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टिहरी झील का बढ़ा जलस्तर, पर्यटन विभाग की करोड़ों की संपत्ति जलमग्न

टिहरी झील का जलस्तर लगातार बढ़ रहा है. झील का जलस्तर 830 आरएल मीटर के करीब पहुंच गया है. कोटि कॉलोनी में आस्था पथ, यात्री विश्राम शेड और रेलिंग सब डूब गए हैं. ऐसे में झील के बढ़ते जलस्तर से नीचे के गांवों में दहशत का माहौल है.

tehri lake water level
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Published : Sep 21, 2021, 10:45 AM IST

Updated : Sep 21, 2021, 1:53 PM IST

टिहरी: एशिया के सबसे बड़े टिहरी डैम की झील का जलस्तर 829.50 आरएल मीटर पहुंच गया, जिसके बाद क्षेत्र में हड़कंप मचा हुआ है. वहीं, जलस्तर लगातार बढ़ने से कोटी कॉलोनी में पर्यटन विभाग के द्वारा बनाये गए आस्था पथ, टेंट, फुटपाथ, पर्यटकों को आने-जाने के रास्ते, यात्री विश्राम शेड, डूब गए हैं. ऐसे में कोटी कॉलोनी के किनारे बोटिंग प्वाइंट पर बोटिंग करने के लिए आ जा रहे पर्यटकों को आने जाने की समस्या से जूझना पड़ रहा है.

बता दें कि राज्य सरकार ने हाल ही में झील के जलस्तर 830 आरएल मीटर तक पानी भरने की अनुमति दी थी. ऐसे में झील का जलस्तर स्तर अब 830 आरएल मीटर के करीब पहुंच गया है. जिससे स्थानीय लोगों में दहशत का माहौल है. आश्चर्य की बात ये है कि पर्यटन विभाग के द्वारा बनाई गई करोड़ों की संपत्ति झील में डूब गई है. पर्यटन विभाग के अधिकारी भी टिहरी झील का जलस्तर बढ़ने से विभागीय संपत्ति के हुए नुकसान की तस्दीक कर रहे हैं.

टिहरी झील का बढ़ा जलस्तर.

पढ़ें- डोईवाला: देर रात भारी बारिश से जाखन नदी में फिर बहा वैकल्पिक मार्ग

वहीं, टिहरी बांध परियोजना के अधिशासी निदेशक उमेश कुमार सक्सेना ने कहा कि 835 आरएल मीटर के नीचे जलस्तर की जितनी भी संपत्ति है, वह टीएचडीसी की है. 835 आरएल मीटर से नीचे जो भी संपत्ति का निर्माण करता है, उसका जिम्मेदार वही है, जबकि पहले से ही तय है कि टिहरी झील का जलस्तर 830 आरएल मीटर तक देर सबेर भरना तय है.

गौरतलब है कि टिहरी झील से प्रभावित 415 परिवारों के विस्थापन के मामला अभी भी लटका हुआ है. जिसे लेकर कुछ दिनों पहले ही एक बैठक हुई थी. जिसमें भारत सरकार के ऊर्जा मंत्री, कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज, ऊर्जा सचिव, टिहरी जिलाधिकारी ईवा आशीष श्रीवास्तव और टीएचडीसी के अधिकारियों शामिल हुए थे. जिसमें बांध प्रभावित 415 परिवारों के विस्थापन पर सहमति बनी और टीएचडीसी ने टिहरी झील को 830 आरएल मीटर भरने की अनुमति मांगी गई थी. जिस पर राज्य सरकार ने हामी भर दी थी और स्थानीय लोग इस निर्णय से नाराज हैं.

35 किलोमीटर दूर तक असर: टिहरी झील के जलस्तर बढ़ने का असर करीब 35 से 40 किलोमीटर दूर स्थित चिन्यालीसौड़ तक देखा जा रहा है. दबाव पड़ने से सड़कों और मकानों में दरारें पड़ने लगीं हैं. इसका असर रौलाकोट, उप्पू और तिवाड़ी, गड़ोली और कंगसाली समेत अन्य गांवों में देखने को मिल रहा है.

