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टिहरी के सबसे बड़े अस्पताल में सुविधाओं का टोटा, कोरोना से बचाव के लिए नहीं है 'PPE KIT'

कोरोना वायरस से लड़ने के लिए टिहरी जिले के सबसे बड़े बौराड़ी अस्पताल में की गई व्यवस्थाओं में कमी देखने को मिली है. पीपीई यानी पर्सनल प्रोटेक्टिव इक्विपमेंट किट की कमी होने के चलते कर्मचारी काफी डरे हुए हैं.

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Published : Mar 31, 2020, 7:08 PM IST

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बौराड़ी जिला अस्पताल में नहीं है पीपीई किट.

टिहरी: टिहरी जिले के सबसे बड़े जिला अस्पताल बौराड़ी में कोरोना वायरस से निपटने के लिए पीपीई किट नहीं है. पीपीई यानी पर्सनल प्रोटेक्टिव इक्विपमेंट किट न होने के चलते अस्पताल में काम करने वाले कर्मचारी खौफ में हैं. साथ ही स्वास्थ्य विभाग की कार्यप्रणाली पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं.

बौराड़ी जिला अस्पताल में नहीं है पीपीई किट.

जिला अस्पताल बौराड़ी को पीपीपी मोड पर स्वामी राम हिमालय जौलीग्रांट को दिया गया था. जिला अस्पताल बौराड़ी को मिली पीपीई किट खत्म होने के बाद कर्मचारी काफी डरे हुए हैं. अगर कोई कोरोना का मरीज आता है तो उसका इलाज करने के लिए किट की व्यवस्था तक नहीं है.

पढ़ें: मास्क और सैनिटाइजर को लेकर सामने आई बड़ी लापरवाही, विधानसभा अध्यक्ष ने किया खुलासा

जिले के सामाजिक कार्यकर्ता मोनू नौडियाल ने कहा कि कोरोना वायरस महामारी से लड़ने के लिए सभी राजनीतिक दल और सामाजिक संगठन सरकार के साथ खड़े हैं. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को जिले में बने सभी आइसोलेशन वार्ड की हर दिन रिपोर्ट लेनी चाहिए, जिससे की अस्पताल की असल स्थिति का पता चल सके.

वहीं, जिला मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. मीनू रावत ने बताया कि अस्पताल में काफी मात्रा में पीपीई किट मंगवाई गई थी. जिसके बाद जिले में बनाए गये सभी आइसोलेशन वार्डों में किट वितरित की गई. वहीं, उन्होंने आगे बताया कि अभी अस्पताल में 187 पीपीई किट बची हैं और विभाग द्वारा 100 किट मंगवाई जा रही हैं.

पढ़ें: लॉकडाउनः चंडीगढ़ में फंसे उत्तराखंड के युवाओं ने सीएम से मांगी मदद

क्या होती है पीपीई किट?

पीपीई किट यानि पर्सनल प्रोटेक्टिव इक्विपमेंट डॉक्टरों को पूरी तरह से कवर करके उनकी रक्षा करता है. साफ-सफाई होने के बावजूद भी अपशिष्ट पदार्थों से होने वाले खतरे को भी कम करता है. इसके अलावा व्यक्तिगत सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए पीपीई किट का इस्तेमाल किया जाता है.

टिहरी: टिहरी जिले के सबसे बड़े जिला अस्पताल बौराड़ी में कोरोना वायरस से निपटने के लिए पीपीई किट नहीं है. पीपीई यानी पर्सनल प्रोटेक्टिव इक्विपमेंट किट न होने के चलते अस्पताल में काम करने वाले कर्मचारी खौफ में हैं. साथ ही स्वास्थ्य विभाग की कार्यप्रणाली पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं.

बौराड़ी जिला अस्पताल में नहीं है पीपीई किट.

जिला अस्पताल बौराड़ी को पीपीपी मोड पर स्वामी राम हिमालय जौलीग्रांट को दिया गया था. जिला अस्पताल बौराड़ी को मिली पीपीई किट खत्म होने के बाद कर्मचारी काफी डरे हुए हैं. अगर कोई कोरोना का मरीज आता है तो उसका इलाज करने के लिए किट की व्यवस्था तक नहीं है.

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जिले के सामाजिक कार्यकर्ता मोनू नौडियाल ने कहा कि कोरोना वायरस महामारी से लड़ने के लिए सभी राजनीतिक दल और सामाजिक संगठन सरकार के साथ खड़े हैं. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को जिले में बने सभी आइसोलेशन वार्ड की हर दिन रिपोर्ट लेनी चाहिए, जिससे की अस्पताल की असल स्थिति का पता चल सके.

वहीं, जिला मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. मीनू रावत ने बताया कि अस्पताल में काफी मात्रा में पीपीई किट मंगवाई गई थी. जिसके बाद जिले में बनाए गये सभी आइसोलेशन वार्डों में किट वितरित की गई. वहीं, उन्होंने आगे बताया कि अभी अस्पताल में 187 पीपीई किट बची हैं और विभाग द्वारा 100 किट मंगवाई जा रही हैं.

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क्या होती है पीपीई किट?

पीपीई किट यानि पर्सनल प्रोटेक्टिव इक्विपमेंट डॉक्टरों को पूरी तरह से कवर करके उनकी रक्षा करता है. साफ-सफाई होने के बावजूद भी अपशिष्ट पदार्थों से होने वाले खतरे को भी कम करता है. इसके अलावा व्यक्तिगत सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए पीपीई किट का इस्तेमाल किया जाता है.

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