मामला कोर्ट में विचाराधीन है. उनके द्वारा हाईकोर्ट की डबल बेंच पर रिव्यू लगाया गया है. जिसमें अभी डिसीजन आना बाकी है उन्होंने ईटीवी भारत को बताया कि जिस व्यक्ति द्वारा कोड आफ कंडक्ट लगाया गया है. वह क्षैतिज आरक्षण में पहले भी नौकरी पा चुका है. उन्होंने कहा कि जिस तरह से मीडिया में बिना पक्ष लगाए उन्हें बदनाम किया जा रहा है, उसका जवाब वो कोर्ट के माध्यम से देंगे.

रुद्रपुर: राजधानी देहरादून से लेकर उधम सिंह नगर में उस वक्त अधिकारियों में हड़कंप मच गया जब उत्तराखंड शासन के कार्मिक विभाग ने एसडीएम के पद पर कार्यरत पीसीएस अधिकारी की सेवा को समाप्त कर दिया. दरअसल, कोर्ट के आदेश की अवमानना के चलते शासन द्वारा यह निर्णय लिया गया है. हालांकि, बर्खास्त पीसीएस अधिकारी ने मामले कि पुष्टि करते हुए कहा कि मामला अभी भी हाईकोर्ट की डबल बेंच में है.

जानकारी के मुताबिक उधम सिंह नगर के सितारगंज में एसडीएम के पद पर तैनात PCS मनीष बिष्ट का चयन 2012 में हुई राज्य लोक सेवा आयोग की परीक्षा के परिणाम 2017 में क्षैतिज आरक्षण के नियमों से सामान्य वर्ग के पूर्व सैनिक कोटे से हुआ था. इस परीक्षा में उन्हें 776 अंक मिले थे, उनकी नियुक्ति को एक अन्य पूर्व सैनिक अभ्यर्थी द्वारा यह आपत्ति लगाते हुए उत्तराखंड उच्च न्यायालय में चुनौती दी थी कि वह आरक्षित वर्ग से है और पीसीएस परीक्षा में उनके मनीष बिष्ट से अधिक 807 अंक आए थे.

PCS Manish Bisht
PCS मनीष बिष्ट नौकरी से बर्खास्त

सुधीर कुमार की याचिका पर दिसंबर 2018 में उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन व न्यायमूर्ति लोकपाल सिंह की खंडपीठ ने पीसीएस अधिकारी मनीष बिष्ट की नियुक्ति को गलत ठहराया और शासन को मामले का संज्ञान लेते हुए कार्रवाई के आदेश दिए थे. जिसका अनुपालन न होने पर एक बार फिर अपीलकर्ता द्वारा हाई कोर्ट में कोड ऑफ कंडक्ट लगाई थी. जिससे बचने के लिए कार्मिक विभाग द्वारा पीसीएस अधिकारी की सेवा समाप्त कर दी.

पढ़ें- राज्य विधि आयोग के अध्यक्ष ने Etv भारत से की खास बात, कहा- 2021 तक अनुपयोगी एक्ट हो जाएंगे रद्द

वहीं, PCS मनीष बिष्ट ने बताया कि मामला कोर्ट में विचाराधीन है. उनके द्वारा हाईकोर्ट की डबल बेंच पर रिव्यू लगाया गया है. जिसमें अभी डिसीजन आना बाकी है उन्होंने ईटीवी भारत को बताया कि जिस व्यक्ति द्वारा कोड आफ कंडक्ट लगाया गया है. वह क्षैतिज आरक्षण में पहले भी नौकरी पा चुका है. उन्होंने कहा कि जिस तरह से मीडिया में बिना पक्ष लगाए उन्हें बदनाम किया जा रहा है, उसका जवाब वो कोर्ट के माध्यम से देंगे.

Intro:एंकर - देहरादून से लेकर उधम सिंह नगर जिले में उस वक्त अधिकारियों में हडकंम्प मच गया जब उत्तराखंड शासन के कार्मिक विभाग ने एसडीएम के पद पर कार्यरत पीसीएस अधिकारी की सेवा को समाप्त कर दिया। दरशल कोर्ट के आदेश की अवमानना के चलते शासन द्वारा यह निर्णय लिया गया है। हालांकि बर्खास्त पीसीएस अधिकारी ने मामले कि पुष्टि करते हुए कहा कि मामला अभी भी हाईकोर्ट की डबल बेंच में रिव्यू के लिए लगा हुआ है। अब उसमें कोर्ट क्या डिसीजन देती है ये आने वाला वक्त बताएगा। हालांकि उन्होंने मीडिया पर उनके पक्ष ना रखने पर नाराजगी भी जाहिर की है।
Body:वीओ - जानकारी के अनुसार उधम सिंह नगर के सितारगंज में एसडीएम के पद पर तैनात पीसीएस अधिकारी मनीष बिष्ट का चयन 2012 में हुई राज्य लोक सेवा आयोग की परीक्षा के परिणाम 2017 में क्षेतिज आरक्षण के नियमों से सामान्य वर्ग के पूर्व सैनिक कोटे से हुआ था इस परीक्षा में उन्हें 776 अंक मिले थे उनकी नियुक्ति को एक अन्य पूर्व सैनिक अभ्यर्थी द्वारा यह आपत्ति लगाते हुए उत्तराखंड उच्च न्यायालय में चुनौती दी थी कि वह आरक्षित वर्ग से है और पीसीएस परीक्षा में उनके मनीष बिष्ट से अधिक 807 अंक आए थे। सुधीर कुमार की याचिका पर दिसंबर 2018 में उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन व न्यायमूर्ति लोकपाल सिंह की खंडपीठ ने पीसीएस अधिकारी मनीष बिष्ट की नियुक्ति को गलत ठहराया ओर शासन को मामले का संज्ञान लेते हुए कार्यवाही के आदेश दिए थे। जिसका अनुपालन ना होने के चलते एक बार फिर अपील करता द्वारा हाई कोर्ट में कोड ऑफ कंडक्ट लगाई थी जिससे बचने के लिए कार्मिक विभाग द्वारा पीसीएस अधिकारी की सेवा समाप्त कर दी।
वही पीसीएस अधिकारी मनीष बिष्ट ने बताया कि मामला कोर्ट में विचाराधीन है उनके द्वारा हाईकोर्ट की डबल बेंच पर रिव्यू लगाया गया है जिसमें अभी डिसीजन आना बाकी है उन्होंने ईटीवी भारत को बताया कि जिस व्यक्ति द्वारा कोड आफ कंडक्ट लगाया गया है वह भी क्षेतिज आरक्षण में पहले भी नौकरी पा चुका है उन्होंने कहा कि जिस तरह से मीडिया में बिना पक्ष लगाए उन्हें बदनाम किया जा रहा है उसका वह कोर्ट के माध्यम से जवाब देंगे।Conclusion:
Last Updated : Aug 2, 2019, 7:20 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.