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मनरेगा के भुगतान को लेकर जनप्रतिनिधियों ने CDO को भेजा ज्ञापन, आंदोलन की दी चेतावनी

धनौल्टी के विकासखंड थौलधार की पूर्व प्रधान सदस्य क्षेत्र पंचायतों की ओर से मनरेगा योजनाओं के सामग्री भुगतान की मांग को लेकर बैठक की गई.

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Published : Oct 1, 2021, 8:20 AM IST

Updated : Oct 1, 2021, 8:47 AM IST

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धनौल्टी: विकासखंड थौलधार की पूर्व प्रधान सदस्य क्षेत्र पंचायतों की ओर से मनरेगा योजनाओं के सामग्री भुगतान की मांग को लेकर बैठक का आयोजन किया. साथ ही तहसील कंडीसौड़ के माध्यम से सीडीओ टिहरी को ज्ञापन भेजा गया.

पूर्व क्षेत्र पंचायत सदस्य मनवीर पंवार ने बताया कि जनप्रतिनिधियों के द्वारा अपने-अपने क्षेत्रों में मनरेगा के तहत बर्ष 2017-18 और 2018-19 में विकास कार्य करवाएं गए थे. जिनमें से 144 विकास योजनाओं की फाइलों को फिजिकल कंप्लीट दिखाकर श्रमिकों का भुगतान किया गया. लेकिन सामग्री अंश भुगतान न होने पर जब बार-बार जनप्रतिनिधियों के द्वारा तत्कालीन खंड विकास अधिकारी व उप कार्यक्रम अधिकारी से सामग्री अंश भुगतान के लिए आग्रह किया गया तो उनके द्वारा जल्द भुगतान करने का आश्वासन दिया जाता रहा है.

मनरेगा के भुगतान को लेकर जनप्रतिनिधियों ने CDO को भेजा ज्ञापन.

वहीं, जब इसकी शिकायत जब पूर्व जनप्रतिनिधियों के प्रतिनिधिमंडल द्वारा जिलाधिकारी से की गई तो जिलाधिकारी के द्वारा उक्त प्रकरण के लिए खंड विकास अधिकारी देवप्रयाग को जांच अधिकारी नामित कर बिन्दुवार जांच कर रिपोर्ट प्रस्तुत करने को कहा गया. जांच अधिकारी के द्वारा जांच में पाया गया कि तत्कालीन खंड विकास अधिकारी सेवानिवृत्त भगवती प्रसाद डबराल व प्रभारी खंड विकास अधिकारी स्वर्गीय विनोद रावत द्वारा बिल भुगतान एवं भौतिक रूप से पूर्ण करने के लिए कोई अनुश्रवण किया गया और न ही पत्रावलियों में इस के लिए कहीं उनके हस्ताक्षर पाए गए.

जांच के दौरान उप कार्यक्रम अधिकारी एवं लेखाकार द्वारा अवगत कराया गया कि क्षेत्रीय कर्मचारियों द्वारा पत्रावली भुगतान के लिए विकासखंड कार्यालय में प्रस्तुत की जाती है, जोकि लेखाकार द्वारा जांच के पश्चात कंप्यूटर ऑपरेटर को बिल एमआई एस एवं भौतिक रूप से पूर्ण करने के लिए दी जाती है. साथ ही यह भी अवगत कराया गया कि तत्कालीन कंप्यूटर ऑपरेटर सतीश कुमार द्वारा पत्रावली भौतिक रूप से पूर्ण की गई थी. जांच के दौरान उप कार्यक्रम अधिकारी एवं लेखाकार द्वारा अवगत कराया गया कि विकासखंड की कार्य पूर्ति दर न्यून होने के कारण तत्कालीन कंप्यूटर ऑपरेटर सतीश कुमार और तत्कालीन उपकार्यक्रम अधिकारी नरेंद्र भंडारी द्वारा बिना बिल एमआईएस के फीड किए पत्रावली भौतिक रूप से पूर्ण की गई है.

पढ़ें: जिम कॉर्बेट पार्क में वन्य जीव सप्ताह का आगाज, 4 अक्टूबर को मनाया जाएगा हाथी दिवस

उक्त 144 पत्रावलियां दिनांक 9 मई 2019 से 2 जुलाई 2020 के अंतर्गत पूर्ण की गई है. प्रकोष्ठ को उक्त योजनाएं पुनः आंनगोइंग में बदलने के लिए कोई जानकारी न देने के संबंध में तत्कालीन कार्यरत खंडविकास अधिकारी व तत्कालीन उप कार्यक्रम अधिकारी द्वारा कोई संतोषजनक उत्तर नहीं दिया गया. जिसके बाद मुख्य विकास अधिकारी के द्वारा उक्त प्रकरण मे मुख्य विकास अधिकारी के द्वारा अपर सचिव/अधिशासी निदेशक राज्य महात्मा गाधी मनरेगा प्रकोष्ठ ग्राम्य विकास विभाग उत्तराखंड शासन देहरादून को 17 अप्रैल 2021 को भेजे गए पंत्राक 132/मनरेगा/32-एमआईएस 2021-22 के द्वारा खंडविकास अधिकारी देव प्रयाग द्वारा जांच आख्या के आधार पर संलग्न सूची में उल्लिखित कार्यों को आनगोइंग करवाने के लिए पत्र भेजा गया.

वहीं, सम्बंधित योजनाओं पर सामग्री अंश का अवशेष भुगतान किया जा सकें. लेकिन विभाग ने इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया. अगर इसका जल्द समाधान नहीं निकला तो वे इसके लिए आंदोलन करेंगे. उप कार्यक्रम अधिकारी नरेन्द्र भंडारी ने कहा कि फाइलों की जांच हो चुकी है, फाइले फिजिकल कंप्लीट होने के बाद मामला शासन में है. जैसे हैं सॉफ्टवेयर खुलेगा तो भुगतान की प्रक्रिया शुरू की जाएगी.

