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किसान अपनी धान बिचौलियों को बेचने के लिए मजबूर हैं खटीमा में

प्रदेश सरकार द्वारा खटीमा क्षेत्र से तीन लाख कुंटल से अधिक धान खरीद का लक्ष्य रखा गया है. किसानों का कहना है कि वह आज भी अपना धान बिचौलियों को बेचने को मजबूर हैं.

सरकार के प्रयासों के बावजूद बिचौलियों को धान बेचने मजबूर किसान.
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Published : Oct 23, 2019, 4:19 PM IST

Updated : Oct 23, 2019, 4:43 PM IST

खटीमा: प्रदेश की सरकार द्वारा भले ही एक अक्टूबर से किसानों के धान की खरीद के लिए खटीमा क्षेत्र में 47 सरकारी धान खरीद केंद्र खोलकर धान की खरीद शुरू कर दी गई है. लेकिन किसान अभी भी बिचौलियों को धान बेचने पर मजबूर हैं. सरकार की इस बेरूखी से किसान हैरान है कि एक तरफ तो प्रधानमंत्री का कहना है कि देश के किसानों की आय दोगुना करना है 2020 तक वही दूसरी तरफ किसानो को जरूरी सुविधा देने मे पिछड रही है.

बता दें कि प्रदेश सरकार द्वारा खटीमा क्षेत्र से तीन लाख कुंटल से अधिक धान के खरीद का लक्ष्य रखा है.वहीं, अभी तक सरकारी कांटो पर बमुश्किल 30,000 क्वीटल धान की खरीद हो पाई है.

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किसान आयोग के उपाध्यक्ष सरदार राजपाल सिंह के अनुसार एक अक्टूबर से सरकारी धान क्रय केंद्र शुरू कर दिए गए थे. इन क्रय केंद्रों में 17 प्रतिशत तक
की नमी वाला धान खरीदा जा रहा है.

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साथ ही कच्चा आढ़तियो व राइस मिलर को लाइसेंस देकर मंडी समितियों में किसानों का 17 प्रतिशत से अधिक नमी का धान खुली बोली के द्वारा खरीदने की व्यवस्था की गई है ताकि किसान अपना धान मंडी में लाए तो उसे वापस न जाना पड़े.

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17% से अधिक नमी का धान खरीदते समय कच्चे आढ़ती मानक के अनुसार धान में प्रति कुंटल में कटौती भी कर रहे हैं. साथ ही इस बार ऑनलाइन किसान की धान की खरीद की जा रही है और धान खरीद के 48 घंटे के अंदर किसान को उसके धान की कीमत भी दी जा रही है.

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वहीं, किसानों का कहना है कि वह आज भी अपना धान बिचौलियों को बेचने को मजबूर हैं . उनका कहना है कि सरकार ने एक अक्टूबर से धान खरीदने के लिए धान क्रय केंद्र तो खोल दिए हैं लेकिन वहां पर कोई भी व्यवस्था नहीं है न तो धान सुखाने के लिए फड़ की व्यवस्था की गई है और ना ही पंखे की व्यवस्था है.

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किसानों का कहना है कि जब भी वह धान लेकर सरकारी धान क्रय केंद्र पर जाते हैं 17 प्रतिशत से अधिक नमी बताकर खरीदने से मना कर दिया जाता है. जिस कारण उन्हें मजबूरी में कच्चे आढती को या बिचौलियों को सस्ते दाम पर धान बेचना पड़ता है.

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धान क्रय केंद्र के व्यवस्थापक का कहना है कि 20 सितंबर से धान क्रय केंद्र खोल दिए गए थे और एक अक्टूबर से धान क्रय केंद्रों पर बारदाना भी आ गए था. जिसके बाद से धान खरीद शुरू कर दी गई थी. लेकिन अभी तक किसानों का जो धान धान -क्रय केंद्रों पर वह 17 परसेंट से भी ज्यादा नमी वाला है.

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केंद्र के व्यवस्थापक ने कहा की वह 17 परसेंट से भी ज्यादा नमी वाला सरकारी धान क्रय केंद्रों पर धान नहीं खरीदा जा रहा है. उन्होंने कहा कि 17 प्रतिशत से अधिक नमी वाला धान मंडी समितियों में कच्चे आढ़तियों और राइस मिलर द्वारा खुली बोली लगाकर खरीदा जा रहा है.

