टिहरी: एशिया के सबसे बड़े टिहरी बांध की झील से परेशान भलड़गाव के ग्रामीणों ने जिलाधिकारी कार्यालय के बाहर भूख हड़ताल और धरना प्रदर्शन किया, ग्रामीणों ने कहा जब तक हमारी मांगे पूरी नहीं होती है तब तक यहां धरना जारी रहेगा.आपको बता दें कि टिहरी बांध की झील 2005 में बन बन के तैयार हो गई थी. और झील के कारण आसपास बसे गांव में भूस्खलन होने लग गया, जिससे गांव के लोग डरे हुये हैं. वहीं टिहरी झील के कारण भलड़गांव की जमीनों में भी दरारें पड़ गई हैं.
ग्रामीणों ने की विस्थापन की मांग: गांव के लोग बार-बार विस्थापन की मांग करते आ रहे हैं, लेकिन 20 साल गुजर गए आज तक किसी ने भलड़गांव की सुध नहीं ली. जिस कारण भलड़गांव के ग्रामीण जिला कार्यालय अधिकारी के ऑफिस के बाहर भूख हड़ताल पर बैठ गए. गांव के ग्रामीणों ने कहा कि गांव के दोनों तरफ नाले हैं जहां पर भूस्खलन हो रहा है. और गांव के नीचे टिहरी झील के पानी से लगातार कटाव हो रहा है, इस मामले में अधिकारियों से लेकर विधायक तक सब के पास गए लेकिन किसी ने सुध नहीं ली.
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जीएसआई की रिपोर्ट पर उठाए सवाल: ग्रामीणों ने जीएसआई की टीम पर आरोप लगाते हुए कहा कि जीएसआई की टीम मौके पर कभी नहीं आई. यह टीम सड़क पर पहुंची और सड़क से ही गांव का सर्वे कर दिया. ग्रामीणों ने जीएसआई की रिपोर्ट पर ही सवाल उठा दिए हैं उन्होंने कहा कि पिछले साल जीएसआई की टीम ने इस गांव में दरार पड़ने का कारण टिहरी झील बताया था और वर्तमान समय में जीएसआई की टीम ने जो रिपोर्ट दी उस रिपोर्ट में लैट्रिन गड्ढे के कारण मकानों में दरार पड़ना बताया गया है. जिस कारण ग्रामीणों आक्रोशित होकर भूख हड़ताल पर बैठ गए हैं. ग्रामीणों का कहना है कि जब तक विस्थापन नहीं होता है तब तक धरना जारी रहेगा.