रुद्रप्रयाग: उत्तराखंड में मिनी स्विट्जरलैंड के नाम से मशहूर चोपता और दुगलबिट्टा में पर्यटन कारोबारियों ने स्थानीय प्रशासन पर गंभीर आरोप लगाया है. आरोप है कि कारोबारियों पर अतिक्रमण के नाम पर प्रशासन का डंडा चलना शुरू हो गया है. प्रशासन ने वन विभाग के सेंचुरी एरिया में अतिक्रमण करके बनाये गये कई टेंट और होटल-ढाबों को ध्वस्त करना शुरू कर दिया है. इस प्रशासन की मनमानी बताते हुए व्यापारियों ने आज 21 दिसंबर प्रशासन के खिलाफ प्रदर्शन कर किया.
उत्तराखंड के मिनी स्विट्जरलैंड चोपता में सर्दियों शुरू होते की पर्यटन की आमद बढ़नी शुरू हो जाती है. क्रिसमस और नए साल पर बर्फबारी के आनंद लेने के लिए देशभर के पर्यटक चोपता पहुंचते हैं. ऐसे में कारोबारियों को भी इस सीजन के खासी उम्मीद रहती है, लेकिन इस बार पर्यटकों का गुस्सा सातवें आसमान पर है. उनका आरोप है कि एक तो इस बार बर्फबारी नहीं होने से पर्यटक अभी चौपता जैसे जगहों के रूख नहीं कर रहे हैं. ऊपर से प्रशासन वन अधिनियम कानून के नाम पर उन्हें परेशान कर रहा है.
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दरअसल, चोपता क्षेत्र हिमालय में आता है और यहां पर वन अधिनियम लागू है. इस वजह से यहां पर कोई भी पक्के कार्य नहीं कर सकता है. वहीं, चौपता के बुग्यालों में मानव आवाजाही होने के साथ ही निर्माण होने से पर्यावरण व बुग्यालों को नुकसान पहुंच रहा है. इसके अलावा चोपता-बद्रीनाथ हाईवे किनारे बड़ी संख्या में होटल-ढाबों और टेंट कॉलोनियों का निर्माण किया है, जिस पर प्रशासन ने कार्रवाई शुरू कर दी है. जिसका स्थानीय व्यापारी विरोध कर रहे है.
व्यापारियों का आरोप: व्यापारियों का कहना है कि वन अधिनियम और सेंचुरी एरिया के नाम पर उनका रोजगार छीना जा रहा है, जिसके बर्दाश्त नहीं किया जायेगा. चोपता व्यापार संघ के अध्यक्ष भूपेंद्र मैठाणी का कहना है कि आरक्षित और सेंचुरी वन क्षेत्र के नाम पर यहां से लोगों को पलायन करने के लिये मजबूर किया जा रहा है. यदि हमारे साथ जबरन अन्याय किया गया तो पूरे परिवार के साथ मिलकर सभी व्यापारी विधानसभा के सामने प्रदर्शन करेंगे.
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स्थानीय व्यापारी जगदीश मैठाणी का कहना है उन्हें अपना स्वरोजगार बचाने के लिये लड़ाई लड़नी पड़ रही है. प्रशासन और वन विभाग यहां से अपना स्वरोजगार हटाने के लिये लगातार नोटिस दे रहा है. हम लोग कच्चा सामान लगाकर रोजगार कर रहे हैं, लेकिन फिर भी हमें रोजगार करने से वंचित रखा जा रहा है.