सितारगंज: केंद्रीय कारागार संपूर्णानंद शिविर से शिक्षक दिवस पर जो तस्वीर निकलकर सामने आयी है वो वाकई में सुखद एहसास देने वाली है. यहां जेल में बंद चार कैदी निरक्षर कैदियों को शिक्षा देने का काम कर रहे हैं. जेल में बंद ये चार कैदी 40 बंदियों को जेल में ही पढ़ा रहे हैं. इतना ही नहीं इस जेल के 10 बंदी ऐसे भी हैं, जिन्होंने हाईस्कूल के फार्म भरे हैं. इसके अलावा 2 इंटरमीडिएट की परीक्षा देने वाले हैं.
शिक्षित बंदी जेल में फैला रहे शिक्षा की रोशनी
जेल में निरक्षर कैदियों को साक्षर करने के लिए प्रौढ़ शिक्षा कार्यक्रम के अंतर्गत कक्षाएं संचालित होती हैं. जिसमें करीब 40 निरक्षर कैदियों को हर रोज सुबह आठ बजे से दस बजे और शाम दो बजे से पांच बजे तक पढ़ाया जाता है. इससे कल तक अंगूठा लगाने वाले ये कैदी अब फाइलों पर अपने हस्ताक्षर करने लगे हैं. इसके साथ ही इन कैदियों को पढ़ना-लिखना भी आ गया है. जेल प्रशासन ने कैदियों को शिक्षित करने के लिए अब उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय से मान्यता ले ली है.
12 कैदी देंगे बोर्ड परीक्षा
वहीं सितारगंज की सेंट्रल जेल में पहली बार 12 कैदी बोर्ड परीक्षाओं में बैठने जा रहे हैं. इनमें हाईस्कूल में दस और इंटर के लिए दो कैदियों ने एनआईओएस में दाखिला लिया है. इन्हें बोर्ड परीक्षा की तैयारी जेल में ही सजा काट रहे स्नातक एवं परास्नातक तक शिक्षित कैदी करा रहे हैं. बलबंत सिंह, गुलाब सिंह, गेंदल लाल और गुड्डू सिंह नाम के चारों कैदी जेल में रहकर शिक्षक की भूमिका अदा कर रहे हैं. बैंक अफसर से लेकर निजी सेक्टर में जॉब करके आए इन बंदियों ने जेल में शिक्षा की रोशनी फैलाने का बीड़ा उठाया है.
NIOS से मिलीं किताबें
कला वर्ग की बोर्ड परीक्षा में दाखिला लेने के लिए हाईस्कूल और इंटर के कैदियों को दोपहर 12 से शाम पांच बजे तक जेल में कक्षाएं लगाकर पढ़ाया जा रहा है. इन कैदियों को एनआईओएस से किताबें एवं अन्य पठन सामग्री दी गई हैं. जिससे की इनकी पढ़ाई में कोई व्यवधान न आये. इसके लिए बाकायदा जेल में हर रोज कक्षाएं संचालित होती हैं और रात को कैदी भी सेल्फ स्टडी में लगे हैं.