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पावर सीज होने पर भी कुलपति ने कर दिया खेल, BJP नेता को कर दिया सरकारी आवास आवंटित - कुलपति डॉ. तेज प्रताप

पंतनगर विश्वविद्यालय के कुलपति ने पावर सीज होने के बावजूद विशेषाधिकार का उपयोग कर दो लोगों को आवास आवंटित कर दिया. इसकी जानकारी विवि के कर्मचारियों को लगी तो कर्मचारी आदेश के खिलाफ धरने पर बैठक गए. इसके बाद कुलपति को आदेश वापस लेना पड़ा.

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रुद्रपुर
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Published : Oct 6, 2021, 10:15 PM IST

रुद्रपुरः पंतनगर कृषि विश्वविद्यालय में कुलपति की पावर सीज होने के बाद भी विशेषाधिकार का प्रयोग करते हुए एक रसूखदार नेता व एक दुकानदार को प्रोफेसरों को दिए जाने वाले आवास आवंटित कर दिए गए. वहीं, विश्वविद्यालय के कर्मचारियों के विरोध के बाद वीसी को अपना आदेश रद्द करना पड़ा है.

पंतनगर कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति की सभी शक्तियां तीन पहले सीज हो जाने के बाद भी कुलपति द्वारा विशेषाधिकार का प्रयोग करते हुए प्रोफेसरो को आवंटित होने वाले आवास को भाजपा के जिला महामंत्री विवेक सक्सेना और एक अन्य व्यक्ति को आवंटित कर दिया गया.

इस बात की जानकारी अन्य कर्मचारियों को मिली तो कर्मचारी कुलपति कार्यालय में धरने में बैठ गए. कई घंटों के हाईवोल्टेज ड्रामे के बाद कुलपति तेज प्रताप द्वारा वर्ष 2015 में जारी आदेश का हवाला देते हुए दोनों आवंटित आवासों के आदेश को रद्द कर दिया गया.

दरअसल कुलपति डॉ. तेज प्रताप का पंतनगर विवि में अब मात्र एक सप्ताह का ही कार्यकाल शेष बचा है. नियमानुसार राजभवन ने 3 महीने पहले उनकी पावर भी सीज कर दी थी. साल 1978 में स्वरोजगार के तहत निर्माण एवं संयंत्र विभाग के पंजीकृत 16 ठेकेदारों को परिसर में दो-दो कमरों का आवास मुहैया कराया गया था. जिनका किराया, बिजली व पानी विवि की निर्धारित दरों पर ही ठेकेदारों को जमा करना था.

ये भी पढ़ेंः पंतनगर विवि में कल से 3 दिवसीय किसान मेले का आयोजन, कोविड नियमों के चलते बदलीं हैं कई व्यवस्थाएं

18 जून 2015 को आयोजित विवि प्रबंध परिषद की 225वीं बैठक में पारित संकल्प के तहत 29 जून 2015 को सभी 16 आवासों के आवंटन रद्द कर दिए गए. चूंकि इन आवासों का आवंटन निरस्त हो चुका है. अब विश्वविद्यालय न ही इन लोगों से आवास खाली करा पाया है और न ही किराया वसूल पाया है. मौजूदा समय में इन सभी आवासों में ठेकेदारों द्वारा डेरा डाल हुआ है.

विश्वविद्यालय को लगा चुके करोड़ों का चूनाः आवास निरस्तीकरण को 6 साल से अधिक का समय गुजर चुका है. लेकिन विश्वविद्यालय ना ही आवास खाली करा पाया है और न ही किराया वसूल पाया है. नियमानुसार आवास निरस्त होने से पहले माह सामान्य किराया, इसके बाद अगले दो माह तक 32 गुना, उसके अगले दो माह 64 गुना व उसके बाद 128 गुना किराया देना होता है. इस नियम के तहत एक ठेकेदार पर 75 माह में 18.50 लाख रूपए, यानी 16 ठेकेदारों पर लगभग तीन करोड़ रूपए केवल किराया बकाया है. यही नहीं, बिजली पानी के बिल का भुगतान भी जस के तस पड़ा हुआ हैं.

रुद्रपुरः पंतनगर कृषि विश्वविद्यालय में कुलपति की पावर सीज होने के बाद भी विशेषाधिकार का प्रयोग करते हुए एक रसूखदार नेता व एक दुकानदार को प्रोफेसरों को दिए जाने वाले आवास आवंटित कर दिए गए. वहीं, विश्वविद्यालय के कर्मचारियों के विरोध के बाद वीसी को अपना आदेश रद्द करना पड़ा है.

पंतनगर कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति की सभी शक्तियां तीन पहले सीज हो जाने के बाद भी कुलपति द्वारा विशेषाधिकार का प्रयोग करते हुए प्रोफेसरो को आवंटित होने वाले आवास को भाजपा के जिला महामंत्री विवेक सक्सेना और एक अन्य व्यक्ति को आवंटित कर दिया गया.

इस बात की जानकारी अन्य कर्मचारियों को मिली तो कर्मचारी कुलपति कार्यालय में धरने में बैठ गए. कई घंटों के हाईवोल्टेज ड्रामे के बाद कुलपति तेज प्रताप द्वारा वर्ष 2015 में जारी आदेश का हवाला देते हुए दोनों आवंटित आवासों के आदेश को रद्द कर दिया गया.

दरअसल कुलपति डॉ. तेज प्रताप का पंतनगर विवि में अब मात्र एक सप्ताह का ही कार्यकाल शेष बचा है. नियमानुसार राजभवन ने 3 महीने पहले उनकी पावर भी सीज कर दी थी. साल 1978 में स्वरोजगार के तहत निर्माण एवं संयंत्र विभाग के पंजीकृत 16 ठेकेदारों को परिसर में दो-दो कमरों का आवास मुहैया कराया गया था. जिनका किराया, बिजली व पानी विवि की निर्धारित दरों पर ही ठेकेदारों को जमा करना था.

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18 जून 2015 को आयोजित विवि प्रबंध परिषद की 225वीं बैठक में पारित संकल्प के तहत 29 जून 2015 को सभी 16 आवासों के आवंटन रद्द कर दिए गए. चूंकि इन आवासों का आवंटन निरस्त हो चुका है. अब विश्वविद्यालय न ही इन लोगों से आवास खाली करा पाया है और न ही किराया वसूल पाया है. मौजूदा समय में इन सभी आवासों में ठेकेदारों द्वारा डेरा डाल हुआ है.

विश्वविद्यालय को लगा चुके करोड़ों का चूनाः आवास निरस्तीकरण को 6 साल से अधिक का समय गुजर चुका है. लेकिन विश्वविद्यालय ना ही आवास खाली करा पाया है और न ही किराया वसूल पाया है. नियमानुसार आवास निरस्त होने से पहले माह सामान्य किराया, इसके बाद अगले दो माह तक 32 गुना, उसके अगले दो माह 64 गुना व उसके बाद 128 गुना किराया देना होता है. इस नियम के तहत एक ठेकेदार पर 75 माह में 18.50 लाख रूपए, यानी 16 ठेकेदारों पर लगभग तीन करोड़ रूपए केवल किराया बकाया है. यही नहीं, बिजली पानी के बिल का भुगतान भी जस के तस पड़ा हुआ हैं.

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