रुद्रपुर: राजधानी देहरादून से लेकर उधम सिंह नगर में उस वक्त अधिकारियों में हड़कंप मच गया जब उत्तराखंड शासन के कार्मिक विभाग ने एसडीएम के पद पर कार्यरत पीसीएस अधिकारी की सेवा को समाप्त कर दिया. दरअसल, कोर्ट के आदेश की अवमानना के चलते शासन द्वारा यह निर्णय लिया गया है. हालांकि, बर्खास्त पीसीएस अधिकारी ने मामले कि पुष्टि करते हुए कहा कि मामला अभी भी हाईकोर्ट की डबल बेंच में है.
जानकारी के मुताबिक उधम सिंह नगर के सितारगंज में एसडीएम के पद पर तैनात PCS मनीष बिष्ट का चयन 2012 में हुई राज्य लोक सेवा आयोग की परीक्षा के परिणाम 2017 में क्षैतिज आरक्षण के नियमों से सामान्य वर्ग के पूर्व सैनिक कोटे से हुआ था. इस परीक्षा में उन्हें 776 अंक मिले थे, उनकी नियुक्ति को एक अन्य पूर्व सैनिक अभ्यर्थी द्वारा यह आपत्ति लगाते हुए उत्तराखंड उच्च न्यायालय में चुनौती दी थी कि वह आरक्षित वर्ग से है और पीसीएस परीक्षा में उनके मनीष बिष्ट से अधिक 807 अंक आए थे.
सुधीर कुमार की याचिका पर दिसंबर 2018 में उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन व न्यायमूर्ति लोकपाल सिंह की खंडपीठ ने पीसीएस अधिकारी मनीष बिष्ट की नियुक्ति को गलत ठहराया और शासन को मामले का संज्ञान लेते हुए कार्रवाई के आदेश दिए थे. जिसका अनुपालन न होने पर एक बार फिर अपीलकर्ता द्वारा हाई कोर्ट में कोड ऑफ कंडक्ट लगाई थी. जिससे बचने के लिए कार्मिक विभाग द्वारा पीसीएस अधिकारी की सेवा समाप्त कर दी.
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वहीं, PCS मनीष बिष्ट ने बताया कि मामला कोर्ट में विचाराधीन है. उनके द्वारा हाईकोर्ट की डबल बेंच पर रिव्यू लगाया गया है. जिसमें अभी डिसीजन आना बाकी है उन्होंने ईटीवी भारत को बताया कि जिस व्यक्ति द्वारा कोड आफ कंडक्ट लगाया गया है. वह क्षैतिज आरक्षण में पहले भी नौकरी पा चुका है. उन्होंने कहा कि जिस तरह से मीडिया में बिना पक्ष लगाए उन्हें बदनाम किया जा रहा है, उसका जवाब वो कोर्ट के माध्यम से देंगे.