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टिहरी झील में फ्लोटिंग हट्स से डाली जा रही गंदगी, जिम्मेदार मौन, SC के वकील ने पीएम से की अपील

टिहरी में एक निजी होटल द्वारा संचालित फ्लोटिंग हट्स से मानव मल-मूत्र, गंदगी और सीवरेज सीधे झील में डाला जा रहा है. वीडियो सामने आने के बाद काफी विरोध हो रहा है. अब मामले में सुप्रीम कोर्ट के वकील धनेश ईशधन (Supreme Court lawyer Dhanesh Ishadhan) ने पीएम मोदी और सीएम धामी से कार्रवाई करने की मांग की है.

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टिहरी झील में सीवरेज की गंदगी डालने पर आक्रोश.
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Published : Oct 27, 2022, 3:17 PM IST

Updated : Nov 1, 2022, 6:59 PM IST

टिहरी: भारत के सबसे ऊंचे और विश्व के 8वें सबसे ऊंचे टिहरी डैम की झील (Tehri Dam Lake) में खुलेआम मल-मूत्र और गंदगी बहाई जा रही है. जिससे यहां के स्थानीय लोगों में आक्रोश (resentment among local people) है. लोग लगातार दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग कर रहे हैं. वहीं, इस मामले में सुप्रीम कोर्ट के वकील धनेश ईशधन (Supreme Court lawyer Dhanesh Ishadhan) ने पीएम और सीएम धामी से हस्तक्षेप करने की मांग की है.

टिहरी बांध की झील में सीवरेज (Sewerage in Tehri Dam lake) और अन्य गंदगी गिराने वाली पीपीपी संचालक कंपनी पर प्रशासन ने कोई कार्रवाई नहीं की है, जिससे स्थानीय लोगों में आक्रोश बना हुआ है. सर्वाेच्च न्यायालय के अधिवक्ता धनेश ईशधन ने इस मामले मे आवाज उठाई है. उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उत्तराखंड के सीएम पुष्कर सिंह धामी को गंगा को प्रदूषित और नमामि गंगे परियोजना की धज्जियां उड़ाने वालों के खिलाफ कार्रवाई करने की बात कही. साथ ही उन्होंने जिम्मेदार दोषी अधिकारियों के खिलाफ सख्त धाराओं में केस दर्ज करने की अपील भी की.

पढ़ें- टिहरी फ्लोटिंग हट्स एग्रीमेंट खत्म करने की मांग, दिया अल्टीमेटम

बता दें 6 अक्टूबर को उत्तरायणी भागीरथी समिति के अध्यक्ष कुलदीप पंवार, लखवीर चौहान, दिनेश पंवार ने डीएम को ज्ञापन भेजकर अवगत कराया कि पीपीपी मोड पर फ्लोटिंग हट्स, मरीना, बार्ज बोट का संचालन करने वाली एक कंपनी सीवर और अन्य गंदगी झील में प्रवाहित कर रही है. इसका वीडियो भी सोशल मीडिया पर इस कंपनी के एक कर्मचारी ने वायरल किया था. इसके बाद डीएम ने एसडीएम टिहरी अपूर्वा सिंह के नेतृत्व में जांच टीम गठित की थी. टीम ने स्थलीय निरीक्षण कर किचन लॉक कर दिया था. हालांकि वर्तमान में किचन और हट्स का फिर से संचालन शुरू हो गया है. जिससे स्थानीय लोगों में भारी आक्रोश है.

पढ़ें- स्वच्छ भारत मिशन पर लग रहा ग्रहण, टिहरी झील में डाल रहा गंदगी

सुप्रीम कोर्ट के वकील धनेश ईशधन ने कहा गंगा स्वच्छता के लिए अरबों रुपये खर्च हो चुके हैं. इस प्रोजेक्ट में अब तक संलिप्त रहे सभी प्रशासनिक अधिकारियों, स्थानीय नेताओं, निदेशकों और सदस्यों की सीबीआई और ईडी से जांच की जाए. उन्होंने ट्वीट किया कि राज्य सरकार ने हाल ही में करीब 20 कैंपों को गंगा के किनारे स्थापित करने की अनुमति दे दी है. जिससे स्पष्ट है कि पहले से ही प्रदूषित गंगा को और गंदा करने का यह गलत निर्णय है. ईशधन ने कहा गंगा और यमुना सिर्फ नदी नहीं बल्कि यह भारतीयों के श्रद्धा और आस्था सहित संस्कारों की धरोहर भी है. ईशधन ने प्रधानमंत्री मोदी और मुख्यमंत्री धामी से इस गंभीर मुद्दे पर दोषियों के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई की अपील की है.

