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चैती शक्तिपीठ पहुंचा मां बाल सुंदरी का डोला, 52 शक्तिपीठों में से एक है ये मंदिर

प्रसिद्ध चैती मेले में मां का डोला स्थानीय वाद्ययंत्रों की थाप के साथ धूमधाम से काशीपुर से 5 किलोमीटर दूर मां बाल सुंदरी भवन पहुंचा. इस दौरान स्थानीय लोगों के साथ ही दूर-दूर से श्रद्धालु पहुंचे.

मां बाल सुंदरी का डोला.
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Published : Apr 13, 2019, 9:20 AM IST

Updated : Apr 13, 2019, 9:25 AM IST

काशीपुर: कुमाऊं में मां बाल सुंदरी देवी मंदिर में लगने वाले चैती मेले का आगाज हो गया है. जहां श्रद्धालु मां बाल सुंदरी देवी की सच्चे मन से उपासना कर रहे हैं. प्रकृति की गोद में बसे मां बाल सुंदरी देवी मंदिर को 52 शक्तिपीठों में एक माना जाता है, जहां हर वर्ष चैती मेला लगता है. वहीं मेले में पुलिस-प्रशासन ने सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए हुए हैं.

मां बाल सुंदरी का डोला.

प्रसिद्ध चैती मेले में मां का डोला स्थानीय वाद्ययंत्रों की थाप के साथ धूमधाम से काशीपुर से 5 किलोमीटर दूर मां बाल सुंदरी भवन पहुंचा. इस दौरान स्थानीय लोगों के साथ ही दूर-दूर से श्रद्धालु पहुंचे. वहीं हर भक्त मां की भक्ति में सराबोर दिखाई दिया. मां बाल सुंदरी की स्वर्ण प्रतिमा मंदिर पहुंचते ही भक्तों की भीड़ प्रसाद चढ़ाने के लिए चैती मेले में उमड़ रही है. मां का डोला पांच दिन यहां रहने के बाद वापस धूमधाम के साथ वापस नगर मंदिर पहुंचेगा. वहीं सहायक पंडा मनोज अग्निहोत्री के मुताबिक चैत्र मास की अष्टमी पूजन मध्यरात्रि में ही होता है.

इसके बाद मां का डोला 3:20 बजे नगर मंदिर से चलकर 4:30 बजे मंदिर भवन में पहुंचा. इससे पहले देर रात्रि 10 बजे से 12 बजे तक मां की प्रतिमा को भक्तों के दर्शन के लिए रखा गया. 2:30 बजे तक मोहल्ला पक्काकोट में दूरदराज से लोग आये और मां के दर्शन किए. चैती मंदिर से 17-18 अप्रैल को चतुर्दशी की मध्यरात्रि को विधिविधान के साथ पूजा-अर्चना के बाद नगर मंदिर में वापस लौटेगा.

पौराणिक मान्यता है कि यहां मां सती की बाईं भुजा गिरी थी इसीलिए यहां चैती शक्ति पीठ बन गया. माना जाता है शक्तिपीठ होने के कारण यह स्थान जाग्रत है. जहां हर साल लाखों श्रद्धालु शीष नवाने आते हैं.

काशीपुर: कुमाऊं में मां बाल सुंदरी देवी मंदिर में लगने वाले चैती मेले का आगाज हो गया है. जहां श्रद्धालु मां बाल सुंदरी देवी की सच्चे मन से उपासना कर रहे हैं. प्रकृति की गोद में बसे मां बाल सुंदरी देवी मंदिर को 52 शक्तिपीठों में एक माना जाता है, जहां हर वर्ष चैती मेला लगता है. वहीं मेले में पुलिस-प्रशासन ने सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए हुए हैं.

मां बाल सुंदरी का डोला.

प्रसिद्ध चैती मेले में मां का डोला स्थानीय वाद्ययंत्रों की थाप के साथ धूमधाम से काशीपुर से 5 किलोमीटर दूर मां बाल सुंदरी भवन पहुंचा. इस दौरान स्थानीय लोगों के साथ ही दूर-दूर से श्रद्धालु पहुंचे. वहीं हर भक्त मां की भक्ति में सराबोर दिखाई दिया. मां बाल सुंदरी की स्वर्ण प्रतिमा मंदिर पहुंचते ही भक्तों की भीड़ प्रसाद चढ़ाने के लिए चैती मेले में उमड़ रही है. मां का डोला पांच दिन यहां रहने के बाद वापस धूमधाम के साथ वापस नगर मंदिर पहुंचेगा. वहीं सहायक पंडा मनोज अग्निहोत्री के मुताबिक चैत्र मास की अष्टमी पूजन मध्यरात्रि में ही होता है.

