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कोरोना ने छीनी फूलों की 'खुशबू', किसानों के चेहरे का उड़ा 'रंग'

किसानों ने बड़े अरमान से फूलों की खेती की थी. सोचा था शुभ मौकों पर उनके उगाए फूल खुशबू बिखेरेंगे. लेकिन बुरा हो इस मुए कोरोना का. कोरोना के कारण लॉकडाउन हो गया. किसानों के फूल खरीदने वाला कोई नहीं है.

बाजपुर
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Published : Apr 13, 2020, 10:14 AM IST

बाजपुर: कोरोना और इसके कारण लगे लॉकडाउन ने आर्थिक गतिविधियां बंद कर दी हैं. बिजनेसमैन से लेकर किसान तक परेशान हैं. बाजपुर में फूलों की खेती करने वाले किसान तो खून के आंसू रो रहे हैं. शादी समारोह सभी कैसिंल हो गए हैं. इस वजह से फूलों को कोई पूछ नहीं रहा है. महानगरों और बड़े शहरों में फूलों की खपत शून्य है. खेतों में खड़ी फूलों की फसल बर्बाद हो रही है.

बाजार में फूलों की मांग नहीं होने के कारण किसानों को लाखों रुपए का नुकसान हो चुका है. उनके सामने आर्थिक संकट खड़ा हो गया है. फूलों की फसल के सहारे उन्होंने कई उम्मीदें पाल रखी थीं. ये उम्मीदें अब टूटती हुई नजर आ रही हैं.

मकरंदपुर गांव के एक युवा किसान वीरू हालदार ने जमीन बंटाई पर लेकर पांच एकड़ भूमि में फूलों की खेती की थी. गेंदे के पौधे लगाए गए थे. फसल तैयार है, लेकिन बाजार में फूलों को कोई लेने को तैयार नहीं है. किसानों को मजबूरी में फूल तोड़कर गड्ढे में फेंकने पड़ रहे हैं.

पढ़ें- उत्तराखंड अपर स्वास्थ्य सचिव ने डिसइंफेक्शनल टनल के इस्तेमाल को बताया हानिकारक, जानिए क्यों

वीरू की मानें तो उनकी 15 लाख रुपए की फसल पूरी तरह बर्बाद हो चुकी है. यदि 14 अप्रैल को लॉकडाउन खुल जाता, तो उनकी लागत का कुछ हिस्सा निकल आता. वरना वो बर्बाद हो जाएंगे.

वीरू ने ऐसे समय में प्रशासन से भी मदद की गुहार लगाई थी, लेकिन प्रशासन ने भी हाथ खड़े कर दिए. वीरू के मुताबिक प्रशासन ने कहा कि उनको किसी प्रकार की छूट या मुआवजा नहीं मिलेगा. क्योंकि उनकी फसल कच्ची फसलों के रूप में गिनी जाती है.

बाजपुर: कोरोना और इसके कारण लगे लॉकडाउन ने आर्थिक गतिविधियां बंद कर दी हैं. बिजनेसमैन से लेकर किसान तक परेशान हैं. बाजपुर में फूलों की खेती करने वाले किसान तो खून के आंसू रो रहे हैं. शादी समारोह सभी कैसिंल हो गए हैं. इस वजह से फूलों को कोई पूछ नहीं रहा है. महानगरों और बड़े शहरों में फूलों की खपत शून्य है. खेतों में खड़ी फूलों की फसल बर्बाद हो रही है.

बाजार में फूलों की मांग नहीं होने के कारण किसानों को लाखों रुपए का नुकसान हो चुका है. उनके सामने आर्थिक संकट खड़ा हो गया है. फूलों की फसल के सहारे उन्होंने कई उम्मीदें पाल रखी थीं. ये उम्मीदें अब टूटती हुई नजर आ रही हैं.

मकरंदपुर गांव के एक युवा किसान वीरू हालदार ने जमीन बंटाई पर लेकर पांच एकड़ भूमि में फूलों की खेती की थी. गेंदे के पौधे लगाए गए थे. फसल तैयार है, लेकिन बाजार में फूलों को कोई लेने को तैयार नहीं है. किसानों को मजबूरी में फूल तोड़कर गड्ढे में फेंकने पड़ रहे हैं.

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वीरू की मानें तो उनकी 15 लाख रुपए की फसल पूरी तरह बर्बाद हो चुकी है. यदि 14 अप्रैल को लॉकडाउन खुल जाता, तो उनकी लागत का कुछ हिस्सा निकल आता. वरना वो बर्बाद हो जाएंगे.

वीरू ने ऐसे समय में प्रशासन से भी मदद की गुहार लगाई थी, लेकिन प्रशासन ने भी हाथ खड़े कर दिए. वीरू के मुताबिक प्रशासन ने कहा कि उनको किसी प्रकार की छूट या मुआवजा नहीं मिलेगा. क्योंकि उनकी फसल कच्ची फसलों के रूप में गिनी जाती है.

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