ETV Bharat / state

टिहरी में कांग्रेस विधायक का धरना, टिहरी झील प्रभावित गांवों के विस्थापन की मांग - प्रतापनगर विधानसभा

टिहरी झील से प्रभावित रोलाकोट, भलड़ियाना आदि गांवों के विस्थापन की मांग को लेकर कांग्रेस विधायक विक्रम सिंह नेगी ने पुनर्वास कार्यालय के बाहर धरना प्रदर्शन किया. इस दौरान उन्होंने सरकार से प्रभावित ग्रामीण के पुनर्वास और विस्थापन की मांग की.

MLA Vikram Singh Negi protest Outside Tehri rehabilitation office
कांग्रेस विधायक का पुनर्वास कार्यालय के बाहर धरना
author img

By

Published : Jan 8, 2023, 4:46 PM IST

टिहरी: प्रतापनगर विधानसभा के कांग्रेस विधायक विक्रम सिंह नेगी ने टिहरी झील से प्रभावित रोलाकोट, भलड़ियाना आदि गांवों के विस्थापन की मांग को लेकर पुनर्वास कार्यालय के बाहर धरने पर बैठ गए. उन्होंने कहा कि जोशीमठ के जैसे ही टिहरी झील के प्रभावित रौलाकोट और भलड़ियाना गांव के हालात हो सकते हैं. ऐसे में वक्त रहते प्रभावित परिवारों को विस्थापित किया जाना चाहिए.

कांग्रेस विधायक विक्रम सिंह नेगी ने कहा 29 अक्टूबर 2005 को जब टिहरी झील की अंतिम सुरंग बंद की गई और भागीरथी भिलंगना नदी को रोक दिया गया, तब टिहरी बांध की झील का निर्माण हुआ. जैसे-जैसे झील का जलस्तर बढ़ता गया तो ग्राम रौलाकोट, भलड़ियाना, पीपला उठंडा नंद गांव उठड आदि के ऊपरी भाग में अस्थिरता उत्पन्न होने लगी. गांव के भूमि भवनों में बड़ी-बड़ी दरारें पड़ गईं. कुछ भवन ऐसे हैं, जो कभी भी जमींदोज हो सकते हैं. किसी भी वक्त जान माल का नुकसान हो सकता है, लेकिन अभी तक प्रभावितों को विस्थापित नहीं किया गया है.

विक्रम सिंह नेगी ने कहा टिहरी झील से सबसे ज्यादा प्रभावित रौलाकोट गांव के परिवार है. इन गांव में 75% परिवार पूर्व में ही पुनर्वास हो चुके हैं. शेष 25% परिवार जिनकी संख्या मात्र 17 परिवार है, उनका विस्थापन होना शेष है. इनका विस्थापन किया जाना जरूरी है. भलड़ियाना गांव के 6 परिवार को भी विस्थापित करना है.
ये भी पढ़ें: जोशीमठ में आशियाने को बचाने की जंग, सूबे में शुरू हुई राजनीति

धरने पर बैठे रौलाकोट भलड़ियाना गांव की महिलाओं ने पुनर्वास विभाग पर आरोप लगाया. उन्होंने कहा 2 महीने से अधिक से पुनर्वास ऑफिस के बाहर विस्थापन की मांग को लेकर धरने पर बैठे हैं, लेकिन पुनर्वास विभाग और शासन प्रशासन का कोई भी अधिकारियों ने उनकी सुध लेने नहीं आया. जिससे आक्रोशित महिलाओं ने शासन प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी की.

कांग्रेस नेता शांति प्रसाद भट्ट ने कहा 2013 में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार, राज्य सरकार और टीएचडीसी को आरएल 835 मीटर से ऊपर की गांवों के लिए एक संपार्श्विक क्षतिपूर्ति नीति बनाने के निर्देश दिए थे. वर्तमान में टिहरी बांध जलाशय परिधि पर आरएल 835 मीटर से ऊपर गांवों के परिवारों के पुनर्वास एवं पुनर्स्थापना का कार्य संपार्श्विक क्षति नीति 2013 और 2021 के 3 अंतर्गत गतिमान है.

भूमि की अनुपलब्धता के कारण इन ग्रामों के प्रभावित परिवारों को 2 एकड़ कृषि भूमि, 200 वर्ग मीटर आवासीय भूमि के बदले 74 लाख नकद प्रति व्यक्ति कर दिया जा रहा है. वहीं, आंशिक प्रभावित परिवारों को पूर्व पुनर्वास नीति 1998 के अनुसार उनकी क्षतिग्रस्त भूमि के बदले भूमि का नगद प्रति कर ही दिया जा रहा है. साथी पुनर्वास नीति 1998 के अनुसार वह गांव जहां 75% अथवा उससे अधिक परिवारों को पूर्ण रूप से प्रभावित माना जाता है. वह शेष आंशिक रूप से प्रभावित परिवारों को पूर्ण रूप से प्रभावित माना जाएगा. अपने संपूर्ण जमीन के एवज में पूर्णतः प्रभावित परिवारों पर लागू मानदंडों के अनुसार नगद प्रतिपूर्ति के भुगतान के पात्र हैं और उन्हें भूमि आवंटन के पात्र नहीं होंगे.