धनौल्टी: विकासखंड थौलधार की पूर्व प्रधान सदस्य क्षेत्र पंचायतों की ओर से मनरेगा योजनाओं के सामग्री भुगतान की मांग को लेकर बैठक का आयोजन किया. साथ ही तहसील कंडीसौड़ के माध्यम से सीडीओ टिहरी को ज्ञापन भेजा गया.

पूर्व क्षेत्र पंचायत सदस्य मनवीर पंवार ने बताया कि जनप्रतिनिधियों के द्वारा अपने-अपने क्षेत्रों में मनरेगा के तहत बर्ष 2017-18 और 2018-19 में विकास कार्य करवाएं गए थे. जिनमें से 144 विकास योजनाओं की फाइलों को फिजिकल कंप्लीट दिखाकर श्रमिकों का भुगतान किया गया. लेकिन सामग्री अंश भुगतान न होने पर जब बार-बार जनप्रतिनिधियों के द्वारा तत्कालीन खंड विकास अधिकारी व उप कार्यक्रम अधिकारी से सामग्री अंश भुगतान के लिए आग्रह किया गया तो उनके द्वारा जल्द भुगतान करने का आश्वासन दिया जाता रहा है.

मनरेगा के भुगतान को लेकर जनप्रतिनिधियों ने CDO को भेजा ज्ञापन.

वहीं, जब इसकी शिकायत जब पूर्व जनप्रतिनिधियों के प्रतिनिधिमंडल द्वारा जिलाधिकारी से की गई तो जिलाधिकारी के द्वारा उक्त प्रकरण के लिए खंड विकास अधिकारी देवप्रयाग को जांच अधिकारी नामित कर बिन्दुवार जांच कर रिपोर्ट प्रस्तुत करने को कहा गया. जांच अधिकारी के द्वारा जांच में पाया गया कि तत्कालीन खंड विकास अधिकारी सेवानिवृत्त भगवती प्रसाद डबराल व प्रभारी खंड विकास अधिकारी स्वर्गीय विनोद रावत द्वारा बिल भुगतान एवं भौतिक रूप से पूर्ण करने के लिए कोई अनुश्रवण किया गया और न ही पत्रावलियों में इस के लिए कहीं उनके हस्ताक्षर पाए गए.

जांच के दौरान उप कार्यक्रम अधिकारी एवं लेखाकार द्वारा अवगत कराया गया कि क्षेत्रीय कर्मचारियों द्वारा पत्रावली भुगतान के लिए विकासखंड कार्यालय में प्रस्तुत की जाती है, जोकि लेखाकार द्वारा जांच के पश्चात कंप्यूटर ऑपरेटर को बिल एमआई एस एवं भौतिक रूप से पूर्ण करने के लिए दी जाती है. साथ ही यह भी अवगत कराया गया कि तत्कालीन कंप्यूटर ऑपरेटर सतीश कुमार द्वारा पत्रावली भौतिक रूप से पूर्ण की गई थी. जांच के दौरान उप कार्यक्रम अधिकारी एवं लेखाकार द्वारा अवगत कराया गया कि विकासखंड की कार्य पूर्ति दर न्यून होने के कारण तत्कालीन कंप्यूटर ऑपरेटर सतीश कुमार और तत्कालीन उपकार्यक्रम अधिकारी नरेंद्र भंडारी द्वारा बिना बिल एमआईएस के फीड किए पत्रावली भौतिक रूप से पूर्ण की गई है.

पढ़ें: जिम कॉर्बेट पार्क में वन्य जीव सप्ताह का आगाज, 4 अक्टूबर को मनाया जाएगा हाथी दिवस

उक्त 144 पत्रावलियां दिनांक 9 मई 2019 से 2 जुलाई 2020 के अंतर्गत पूर्ण की गई है. प्रकोष्ठ को उक्त योजनाएं पुनः आंनगोइंग में बदलने के लिए कोई जानकारी न देने के संबंध में तत्कालीन कार्यरत खंडविकास अधिकारी व तत्कालीन उप कार्यक्रम अधिकारी द्वारा कोई संतोषजनक उत्तर नहीं दिया गया. जिसके बाद मुख्य विकास अधिकारी के द्वारा उक्त प्रकरण मे मुख्य विकास अधिकारी के द्वारा अपर सचिव/अधिशासी निदेशक राज्य महात्मा गाधी मनरेगा प्रकोष्ठ ग्राम्य विकास विभाग उत्तराखंड शासन देहरादून को 17 अप्रैल 2021 को भेजे गए पंत्राक 132/मनरेगा/32-एमआईएस 2021-22 के द्वारा खंडविकास अधिकारी देव प्रयाग द्वारा जांच आख्या के आधार पर संलग्न सूची में उल्लिखित कार्यों को आनगोइंग करवाने के लिए पत्र भेजा गया.

वहीं, सम्बंधित योजनाओं पर सामग्री अंश का अवशेष भुगतान किया जा सकें. लेकिन विभाग ने इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया. अगर इसका जल्द समाधान नहीं निकला तो वे इसके लिए आंदोलन करेंगे. उप कार्यक्रम अधिकारी नरेन्द्र भंडारी ने कहा कि फाइलों की जांच हो चुकी है, फाइले फिजिकल कंप्लीट होने के बाद मामला शासन में है. जैसे हैं सॉफ्टवेयर खुलेगा तो भुगतान की प्रक्रिया शुरू की जाएगी.

Last Updated : Oct 1, 2021, 8:47 AM IST
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