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टिहरी: रथी देवता मेले का हुआ रंगारंग आगाज, दूर-दूर से पहुंचे श्रद्धालु

रथी मेले में जो भी श्रद्धालु  मन्नत मांगता है उसकी हर मुराद पूरी होती है. वहीं मंदिर में साल भर भक्तों का तांता लगा रहता है. लेकिन 20 अप्रैल को यहां पर विशाल मेला लगता है. जिसमें स्थानीय लोगों द्वारा कई सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किए जाते हैं.

रथी देवता मेला.
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Published : Apr 21, 2019, 12:47 PM IST

टिहरी: चंबा उत्तरकाशी मोटर मार्ग के किलिखाल में रथी देवता मेले का रंगारंग आगाज हो गया है. जो एक सप्ताह तक चलेगा. मेले में देश-विदेश से श्रद्धालु पहुंच रहे हैं. साथ ही इस मेला का आयोजन प्रत्येक वर्ष 20 अप्रैल गते वैशाख को मनाया जाता है. जिसमें लोग दूर-दूर से शीष नवाने आते हैं.

मान्यता हैं कि इस मेले में जो भी श्रद्धालु मन्नत मांगता है उसकी हर मुराद पूरी होती है. वहीं मंदिर में साल भर भक्तों का तांता लगा रहता है. लेकिन 20 अप्रैल को यहां पर विशाल मेला लगता है. जिसमें स्थानीय लोगों द्वारा कई सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किए जाते हैं. मेले में स्थानीय वाद्ययंत्र ढोल-दमाऊ की थाप पर लोग पारंपरिक नृत्य करते हैं. वहीं देवता से सुख समृद्धि की मन्नत मांगते हैं.

रथी देवता मेला.

मेले में चंबा से उत्तरकाशी मोटर मार्ग के बीच किलिखाल खाल तक वाहनों की आवाजाही बढ़ जाती है. वहीं अतीत से ही पहाड़ों में थोलु मेले की परंपरा चली आ रही है, जहां आधुनिकता के दौर में लोग पुरानी परंपरा को पूरे उल्लास के साथ मना रहे हैं.

टिहरी: चंबा उत्तरकाशी मोटर मार्ग के किलिखाल में रथी देवता मेले का रंगारंग आगाज हो गया है. जो एक सप्ताह तक चलेगा. मेले में देश-विदेश से श्रद्धालु पहुंच रहे हैं. साथ ही इस मेला का आयोजन प्रत्येक वर्ष 20 अप्रैल गते वैशाख को मनाया जाता है. जिसमें लोग दूर-दूर से शीष नवाने आते हैं.

मान्यता हैं कि इस मेले में जो भी श्रद्धालु मन्नत मांगता है उसकी हर मुराद पूरी होती है. वहीं मंदिर में साल भर भक्तों का तांता लगा रहता है. लेकिन 20 अप्रैल को यहां पर विशाल मेला लगता है. जिसमें स्थानीय लोगों द्वारा कई सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किए जाते हैं. मेले में स्थानीय वाद्ययंत्र ढोल-दमाऊ की थाप पर लोग पारंपरिक नृत्य करते हैं. वहीं देवता से सुख समृद्धि की मन्नत मांगते हैं.

रथी देवता मेला.

मेले में चंबा से उत्तरकाशी मोटर मार्ग के बीच किलिखाल खाल तक वाहनों की आवाजाही बढ़ जाती है. वहीं अतीत से ही पहाड़ों में थोलु मेले की परंपरा चली आ रही है, जहां आधुनिकता के दौर में लोग पुरानी परंपरा को पूरे उल्लास के साथ मना रहे हैं.

Intro:पहाड़ो में आज भी जिंदा है मैले, आज रथी देवता के मैले में उमड़ी भीड़,देश विदेशों से पहुंचे श्रद्धालु,



Body: टिहरी गढ़वाल के चंबा उत्तरकाशी मोटर मार्ग पर के लिए किलिखाल जगह में रथी देवता के नाम से लगने वाले विशाल मेले में आज देश विदेशों के श्रद्धालुओं की भीड़ जुटी रही यहां पर सुबह से ही श्रद्धालुओं की भीड़ जुटने शुरू हो गई रथी देवता का मेला हर वर्ष 20 अप्रैल 7 गते बैशाख को मनाया जाता है मान्यता हैं कि यहां पर जो भी श्रद्धालु अपनी मन्नत मांगने आता है उसकी मन्नत मनोकामना पूर्ण होती है वैसे यहां पर हर दिन श्रद्धालुओं की भीड़ जुटी रहती है परंतु 20 अप्रैल को यहां पर विशाल मेला लगता है जिसमें देश विदेशों के श्रद्धालु यहां पहुंचते हैं और यहां पर स्थानीय लोगों के द्वारा कई कार्यक्रम किए जाते हैं और श्रद्धालु इन कार्यक्रमों का आनंद उठाते हैं

यहां पहुंचने के लिए चंबा से उत्तरकाशी मोटर मार्ग के बीच किलिखाल खाल तक हर समय वाहन गाड़ियां चलती रहती है यहां ऋषिकेश गंगोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग पर पड़ता है




Conclusion:आज भी पहाड़ों में थोलु मेला की परंपरा चली आ रही है जहां आधुनिकता के दौर में लोग पुरानी परंपरा थोलु मेले का प्रचलन खत्म हो रहा है वही रथी देवता देवता के मेले में विशाल भीड़ को देखते हुए आज भी यह परंपरा जिंदा है

इस मेले ने आज भी पुरानी परम्परा थोलु मैलु को जिंदा रखने का काम किया है ,

वही दिल्ली से आई श्रद्धालु ने कहा के में पिछले 5 सालो से यह आ रही हु ओर यह आकर मेरी हर मनोकामना पूरी हुई है

बाइट अवतार सिंह अधिकारी
बाइट श्रद्धा श्रद्धलु
बाइट मनुज सिंह श्रद्धलु

इसके विसुअल ftp में स्लग के नाम से भेजी है
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