पढ़ें- स्वच्छता सर्वेक्षण में हरिद्वार को बेस्ट गंगा टाउन का अवॉर्ड मिला, नगर निगम में खुशी की लहर

डीएम टिहरी सौरभ गहरवार ने इस मामले में पर्यटन विभाग ने हट्स और किचन संचालन करने को कहा है. सीवरेज और अन्य मामलों में प्रदूषण बोर्ड की रिपोर्ट अभी नहीं मिली है. रिपोर्ट के आधार पर अग्रिम कार्रवाई की जाएगी. स्थानीय कुलदीप पंवार का कहना है कि कंपनी प्रत्येक दिन झील में 8 हजार लीटर से अधिक सीवर बहा रही है. इससे टिहरीवासी सीवर का पानी पी रहे हैं.

टिहरी: भारत के सबसे ऊंचे और विश्व के 8वें सबसे ऊंचे टिहरी डैम की झील (Tehri Dam Lake) में खुलेआम मल-मूत्र और गंदगी बहाई जा रही है. जिससे यहां के स्थानीय लोगों में आक्रोश (resentment among local people) है. लोग लगातार दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग कर रहे हैं. वहीं, इस मामले में सुप्रीम कोर्ट के वकील धनेश ईशधन (Supreme Court lawyer Dhanesh Ishadhan) ने पीएम और सीएम धामी से हस्तक्षेप करने की मांग की है.

टिहरी बांध की झील में सीवरेज (Sewerage in Tehri Dam lake) और अन्य गंदगी गिराने वाली पीपीपी संचालक कंपनी पर प्रशासन ने कोई कार्रवाई नहीं की है, जिससे स्थानीय लोगों में आक्रोश बना हुआ है. सर्वाेच्च न्यायालय के अधिवक्ता धनेश ईशधन ने इस मामले मे आवाज उठाई है. उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उत्तराखंड के सीएम पुष्कर सिंह धामी को गंगा को प्रदूषित और नमामि गंगे परियोजना की धज्जियां उड़ाने वालों के खिलाफ कार्रवाई करने की बात कही. साथ ही उन्होंने जिम्मेदार दोषी अधिकारियों के खिलाफ सख्त धाराओं में केस दर्ज करने की अपील भी की.

पढ़ें- टिहरी फ्लोटिंग हट्स एग्रीमेंट खत्म करने की मांग, दिया अल्टीमेटम

बता दें 6 अक्टूबर को उत्तरायणी भागीरथी समिति के अध्यक्ष कुलदीप पंवार, लखवीर चौहान, दिनेश पंवार ने डीएम को ज्ञापन भेजकर अवगत कराया कि पीपीपी मोड पर फ्लोटिंग हट्स, मरीना, बार्ज बोट का संचालन करने वाली एक कंपनी सीवर और अन्य गंदगी झील में प्रवाहित कर रही है. इसका वीडियो भी सोशल मीडिया पर इस कंपनी के एक कर्मचारी ने वायरल किया था. इसके बाद डीएम ने एसडीएम टिहरी अपूर्वा सिंह के नेतृत्व में जांच टीम गठित की थी. टीम ने स्थलीय निरीक्षण कर किचन लॉक कर दिया था. हालांकि वर्तमान में किचन और हट्स का फिर से संचालन शुरू हो गया है. जिससे स्थानीय लोगों में भारी आक्रोश है.

पढ़ें- स्वच्छ भारत मिशन पर लग रहा ग्रहण, टिहरी झील में डाल रहा गंदगी

सुप्रीम कोर्ट के वकील धनेश ईशधन ने कहा गंगा स्वच्छता के लिए अरबों रुपये खर्च हो चुके हैं. इस प्रोजेक्ट में अब तक संलिप्त रहे सभी प्रशासनिक अधिकारियों, स्थानीय नेताओं, निदेशकों और सदस्यों की सीबीआई और ईडी से जांच की जाए. उन्होंने ट्वीट किया कि राज्य सरकार ने हाल ही में करीब 20 कैंपों को गंगा के किनारे स्थापित करने की अनुमति दे दी है. जिससे स्पष्ट है कि पहले से ही प्रदूषित गंगा को और गंदा करने का यह गलत निर्णय है. ईशधन ने कहा गंगा और यमुना सिर्फ नदी नहीं बल्कि यह भारतीयों के श्रद्धा और आस्था सहित संस्कारों की धरोहर भी है. ईशधन ने प्रधानमंत्री मोदी और मुख्यमंत्री धामी से इस गंभीर मुद्दे पर दोषियों के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई की अपील की है.

पढ़ें- स्वच्छता सर्वेक्षण में हरिद्वार को बेस्ट गंगा टाउन का अवॉर्ड मिला, नगर निगम में खुशी की लहर

डीएम टिहरी सौरभ गहरवार ने इस मामले में पर्यटन विभाग ने हट्स और किचन संचालन करने को कहा है. सीवरेज और अन्य मामलों में प्रदूषण बोर्ड की रिपोर्ट अभी नहीं मिली है. रिपोर्ट के आधार पर अग्रिम कार्रवाई की जाएगी. स्थानीय कुलदीप पंवार का कहना है कि कंपनी प्रत्येक दिन झील में 8 हजार लीटर से अधिक सीवर बहा रही है. इससे टिहरीवासी सीवर का पानी पी रहे हैं.

Last Updated : Nov 1, 2022, 6:59 PM IST
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