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अनोखा गांव: आजादी के बाद से इस गांव में अबतक नहीं हुआ कोई चुनाव, ऐसे चुने जाते हैं प्रधान

अगर हम आपसे ये कहें कि उत्तराखंड में एक ऐसा भी गांव है जहां पर आजादी के बाद से अबतक प्रधान बनने के लिए किसी ने चुनाव का सिंबल ही नहीं लिया तो आप क्या कहेंगे. आपके मन में भी जिज्ञासा होगी कि इस अनोखे गांव में चुनाव होता कैसे है? जानिए पूरी कहानी...

यहां ऐसे चुने जाते हैं प्रधान.
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Published : Oct 9, 2019, 6:34 PM IST

Updated : Oct 9, 2019, 7:24 PM IST

देहरादून: जहां एक ओर चुनाव में लाखों रुपए खर्च करने की प्रथा सी बनती जा रही है वहीं, उत्तराखंड में एक ऐसा भी गांव है जहां पर आजादी के बाद से अबतक प्रधान बनने के लिए किसी ने न चुनाव प्रचार किया और न ही चुनाव का सिंबल लिया है. आपको बताते हैं हमारी इस खास रिपोर्ट में कि यह कौन सा गांव है और यहां कैसे चुनाव होते हैं.

यहां ऐसे चुने जाते हैं प्रधान.

यहां आजादी के बाद से अब तक नहीं हुए चुनाव
टिहरी जिले के प्रतापनगर का मुखमाल गांव दूसरों के लिए एक मिसाल कायम कर रहा है. यहां पर आजादी के बाद साल 1947 से गांव में अभी तक निर्विरोध प्रधान बनने की परंपरा वर्षों से चली आ रही है. ग्रामीणों का कहना है कि वह कई वर्षों से गांव में मीटिंग कर सर्वसम्मति से ग्राम प्रधान और वार्ड सदस्यों को निर्विरोध बना रहे हैं.

पढ़ें- पंचायत चुनाव 2019: आज थम जाएगा दूसरे चरण के प्रचार का शोर, 11 अक्टूबर को होगा मतदान

ऐसे बनते हैं प्रधान
इन सर्वसम्मति से होने वाले चुनाव में होता ये है कि चुनाव से पहले समाज और गांव के सभी गणमान्य लोग एक साथ बैठते हैं और फिर विचार किया जाता है कि कौन गांव की समस्या को अच्छे से समझकर उनका निस्तारण सकता है. कुछ बड़े बुजुर्ग पसंद के उम्मीदवार को माला पहनाकर निर्विरोध प्रधान का चयन कर लेते हैं.

इनकी भी सुनें
ग्रामीणों का कहना है कि इतने वर्षों से ग्रामीण निर्विरोध प्रधान बना रहे हैं, जिससे सरकार का चुनावी खर्च भी बच रहा है, लेकिन अभी तक सरकार गांव में मूलभूत सुविधाएं तक उपलब्ध नहीं करा सकी है, न ही अभी तक सरकार द्वारा उनके गांव को आदर्श गांव घोषित किया गया है.

देहरादून: जहां एक ओर चुनाव में लाखों रुपए खर्च करने की प्रथा सी बनती जा रही है वहीं, उत्तराखंड में एक ऐसा भी गांव है जहां पर आजादी के बाद से अबतक प्रधान बनने के लिए किसी ने न चुनाव प्रचार किया और न ही चुनाव का सिंबल लिया है. आपको बताते हैं हमारी इस खास रिपोर्ट में कि यह कौन सा गांव है और यहां कैसे चुनाव होते हैं.

यहां ऐसे चुने जाते हैं प्रधान.

यहां आजादी के बाद से अब तक नहीं हुए चुनाव
टिहरी जिले के प्रतापनगर का मुखमाल गांव दूसरों के लिए एक मिसाल कायम कर रहा है. यहां पर आजादी के बाद साल 1947 से गांव में अभी तक निर्विरोध प्रधान बनने की परंपरा वर्षों से चली आ रही है. ग्रामीणों का कहना है कि वह कई वर्षों से गांव में मीटिंग कर सर्वसम्मति से ग्राम प्रधान और वार्ड सदस्यों को निर्विरोध बना रहे हैं.

