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फाल्गुनी कांवड़ यात्रा को लेकर शिव भक्तों में भारी उत्साह, महंगाई का दिखा असर

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Published : Feb 19, 2022, 7:18 PM IST

Updated : Feb 19, 2022, 7:49 PM IST

श्रावण व फाल्गुन मास में साल में दो बार कांवड़ यात्रा होती है. श्रावण मास की यात्रा का धार्मिक महत्व ज्यादा माना जाता है. फाल्गुनी कांवड़ में पहले कम कांवड़िए पहुंचते थे, लेकिन फाल्गुनी कांवड़ को लेकर भी अब शिव भक्तों में उत्साह देखा जा रहा है. काशीपुर में भी कारीगर कांवड़ के ढांचे तैयार करने में जुटे हैं, उन्हें उम्मीद है कि इस बार उनकी आमदनी अच्छी होगी. क्योंकि, कोरोना काल में कांवड़ यात्रा प्रभावित रही है.

falgun Kanwar yatra
फाल्गुनी कांवड़ यात्रा

काशीपुरः आगामी 1 मार्च को महाशिवरात्रि का पर्व मनाया जाएगा. जिसको लेकर हरिद्वार से गंगाजल कांवड़ पर रखकर लाने वाले कांवड़ियों का उत्साह अपने चरम पर है. काशीपुर में कांवड़ बनाने वाले कारीगर भी दोगुने उत्साह के साथ कांवड़ बनाने में जुटे हैं. वहीं, महंगाई के बावजूद कांवड़िए भी अपनी मनपसंद की कांवड़ों को खरीदने में जुटे हुए हैं.

बता दें कि हर साल काशीपुर और आसपास के क्षेत्र से हरिद्वार से गंगाजल लेकर जाने वाले कांवड़ियों की संख्या काफी ज्यादा रहती है. कांवड़ियों के इसी उत्साह में बीते 35 सालों से चार चांद लगा रहे हैं, कांवड़ के ढांचे बनाने वाले अमरनाथ यादव और उनका परिवार.

फाल्गुनी कांवड़ यात्रा को लेकर शिव भक्तों में भारी उत्साह.

अमरनाथ यादव के मुताबिक, वो महाशिवरात्रि से दो से ढाई महीने पहले से ही उनका परिवार कांवड़ के ढांचे तैयार करने में जुट जाते हैं. उनके मुताबिक बांस, सुतली, टूल, पतली डंडी, गोटा, लाल कपड़ा, टोकरी आदि सामान की जरूरत होती है. ऐसे में लागत बढ़ने से कांवड़ की कीमतों में काफी उछाल आ गया है.

ये भी पढ़ेंः कोरोना काल में काम धंधा हुआ बर्बाद, व्यापारियों को कांवड़ यात्रा से आस

जो कांवड़ पहले डेढ़ ₹150 से ₹200 तक की मिलती थी. इसके अलावा बैकुंठी कांवड़ जो पहले डेढ़ सौ रुपए की मिलती थी, वो ₹400 में उपलब्ध है. वहीं, खड़ी और झूलेश्री कांवड़ की कीमतों मे भी दोगुनी वृद्धि हो गई है. हरिद्वार कावड़ लेने जाने वाले शिव भक्त शुभम के मुताबिक, उन्हें कांवड़ लाते हुए 10 साल हो गए हैं.

उनके मुताबिक पहले बैकुंठी कांवड़ के ढांचे 150 रुपए में मिल जाते थे, वहीं अब बैकुंठी कांवड़ के ढांचे ₹400 की कीमत में बाजार में उपलब्ध है. जहां पहले ₹500 में पूरी कांवड़ लेकर वापस घर आ जाते थे, अब केवल ₹500 में कांवड़ के ढांचे और सजावट का सामान ही मिल पाता है.