भिलंगना घाटी के दर्जनों गांव प्रभावित: टिहरी झील का जलस्तर बढ़ने से भिलंगना घाटी के भी दर्जनों गांव प्रभावित हैं. यहां पिलखी, ननगांव और उत्थड़ गांवों में भी कई मकानों में दरार पड़ने लगी हैं.

टिहरी: एशिया के सबसे बड़े टिहरी डैम की झील का जलस्तर 829.50 आरएल मीटर पहुंच गया, जिसके बाद क्षेत्र में हड़कंप मचा हुआ है. वहीं, जलस्तर लगातार बढ़ने से कोटी कॉलोनी में पर्यटन विभाग के द्वारा बनाये गए आस्था पथ, टेंट, फुटपाथ, पर्यटकों को आने-जाने के रास्ते, यात्री विश्राम शेड, डूब गए हैं. ऐसे में कोटी कॉलोनी के किनारे बोटिंग प्वाइंट पर बोटिंग करने के लिए आ जा रहे पर्यटकों को आने जाने की समस्या से जूझना पड़ रहा है.

बता दें कि राज्य सरकार ने हाल ही में झील के जलस्तर 830 आरएल मीटर तक पानी भरने की अनुमति दी थी. ऐसे में झील का जलस्तर स्तर अब 830 आरएल मीटर के करीब पहुंच गया है. जिससे स्थानीय लोगों में दहशत का माहौल है. आश्चर्य की बात ये है कि पर्यटन विभाग के द्वारा बनाई गई करोड़ों की संपत्ति झील में डूब गई है. पर्यटन विभाग के अधिकारी भी टिहरी झील का जलस्तर बढ़ने से विभागीय संपत्ति के हुए नुकसान की तस्दीक कर रहे हैं.

टिहरी झील का बढ़ा जलस्तर.

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वहीं, टिहरी बांध परियोजना के अधिशासी निदेशक उमेश कुमार सक्सेना ने कहा कि 835 आरएल मीटर के नीचे जलस्तर की जितनी भी संपत्ति है, वह टीएचडीसी की है. 835 आरएल मीटर से नीचे जो भी संपत्ति का निर्माण करता है, उसका जिम्मेदार वही है, जबकि पहले से ही तय है कि टिहरी झील का जलस्तर 830 आरएल मीटर तक देर सबेर भरना तय है.

गौरतलब है कि टिहरी झील से प्रभावित 415 परिवारों के विस्थापन के मामला अभी भी लटका हुआ है. जिसे लेकर कुछ दिनों पहले ही एक बैठक हुई थी. जिसमें भारत सरकार के ऊर्जा मंत्री, कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज, ऊर्जा सचिव, टिहरी जिलाधिकारी ईवा आशीष श्रीवास्तव और टीएचडीसी के अधिकारियों शामिल हुए थे. जिसमें बांध प्रभावित 415 परिवारों के विस्थापन पर सहमति बनी और टीएचडीसी ने टिहरी झील को 830 आरएल मीटर भरने की अनुमति मांगी गई थी. जिस पर राज्य सरकार ने हामी भर दी थी और स्थानीय लोग इस निर्णय से नाराज हैं.

35 किलोमीटर दूर तक असर: टिहरी झील के जलस्तर बढ़ने का असर करीब 35 से 40 किलोमीटर दूर स्थित चिन्यालीसौड़ तक देखा जा रहा है. दबाव पड़ने से सड़कों और मकानों में दरारें पड़ने लगीं हैं. इसका असर रौलाकोट, उप्पू और तिवाड़ी, गड़ोली और कंगसाली समेत अन्य गांवों में देखने को मिल रहा है.

भिलंगना घाटी के दर्जनों गांव प्रभावित: टिहरी झील का जलस्तर बढ़ने से भिलंगना घाटी के भी दर्जनों गांव प्रभावित हैं. यहां पिलखी, ननगांव और उत्थड़ गांवों में भी कई मकानों में दरार पड़ने लगी हैं.

Last Updated : Sep 21, 2021, 1:53 PM IST
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