टिहरी: इस लोकसभा में टिहरी, उत्तरकाशी और देहरादून जनपद की 14 विधानसभाएं आती हैं. ये सीट अन्य लोकसभा सीटों के मुकाबले इसलिए खास है, क्योंकि इसका संबंध सीधे तौर पर टिहरी राजशाही परिवार से जुड़ा है. वो शाही परिवार जिसने कई सालों तक गढ़वाल पर राज किया. आजादी के बाद से इस सीट पर 18 बार वोटिंग हुई है. जिसमें जनता ने 10 बार कांग्रेस को चुना, तो वहीं 7 बार बीजेपी ने यहां अपना कमल खिलाया. टिहरी लोकसभी सीट की राजनीति अमूमन कांग्रेस और बीजेपी के इर्द-गिर्द ही घूमती रही है. आइये आपको बताते हैं कब कौन टिहरी सीट से सासंद रहा.
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टिहरी लोकसभा सीट से कब कौन रहा सांसद
साल | पार्टी | उम्मीदवार |
1952 | कांग्रेस | कमलेंदुमति शाह |
1957 | कांग्रेस | मानवेंद्र शाह |
1962 | कांग्रेस | मानवेंद्र शाह |
1967 | कांग्रेस | मानवेंद्र शाह |
1971 | कांग्रेस | परिपूर्णानंद |
1977 | जनता दल | त्रेपन सिंह नेगी |
1980 | कांग्रेस | त्रेपन सिंह नेगी |
1984 | कांग्रेस | ब्रह्म दत्त |
1989 | कांग्रेस | ब्रह्म दत्त |
1991 | बीजेपी | मानवेंद्र शाह |
1991 | बीजेपी | मानवेंद्र शाह |
1996 | बीजेपी | मानवेंद्र शाह |
1998 | बीजेपी | मानवेंद्र शाह |
1999 | बीजेपी | मानवेंद्र शाह |
2004 | बीजेपी | मानवेंद्र शाह |
2007 | कांग्रेस | विजय बहुगुणा |
2009 | कांग्रेस | विजय बहुगुणा |
2012 | बीजेपी | माला राज्यलक्ष्मी शाह |
टिहरी लोकसभा सीट पर मौजूदा समय में बीजेपी की कब्जा है और रानी माला राज्य लक्ष्मी शाह यहां से सांसद हैं.माला राज्यलक्ष्मी शाह उत्तराखंड की पहली महिला लोकसभा सांसद भी हैं. साथी ही वे टिहरी के पूर्व शाही परिवार के वंशज मानवेंद्र शाह की बहू हैं. मानवेंद्र शाह ने टिहरी लोकसभा सीट से कांग्रेस और बीजेपी के टिकट पर आठ बार जीत हासिल की थी.
अब बात करते हैं 2019 के लोकसभा चुनाव में टिहरी संसदीय क्षेत्र की
टिहरी लोकसभा के बड़े चेहरे
माला राज्यलक्ष्मी शाह | बीजेपी |
प्रीतम सिंह | कांग्रेस |
गोपलमणि | निर्दलीय |
इनके अलावा बसपा और 7 अन्य निर्दलीय प्रत्याशी भी चुनावी समर में उतर कर यहां के मुकाबले को और भी रोचक बनाने की जुगत में लगे हैं.
सामाजिक ताना-बाना
तीन जिलों में फैली टिहरी लोकसभा सीट के सामाजिक ताने-बाने की बात करें तो यहां की 62 फीसदी आबादी गांवों में रहती है, जबकि 38 फीसदी शहरी क्षेत्रों में.
जातीय समीकरण
इस संसदीय क्षेत्र में लगभग 40 फीसदी राजपूत, 32 फीसदी ब्राह्मण,17 फीसदी एससी-एसटी, पांच फीसदी मुस्लिम, पांच फीसद गोर्खाली और एक फीसद अन्य मतदाता हैं.
जनसंख्या
इस इलाके में अनुसूचित जाति का आंकड़ा 17.15 प्रतिशत है, जबकि अनुसूचित जनजाति का हिस्सा 5.8 प्रतिशत है
सामान्य | 77.05 % |
अनुसूचित जाति | 17.15 % |
अनुसूचित जनजाति | 5.8 % |
साल 2014 में मतदाता
अब बात करते हैं यहां 2014 में हुए लोकसभा चुनाव की... साल 2014 में टिहरी लोकसभा सीट पर कुल 13 लाख 52 हजार 845 मतदाता थे. जिनमें 7 लाख 12 हजार 39 पुरुष मतदाता जबकि 6 लाख 40 हजार 806 महिला शामिल थी.
2014 में मतदान प्रतिशत
साल 2014 में हुए लोकसभा चुनाव में इस संसदीय सीट पर 57.38 फीसदी वोट पड़े थे. वहीं, बात 2019 की करे तो यहां कुल मतदाताओं की संख्या 1477532 है. जिसमें महिला मतदाता- 691899, पुरुष मतदाता- 773527, सर्विस वोटर 12057 और थर्ड जेंडर- 49. वहीं, इस बार के चुनाव आयोग ने टिहरी लोकसभा में 927 पोलिंग बूथ बनाएं हैं.
बात अगर टिहरी लोकसभा के मुद्दों की करे तो यहां विस्थापन एक बहुत बड़ा मुद्दा रहा है. टिहरी ऐसी लोकसभा है जहां विकास और विस्थापन साथ-साथ चलते हैं. 2019 के लोकसभा चुनावों में रोजगार, स्वास्थ्य, शिक्षा ये वे जरूरी मुद्दे हैं जिन पर प्रत्याशियों की किस्मत का फैसला हो सकता है.
सियासी समीकरण
तमाम सियासी समीकरणों को देखते हुए कहा जा सकता है कि इस बार टिहरी लोकसभा हॉट सीट साबित हो सकती है. यहां एक ओर जहां रानी अपनी सियासी सत्ता बचाने के लिए मैदान में हैं तो वहीं दूसरी ओर विरासत में राजनीति का ककहरा सीख कर आए प्रीतम सिंह हैं जो कि रानी के गढ़ में सेंध लगाने के मंसूबे से चुनावी मैदान में हैं. तो कथावाचक गोपाल मणि के साथ अन्य निर्दलीय भी इस सीट के समीकरणों को और रोचक बना रहे हैं. ऐेसे में देखना दिलचस्प होगा कि राजघराने वाली इस सीट पर जनता किसे जीत आशार्वाद देकर सत्ता के सिंहासन पर बिठाती है.
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