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माता सती के 52 शक्तिपीठों में से 51 भारत में, दर्शन मात्र से होती सभी मनोकामना पूर्ण - टिहरी नवरात्रि

माता सती के 52 शक्तिपीठों में से 51 भारत में हैं. एक पाकिस्तान में है. इनमें से तीन शक्तिपीठ कुंजापुरी, सुरकंडा और चंद्रबदनी शक्तिपीठ टिहरी जिले में हैं.

टिहरी
कुंजापुरी माता
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Published : Apr 13, 2021, 2:16 PM IST

Updated : Apr 14, 2021, 10:34 AM IST

टिहरी: माता सती के 52 शक्तिपीठ हैं. इनमें से 51 भारत में हैं. एक पाकिस्तान में है. तीन कुंजापुरी कुंजापुरी, सुरकंडा और चंद्रबदनी टिहरी जिले में हैं. नवरात्रि पर्व पर इन शक्तिपीठों का विशेष रूप से महत्व माना जाता है.

कुंजापुरी कुंजापुरी

टिहरी जिले के नरेन्द्रनगर की सबसे ऊंची पहाड़ी पर स्थित मां कुंजापुरी शक्तिपीठ जिसकी पैदल दूरी करीब 5 किलोमीटर है. स्कन्द पुराण के अनुसार राजा दक्ष ने जब प्रजापति बनने के बाद यज्ञ का आयोजन किया तो उन्होंने भगवान शिव को नहीं बुलाया. इससे आक्रोशित होकर भगवान शिव की पत्नी सती ने दक्ष के यज्ञ में अपनी आहुति दे दी. जब भगवान शिव को पता चला तो वो क्रोध में वहां पहुंचे और सती के शरीर को उठाकर तांडव करने लगे और कंधे में सती के शरीर को लेकर चले गए. जिसके बाद सती के शरीर के टुकड़े जहां-जहां गिरे वो जगह शक्तिपीठ के रूप में प्रसिद्ध हुई. इस तरह 52 जगहों पर सती के शरीर के टुकड़े गिरे और 52 शक्तिपीठ बने जिसमें से कुंजापुरी शक्तिपीठ में मां सती का वक्ष स्थल जिसे कुंज कहा जाता है वो गिरा और कुंजापुरी शक्तिपीठ के रूप में जाना जाने लगा.

पढ़ें: तीरथ सरकार का एक महीना पूरा, इन कामों और बयानों से चर्चाओं में रहे CM

कुंजापुरी शक्तिपीठ में मां सती के मातृत्व स्वरूप के दर्शन होते हैं. मान्यता है कि यहां पहुंचने वाले भक्त अगर मां की पुत्र के रूप में पूजा अर्चना करते हैं, तो उनकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं. वहीं, इस बार नवरात्रि पर्व पर कोविड का असर धार्मिक स्थलों पर भी देखा गया. जिसके चलते मंदिर समिति ने मुख्य द्वार को आम भक्तों के दर्शनों के लिए नहीं खोला है.

टिहरी: माता सती के 52 शक्तिपीठ हैं. इनमें से 51 भारत में हैं. एक पाकिस्तान में है. तीन कुंजापुरी कुंजापुरी, सुरकंडा और चंद्रबदनी टिहरी जिले में हैं. नवरात्रि पर्व पर इन शक्तिपीठों का विशेष रूप से महत्व माना जाता है.

कुंजापुरी कुंजापुरी

टिहरी जिले के नरेन्द्रनगर की सबसे ऊंची पहाड़ी पर स्थित मां कुंजापुरी शक्तिपीठ जिसकी पैदल दूरी करीब 5 किलोमीटर है. स्कन्द पुराण के अनुसार राजा दक्ष ने जब प्रजापति बनने के बाद यज्ञ का आयोजन किया तो उन्होंने भगवान शिव को नहीं बुलाया. इससे आक्रोशित होकर भगवान शिव की पत्नी सती ने दक्ष के यज्ञ में अपनी आहुति दे दी. जब भगवान शिव को पता चला तो वो क्रोध में वहां पहुंचे और सती के शरीर को उठाकर तांडव करने लगे और कंधे में सती के शरीर को लेकर चले गए. जिसके बाद सती के शरीर के टुकड़े जहां-जहां गिरे वो जगह शक्तिपीठ के रूप में प्रसिद्ध हुई. इस तरह 52 जगहों पर सती के शरीर के टुकड़े गिरे और 52 शक्तिपीठ बने जिसमें से कुंजापुरी शक्तिपीठ में मां सती का वक्ष स्थल जिसे कुंज कहा जाता है वो गिरा और कुंजापुरी शक्तिपीठ के रूप में जाना जाने लगा.

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कुंजापुरी शक्तिपीठ में मां सती के मातृत्व स्वरूप के दर्शन होते हैं. मान्यता है कि यहां पहुंचने वाले भक्त अगर मां की पुत्र के रूप में पूजा अर्चना करते हैं, तो उनकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं. वहीं, इस बार नवरात्रि पर्व पर कोविड का असर धार्मिक स्थलों पर भी देखा गया. जिसके चलते मंदिर समिति ने मुख्य द्वार को आम भक्तों के दर्शनों के लिए नहीं खोला है.

Last Updated : Apr 14, 2021, 10:34 AM IST
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