खटीमा: प्रदेश की सरकार द्वारा भले ही एक अक्टूबर से किसानों के धान की खरीद के लिए खटीमा क्षेत्र में 47 सरकारी धान खरीद केंद्र खोलकर धान की खरीद शुरू कर दी गई है. लेकिन किसान अभी भी बिचौलियों को धान बेचने पर मजबूर हैं. सरकार की इस बेरूखी से किसान हैरान है कि एक तरफ तो प्रधानमंत्री का कहना है कि देश के किसानों की आय दोगुना करना है 2020 तक वही दूसरी तरफ किसानो को जरूरी सुविधा देने मे पिछड रही है.

बता दें कि प्रदेश सरकार द्वारा खटीमा क्षेत्र से तीन लाख कुंटल से अधिक धान के खरीद का लक्ष्य रखा है.वहीं, अभी तक सरकारी कांटो पर बमुश्किल 30,000 क्वीटल धान की खरीद हो पाई है.

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किसान आयोग के उपाध्यक्ष सरदार राजपाल सिंह के अनुसार एक अक्टूबर से सरकारी धान क्रय केंद्र शुरू कर दिए गए थे. इन क्रय केंद्रों में 17 प्रतिशत तक
की नमी वाला धान खरीदा जा रहा है.

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साथ ही कच्चा आढ़तियो व राइस मिलर को लाइसेंस देकर मंडी समितियों में किसानों का 17 प्रतिशत से अधिक नमी का धान खुली बोली के द्वारा खरीदने की व्यवस्था की गई है ताकि किसान अपना धान मंडी में लाए तो उसे वापस न जाना पड़े.

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17% से अधिक नमी का धान खरीदते समय कच्चे आढ़ती मानक के अनुसार धान में प्रति कुंटल में कटौती भी कर रहे हैं. साथ ही इस बार ऑनलाइन किसान की धान की खरीद की जा रही है और धान खरीद के 48 घंटे के अंदर किसान को उसके धान की कीमत भी दी जा रही है.

यह भी पढे़ं-मसूरी: तूल पकड़ने लगा पालिकाध्यक्ष से अभद्रता का मामला, कल बंद का आह्वान

वहीं, किसानों का कहना है कि वह आज भी अपना धान बिचौलियों को बेचने को मजबूर हैं . उनका कहना है कि सरकार ने एक अक्टूबर से धान खरीदने के लिए धान क्रय केंद्र तो खोल दिए हैं लेकिन वहां पर कोई भी व्यवस्था नहीं है न तो धान सुखाने के लिए फड़ की व्यवस्था की गई है और ना ही पंखे की व्यवस्था है.

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किसानों का कहना है कि जब भी वह धान लेकर सरकारी धान क्रय केंद्र पर जाते हैं 17 प्रतिशत से अधिक नमी बताकर खरीदने से मना कर दिया जाता है. जिस कारण उन्हें मजबूरी में कच्चे आढती को या बिचौलियों को सस्ते दाम पर धान बेचना पड़ता है.

यह भी पढे़ं-मसूरी: तूल पकड़ने लगा पालिकाध्यक्ष से अभद्रता का मामला, कल बंद का आह्वान

धान क्रय केंद्र के व्यवस्थापक का कहना है कि 20 सितंबर से धान क्रय केंद्र खोल दिए गए थे और एक अक्टूबर से धान क्रय केंद्रों पर बारदाना भी आ गए था. जिसके बाद से धान खरीद शुरू कर दी गई थी. लेकिन अभी तक किसानों का जो धान धान -क्रय केंद्रों पर वह 17 परसेंट से भी ज्यादा नमी वाला है.

यह भी पढे़ं-धनतेरस विशेष: सोना-चांदी खरीदने से पहले जान लें ये बात, नहीं तो कट जाएगी जेब

केंद्र के व्यवस्थापक ने कहा की वह 17 परसेंट से भी ज्यादा नमी वाला सरकारी धान क्रय केंद्रों पर धान नहीं खरीदा जा रहा है. उन्होंने कहा कि 17 प्रतिशत से अधिक नमी वाला धान मंडी समितियों में कच्चे आढ़तियों और राइस मिलर द्वारा खुली बोली लगाकर खरीदा जा रहा है.