ये भी पढ़ेंः भोजपुरी गायिका अक्षरा का एक और कांवड़ गीत वायरल

बाजपुर से कांवड़ का ढांचा लेने आए शिव भक्त अनिकेत का कहना है कि पहले कांवड़ के ढांचे 250 रुपए में मिल जाते थे, लेकिन अब महंगाई होने की वजह से 400 से 500 रुपए के मिल रहे हैं. जहां शिवभक्त खुद भी कांवड़ के ढांचे तैयार करके हरिद्वार के लिए रवाना होते हैं तो वहीं आधुनिकता के दौर में बाजार में कांवड़ के ढांचे मिलने से शिव भक्तों को किसी भी तरह की दिक्कत नहीं होती है. वहीं, उनका समय भी कांवड़ के ढांचे को तैयार करने में बच जाता है.

काशीपुरः आगामी 1 मार्च को महाशिवरात्रि का पर्व मनाया जाएगा. जिसको लेकर हरिद्वार से गंगाजल कांवड़ पर रखकर लाने वाले कांवड़ियों का उत्साह अपने चरम पर है. काशीपुर में कांवड़ बनाने वाले कारीगर भी दोगुने उत्साह के साथ कांवड़ बनाने में जुटे हैं. वहीं, महंगाई के बावजूद कांवड़िए भी अपनी मनपसंद की कांवड़ों को खरीदने में जुटे हुए हैं.

बता दें कि हर साल काशीपुर और आसपास के क्षेत्र से हरिद्वार से गंगाजल लेकर जाने वाले कांवड़ियों की संख्या काफी ज्यादा रहती है. कांवड़ियों के इसी उत्साह में बीते 35 सालों से चार चांद लगा रहे हैं, कांवड़ के ढांचे बनाने वाले अमरनाथ यादव और उनका परिवार.

फाल्गुनी कांवड़ यात्रा को लेकर शिव भक्तों में भारी उत्साह.

अमरनाथ यादव के मुताबिक, वो महाशिवरात्रि से दो से ढाई महीने पहले से ही उनका परिवार कांवड़ के ढांचे तैयार करने में जुट जाते हैं. उनके मुताबिक बांस, सुतली, टूल, पतली डंडी, गोटा, लाल कपड़ा, टोकरी आदि सामान की जरूरत होती है. ऐसे में लागत बढ़ने से कांवड़ की कीमतों में काफी उछाल आ गया है.

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जो कांवड़ पहले डेढ़ ₹150 से ₹200 तक की मिलती थी. इसके अलावा बैकुंठी कांवड़ जो पहले डेढ़ सौ रुपए की मिलती थी, वो ₹400 में उपलब्ध है. वहीं, खड़ी और झूलेश्री कांवड़ की कीमतों मे भी दोगुनी वृद्धि हो गई है. हरिद्वार कावड़ लेने जाने वाले शिव भक्त शुभम के मुताबिक, उन्हें कांवड़ लाते हुए 10 साल हो गए हैं.

उनके मुताबिक पहले बैकुंठी कांवड़ के ढांचे 150 रुपए में मिल जाते थे, वहीं अब बैकुंठी कांवड़ के ढांचे ₹400 की कीमत में बाजार में उपलब्ध है. जहां पहले ₹500 में पूरी कांवड़ लेकर वापस घर आ जाते थे, अब केवल ₹500 में कांवड़ के ढांचे और सजावट का सामान ही मिल पाता है.

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बाजपुर से कांवड़ का ढांचा लेने आए शिव भक्त अनिकेत का कहना है कि पहले कांवड़ के ढांचे 250 रुपए में मिल जाते थे, लेकिन अब महंगाई होने की वजह से 400 से 500 रुपए के मिल रहे हैं. जहां शिवभक्त खुद भी कांवड़ के ढांचे तैयार करके हरिद्वार के लिए रवाना होते हैं तो वहीं आधुनिकता के दौर में बाजार में कांवड़ के ढांचे मिलने से शिव भक्तों को किसी भी तरह की दिक्कत नहीं होती है. वहीं, उनका समय भी कांवड़ के ढांचे को तैयार करने में बच जाता है.

Last Updated : Feb 19, 2022, 7:49 PM IST
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