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ऐसे बनते हैं प्रधान
इन सर्वसम्मति से होने वाले चुनाव में होता ये है कि चुनाव से पहले समाज और गांव के सभी गणमान्य लोग एक साथ बैठते हैं और फिर विचार किया जाता है कि कौन गांव की समस्या को अच्छे से समझकर उनका निस्तारण सकता है. कुछ बड़े बुजुर्ग पसंद के उम्मीदवार को माला पहनाकर निर्विरोध प्रधान का चयन कर लेते हैं.

इनकी भी सुनें
ग्रामीणों का कहना है कि इतने वर्षों से ग्रामीण निर्विरोध प्रधान बना रहे हैं, जिससे सरकार का चुनावी खर्च भी बच रहा है, लेकिन अभी तक सरकार गांव में मूलभूत सुविधाएं तक उपलब्ध नहीं करा सकी है, न ही अभी तक सरकार द्वारा उनके गांव को आदर्श गांव घोषित किया गया है.

Intro:आजादी के बाद से अब तक नहीं हुआ यहाँ प्रधान का चुनाव - इस बार बहु को सौंप दी गाँव वालो ने कमान -उत्तराखंड अनोखा गाँव 


आज जहा चुनावों में लाखो हजारो रूपये खर्च करने की प्रथा सी बनती जा रही है वही अगर हम आपसे ये कहें की उत्तराखंड में एक ऐसा भी गाँव है जहा पर आजादी के बाद से अब तक प्रधान  बनने के लिए किसी ने चुनाव का सिम्बल ही नहीं लिया तो आप क्या सोचेंगे हमारी तरह यही की फिर इस अनोखे गाँव में चुनाव होता कैसे है तो जनाब हम आपको बताते है की टिहरी के मुखमाल गांव में संन 1947 के बाद जितने भी चुनाव हुए है उनमे गाँव के बड़े बुजर्गो ने खुद ही सर्वसम्मति से अपना प्रधान या ये कहें की अपना नेता चुन लेते है 
Body:टिहरी जिले के प्रतापनगर का मुखमाल गांव जो कि दूसरे गावो के लिए भी एक मिसाल कायम  कर रहा है। जहां पर आजादी के बाद सन 1947 से गांव में अभी तक निर्विरोध प्रधान बनने की परंपरा वर्षों से चल रही है। गांव के लोगों को कहना है कि वह कई वर्षों से गांव में मीटिंग कर सर्व समिति से ग्राम प्रधान व वार्ड सदस्यों को निर्विरोध बना रहे हैं । जो कि और गांव के लिए मिसाल बन रहे हैं ।इन सर्वसम्मति से होने वाले चुनाव में होता ये है की चुनाव से पहले समाज और गाँव के सभी गणमान्य लोग एक साथ बैठते है फिर विचार ये किया जाता है की कौन गाँव में  गाँव की समस्या को अच्छे से समझ कर उनका निस्तारण क्र सकता है  कुछ बड़े बुजुर्ग पसंद के उमीदवार को माला पहना कर निर्विरोध  चुन लेते है Conclusion:लेकिन अब ग्रामीणों का कहना है कि इतने  वर्षों से ग्रामीण गांव में निर्विरोध प्रधान बना रहे हैं । सरकार का चुनाव का खर्च बचा रहे हैं लेकिन अभी तक सरकार के द्वारा गांव में मूलभूत सुविधाओं की कमी है और न ही अभी तक सरकार के द्वारा उनके गांव को आदर्श गांव घोषित किया गया। सरकार को चाहिए कि उनके गांव को आदर्श गांव बनाया जाना चाहिए।वैसे ही इस बार गाँव ने गाँव की ही बहु मीना राणा को अपना प्रधान बनाया है जिनसे गाँव को भी बहुत उमीदे है 
Last Updated : Oct 9, 2019, 7:24 PM IST
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