इसके बाद मां का डोला 3:20 बजे नगर मंदिर से चलकर 4:30 बजे मंदिर भवन में पहुंचा. इससे पहले देर रात्रि 10 बजे से 12 बजे तक मां की प्रतिमा को भक्तों के दर्शन के लिए रखा गया. 2:30 बजे तक मोहल्ला पक्काकोट में दूरदराज से लोग आये और मां के दर्शन किए. चैती मंदिर से 17-18 अप्रैल को चतुर्दशी की मध्यरात्रि को विधिविधान के साथ पूजा-अर्चना के बाद नगर मंदिर में वापस लौटेगा.

पौराणिक मान्यता है कि यहां मां सती की बाईं भुजा गिरी थी इसीलिए यहां चैती शक्ति पीठ बन गया. माना जाता है शक्तिपीठ होने के कारण यह स्थान जाग्रत है. जहां हर साल लाखों श्रद्धालु शीष नवाने आते हैं.

Intro:हर साल की तरह इस बार भी काशीपुर में चैत्र चैत्र मास में लगने वाले कुमाऊॅ के प्रसिद्ध चैती मेले में आज मां बाल सुंदरी का डोला आज तड़के ढोल धमाकों की थाप और गाजे बाजे के साथ धूमधाम के साथ माँ के जयकारों के बीच काशीपुर से 5 किलोमीटर दूर मां बाल सुंदरी भवन चैती मंदिर में पहुॅचा। इस मौके पर पुलिस प्रशासन की तरफ से सुरक्षा के खास इंतजाम किए गए थे


Body:मां बाल सुंदरी की स्वर्ण प्रतिमा को लेकर गाजे बाजे एवं ढोल नगाडों के साथ पंडा मनोज अग्निहोत्री मां के नगर मंदिर मोहल्ला पक्काकोट से हजारों भक्तों के रैले के साथ पालकी में लेकर चैती मेला भवन पहुॅचे। मां बाल सुंदरी की स्वर्ण प्रतिमा मां के भवन में पहुॅचते ही भक्तों की भीड प्रसाद चढाने के लिए चैती मेले में उमड पडी। मां का डोला पांच दिन यहां रहने के बाद वापस धूमधडाके के साथ वापस नगर मंदिर पहुॅचेगा। मनोज अग्निहोत्री के मुताबिक़ चैत्र मॉस की अष्टमी पूजन मध्यरात्रि में ही होता है ! इसके बाद माँ का डोला 3:20 बजे नगर मंदिर से चलकर 4:30 बजे मंदिर भवन में पहुंचा ! इससे पहले देर रात्रि 10 बजे से 12 बजे तक माँ की प्रतिमा भक्तों के दर्शन के लिए रखी गयी ! 2:30 बजे तक मोहल्ला पक्काकोट में दूरदराज से आये श्रद्धालुओं ने मां के दर्शन किये ! इस दौरान भक्त माँ की भक्ति में पूर्णतः सराबोर दिखे ! जहाँ जहां माँ के अंग गिरे वहां शक्ति पीठ बन गए यहाँ माँ की बायीं भुजा गिरी थी इसीलिए यह भी एक शक्ति पीठ चैती मंदिर है ! शक्ति पीठ होने के कारण यह स्थान जाग्रत है ! चैती मंदिर से 17-18 अप्रैल को चतुर्दशी की मध्यरात्रि को विधिविधान के साथ पूजा अर्चना के बाद नगर मंदिर में वापस लौटेगा ! आज अष्टमी के दिन दूर-दराज से आकर श्रद्धालु प्रसाद चढ़ाएंगे ! सुरक्षा की दृष्टि से यात्रा में काफी मात्रा में पुलिस बल तैनात था !  मां का डोला नगर के मोहल्ला पक्का कोट स्थित नगर मंदिर से शुरू होकर मनसा देवी रोड, मुख्य बाजार, नगर निगम रोड, महाराणा प्रताप चौक, द्रोणा सागर के पीछे टीले वाली रोड से होते हुए से होते हुए चैती मंदिर पहुंचा।

बाइट- टीकम सिंह, बिजनौर से आए श्रद्धालु
बाइट- महिपाल, हापुड़ से आए श्रद्धालु
बाइट- विजेंद्र सिंह, स्थानीय श्रद्धालु
बाइट- डॉ जगदीश चंद्र, अपर पुलिस अधीक्षक
बाइट- पंडा मनोज कुमार अग्निहोत्री,सहायक पंडा


Conclusion:
Last Updated : Apr 13, 2019, 9:25 AM IST
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