टिहरी: प्रतापनगर विधानसभा के कांग्रेस विधायक विक्रम सिंह नेगी ने टिहरी झील से प्रभावित रोलाकोट, भलड़ियाना आदि गांवों के विस्थापन की मांग को लेकर पुनर्वास कार्यालय के बाहर धरने पर बैठ गए. उन्होंने कहा कि जोशीमठ के जैसे ही टिहरी झील के प्रभावित रौलाकोट और भलड़ियाना गांव के हालात हो सकते हैं. ऐसे में वक्त रहते प्रभावित परिवारों को विस्थापित किया जाना चाहिए.

कांग्रेस विधायक विक्रम सिंह नेगी ने कहा 29 अक्टूबर 2005 को जब टिहरी झील की अंतिम सुरंग बंद की गई और भागीरथी भिलंगना नदी को रोक दिया गया, तब टिहरी बांध की झील का निर्माण हुआ. जैसे-जैसे झील का जलस्तर बढ़ता गया तो ग्राम रौलाकोट, भलड़ियाना, पीपला उठंडा नंद गांव उठड आदि के ऊपरी भाग में अस्थिरता उत्पन्न होने लगी. गांव के भूमि भवनों में बड़ी-बड़ी दरारें पड़ गईं. कुछ भवन ऐसे हैं, जो कभी भी जमींदोज हो सकते हैं. किसी भी वक्त जान माल का नुकसान हो सकता है, लेकिन अभी तक प्रभावितों को विस्थापित नहीं किया गया है.

विक्रम सिंह नेगी ने कहा टिहरी झील से सबसे ज्यादा प्रभावित रौलाकोट गांव के परिवार है. इन गांव में 75% परिवार पूर्व में ही पुनर्वास हो चुके हैं. शेष 25% परिवार जिनकी संख्या मात्र 17 परिवार है, उनका विस्थापन होना शेष है. इनका विस्थापन किया जाना जरूरी है. भलड़ियाना गांव के 6 परिवार को भी विस्थापित करना है.
ये भी पढ़ें: जोशीमठ में आशियाने को बचाने की जंग, सूबे में शुरू हुई राजनीति

धरने पर बैठे रौलाकोट भलड़ियाना गांव की महिलाओं ने पुनर्वास विभाग पर आरोप लगाया. उन्होंने कहा 2 महीने से अधिक से पुनर्वास ऑफिस के बाहर विस्थापन की मांग को लेकर धरने पर बैठे हैं, लेकिन पुनर्वास विभाग और शासन प्रशासन का कोई भी अधिकारियों ने उनकी सुध लेने नहीं आया. जिससे आक्रोशित महिलाओं ने शासन प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी की.

कांग्रेस नेता शांति प्रसाद भट्ट ने कहा 2013 में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार, राज्य सरकार और टीएचडीसी को आरएल 835 मीटर से ऊपर की गांवों के लिए एक संपार्श्विक क्षतिपूर्ति नीति बनाने के निर्देश दिए थे. वर्तमान में टिहरी बांध जलाशय परिधि पर आरएल 835 मीटर से ऊपर गांवों के परिवारों के पुनर्वास एवं पुनर्स्थापना का कार्य संपार्श्विक क्षति नीति 2013 और 2021 के 3 अंतर्गत गतिमान है.

भूमि की अनुपलब्धता के कारण इन ग्रामों के प्रभावित परिवारों को 2 एकड़ कृषि भूमि, 200 वर्ग मीटर आवासीय भूमि के बदले 74 लाख नकद प्रति व्यक्ति कर दिया जा रहा है. वहीं, आंशिक प्रभावित परिवारों को पूर्व पुनर्वास नीति 1998 के अनुसार उनकी क्षतिग्रस्त भूमि के बदले भूमि का नगद प्रति कर ही दिया जा रहा है. साथी पुनर्वास नीति 1998 के अनुसार वह गांव जहां 75% अथवा उससे अधिक परिवारों को पूर्ण रूप से प्रभावित माना जाता है. वह शेष आंशिक रूप से प्रभावित परिवारों को पूर्ण रूप से प्रभावित माना जाएगा. अपने संपूर्ण जमीन के एवज में पूर्णतः प्रभावित परिवारों पर लागू मानदंडों के अनुसार नगद प्रतिपूर्ति के भुगतान के पात्र हैं और उन्हें भूमि आवंटन के पात्र नहीं होंगे.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.