टिहरीः बीते दो महीने से विस्थापन की मांग को लेकर रौलाकोट एवं भल्डियाना पुनर्वास संघर्ष समिति तले महिलाएं धरने पर बैठी हैं. आज धरने पर बैठी एक महिला की तबीयत अचानक खराब हो गई, लेकिन किसी ने उसकी सुध नहीं ली. परिजनों ही उसे नजदीकी अस्पताल पहुंचाया, जहां पर उपचार किया गया. वहीं, कड़ाके की ठंड में भी महिलाएं धरने पर डटीं हैं.
दरअसल, टिहरी में पुनर्वास कार्यालय के बाहर रौलाकोट के 17 और भल्डियाना के 6 परिवारों के पूर्ण विस्थापन के लिए अनिश्चितकालीन धरना प्रदर्शन जारी है. टिहरी बांध की झील के कारण रौलाकोट और भल्ड़ियाना गांव के कई परिवारों की जमीन डूब गई थी, ग्रामीणों को मुआवजे के नाम पर कुछ नहीं मिला. ऐसे में रौलाकोट भल्ड़ियाना के ग्रामीण झील में डूबी जल-जंगल-जमीन के बदले विस्थापन की मांग कर रहे हैं. साथ ही विस्थापन की मांग को लेकर टिहरी जिला मुख्यालय के पुनर्वास विभाग के मुख्य दरवाजे पर 31 अक्टूबर 2022 से धरने पर बैठे हैं.
वहीं, महिलाएं विस्थापन की मांग को लेकर सर्द मौसम में धरने पर बैठी हैं, लेकिन उनके मांगों पर गौर करने वाला कोई नहीं है. आंदोलनरत महिलाओं का कहना है कि उनकी अभी तक न तो जिला प्रशासन, न ही टिहरी बांध परियोजना के किसी अधिकारी उनकी सुध ली है. उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि अगर जल्द ही उनका विस्थापन नहीं किया गया तो वो बड़ा कदम उठाएंगी. जिसकी जिम्मेदारी पुनर्वास विभाग और जिला प्रशासन की होगी.
बता दें कि टिहरी झील से प्रभावित रौलाकोट के 111 परिवारों को पुनर्वास का लाभ दिया गया है, लेकिन 20 परिवारों को छोड़ दिया गया. वहीं, भल्ड़ियाना गांव के 101 परिवारों को लाभ दिया गया. जिसमें 6 परिवारों को छोड़ दिया. ऐसे में शासन प्रशासन और पुनर्वास विभाग की गलत नीतियों का खामियाजा इन छूटे परिवारों को भुगतना पड़ रहा है.
पुनर्वास से जुड़ी मांग को शासन को भेज दिया गया है. जैसे ही शासन से निर्देश मिलेंगे. उसी आधार पर ग्रामीणों के विस्थापन पर कार्रवाई की जाएगी. -अपूर्वा सिंह, उप जिलाधिकारी