Intro:summary- सरकार द्वारा लाख दावों के बावजूद किसान अपने ध्यान को बिचौलियों को कम दाम पर बेचने को है मजबूर। नवमी का बहाना बनाकर सरकारी धान क्रय केंद्रों पर नहीं हो पा रही है किसानों की धान की तुलाई।

नोट-खबर एफटीपी में - dhaan kisano ki pida- नाम के फोल्डर में है।

एंकर- प्रदेश सरकार द्वारा एक अक्टूबर से धान क्रय केंद्र खोल धान खरीद शुरू करने के दावे के बावजूद सरकारी धान क्रय केंद्रों पर नहीं तुल रहा है किसानों का धान। धान क्रय केंद्रों पर धान को सुखाने की नहीं है कोई भी व्यवस्था। जिसके चलते बिचौलियों और कच्चे आढ़तियों को धान बेचने को है किसान मजबूर।


Body:वीओ- प्रदेश की सरकार द्वारा भले ही एक अक्टूबर से किसानों के धान की खरीद के लिए खटीमा क्षेत्र में 47 सरकारी धान खरीद केंद्र खोलकर धान की खरीद शुरू कर है। लेकिन किसान अभी भी बिचौलियों को धान बेचने पर मजबूर है।
किसान आयोग के उपाध्यक्ष सरदार राजपाल सिंह के अनुसार एक अक्टूबर से सरकारी धान क्रय केंद्र शुरू कर दिए गए थे। इन धान क्रय केंद्रों में 17 परसेंट की नमी वाला धान खरीदा जा रहा है। साथ ही कच्चा आढ़तियो व राइस मिलर को लाइसेंस देकर मंडी समितियों में किसानों का 17 प्रतिशत से अधिक नमी का धान खुली बोली के द्वारा खरीदने की व्यवस्था की गई है। ताकि किसान अपना धान मंडी में लाए तो उसे वापस ना जाना पड़े। 17% से अधिक नमी का धान खरीदते समय कच्चे आढ़ती मानक के अनुसार धान में पर कुंटल में कटौती भी कर रहे हैं। साथ ही इस बार ऑनलाइन किसान की धान की खरीद की जा रही है। और धान खरीद के 48 घंटे के अंदर किसान को उसके धान की कीमत भी दी जा रही है।

बाइट-सरदार राजपाल सिंह उपाध्यक्ष किसान आयोग उत्तराखंड सरकार

वीओ 2- वही किसानों का कहना है कि वह आज भी अपना धान बिचौलियों को बेचने को मजबूर है । क्योंकि सरकार ने एक अक्टूबर से धान खरीदने के लिए धान क्रय तो खोल दिए हैं। लेकिन वहां पर कोई भी व्यवस्था नहीं है ना तो धान सुखाने के लिए फड़ की व्यवस्था की गई है और ना ही पंखे की व्यवस्था की गई है।और जब भी वह धान लेकर सरकारी धान क्रय केंद्र पर जाते हैं तो 17 पर्सेंट से अधिक नमी बताकर खरीदने से मना कर दिया जाता है जिस कारण उन्हें मजबूरी में कच्चे आढती को या बिचौलियों को सस्ते दामों पर धान बेचना पड़ता है।

बाइट- करमजीत सिंह किसान

वीओ 3- वही धान क्रय केंद्र के व्यवस्थापक का कहना है कि 20 सितंबर से धान क्रय केंद्र खोल दिए गए थे। और एक अक्टूबर से धान क्रय केंद्रों पर बारदाना भी आ गए था।जिसके बाद से धान खरीद शुरू कर दी गई थी परंतु अभी तक किसानों का जो धान धान क्रय केंद्रों पर आ रहा है वह 17 परसेंट से ज्यादा नमी वाला आ रहा है। जिस कारण सरकारी धान क्रय केंद्रों पर धान नहीं खरीदा जा रहा है। उनका 17 प्रतिशत से अधिक नमी वाला धान मंडी समितियों में कच्चे आढ़तियों और राइस मिलर द्वारा खुली बोली लगाकर खरीदा जा रहा है।

बाइट- ललित मोहन जोशी व्यवस्थापक धान क्रय केंद्र मंडी समिति खटीमा


Conclusion:फाइनल वीओ- प्रदेश सरकार द्वारा खटीमा क्षेत्र से तीन लाख कुंटल से अधिक धान खरीद का लक्ष्य रखा है। वही अभी तक सरकारी कांटो पर बमुश्किल तीस हजार कुंटल धान की खरीद हो पाई है। और जिस तरीके से धान क्रय केंद्रों पर धान की खरीद हो रही है उससे उसे लगता है सरकार द्वारा धान खरीद का निर्धारित लक्ष्य पूरा नहीं हो पाएगा।
Last Updated : Oct 23, 2019, 4:43 PM IST
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