धनोल्टी: कहते है जब इंसान का बुरा वक्त आता है, तो उस पर दुखों का पहाड़ टूट जाता है. कुछ ऐसी ही कहानी थौलधार विकासखंड के रमोलसारी गांव निवासी भाग सिंह की है. जिन्होंने कड़ी मेहनत कर अपने दोनों बेटे को पढ़ाया. जिसके फलस्वरूप उसके दोनों बेटे नाइजीरिया के एक होटल में काम करने लगे. लेकिन किस्मत ने भाग सिंह से उसके दोनों बेटे छीन लिए. अब वह फिर से बुढ़ापे में संघर्ष करने को मजबूर हैं. वहीं, सीएम पुष्कर सिंह धामी ने भी मामले में विदेश मंत्री एस जयशंकर को पत्र लिखकर भाग सिंह के बेटे जबर सिंह का पार्थिव शरीर नाइजीरिया से उसके घर लाने की मांग की है.
रमोलसारी निवासी भाग सिंह विकलांग है. जिसने गांव में ही मेहनत मजदूरी कर अपने बच्चों की पढ़ाया लिखाया. उसने सोचा था कि बेटों की नौकरी लगने के बाद उसे बुढ़ापे का सहारा मिल जाएगा, लेकिन भगवान को शायद ऐसा मंजूर नही था. भाग सिंह की संघर्ष भरी जिंदगी अब बुढ़ापे में उसके लिए दुखों का पहाड़ लेकर आई है.
बता दें कि भाग सिंह का जन्म एक गरीब परिवार में हुआ था. शादी के बाद उसने बच्चों की पढ़ाई के लिए जी-तोड़ मेहनत मजदूरी की. लेकिन 2005 में गांव के पास हुए भारी भूस्खलन के कारण उसकी पत्नी की मौत हो गई, जिसके बाद बच्चों के लालन-पालन का सारा जिम्मा उसके कंधों पर आ गया.
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विपरीत परिस्थितियों के बावजूद उन्होंने अपने दोनों बेटों को पढ़ाया लिखाया. कुछ सालों बाद उसका बड़ा बेटा भाव सिंह नाइजीरिया गया और वहां एक होटल में नौकरी करने लगा. भाग सिंह को अब किस्मत बदलने की उम्मीद दिखाई देने लगी तो उसने बड़े बेटे की शादी कर दी. इसके बाद उसका छोटा बेटा भी नाइजीरिया चला गया और वहां होटल में नौकरी करने लगा.
दोनों बेटे के सेटल होने पर भाग सिंह को भाग्य बदलने की उम्मीद बंध गई, लेकिन वह खुशी के दिन देख पाता तभी नाइजीरिया में उसके बड़े बेटे की तबीयत खराब होने की सूचना मिली. जिसके बाद उसे भारत वापस भेज दिया गया. लेकिन, इलाज के दौरान बड़े बेटे भाव सिंह ने दून के एक अस्पताल में दम तोड़ दिया.
जिसके बाद भाग सिंह के कंधों पर बड़े बेटे की बहू की जिम्मेदारी आ गई. इसी बीच भाग सिंह ने छोटे बेटे जबर सिंह की शादी कर दी. शादी के बाद छोटे बेटे को एक बेटा और एक बेटी हुई, एक बार फिर से परिवार में खुशी का माहौल था. लेकिन 24 अगस्त की सुबह को नाइजीरिया से छोटे बेटे जबर सिंह की मौत की सूचना मिलते ही भाग सिंह की खुशियां फिर से मातम में बदल गई.
परिवार में सभी का रो-रोकर बुरा हाल है. अब दो बहुओं और दो बच्चों की जिम्मेदारी भाग सिंह के कंधों पर आ गई. वहीं, भाग सिंह के बेटे जबर सिंह के शव को भारत लाने की मांग स्थानीय लोग कर रहे हैं.
समाजिक कार्यकर्ता सुमन सिंह राणा ने बताया कि जबर सिंह के साथ नाइजीरिया में रह रहे गांव के दूसरे युवक ने बताया कि अभी तक वहां की सरकार शव भेजने के लिए इनकार कर रही है. इसके साथ ही सुमन ने सरकार से भाग सिंह के परिवार को आर्थिक मदद देने की मांग की है. ताकि उसका बिखरता परिवार फिर से खड़ा हो सके.