रुद्रप्रयागः सरकार भले ही हर गांव तक सड़क पहुंचाने का दावा करती हो, लेकिन जमीनी हकीकत ठीक उलट है. इसकी एक बानगी रुद्रप्रयाग जिले के अंतिम गांव तोषी में देखने को मिल रही है. जहां आजादी के सात दशक बाद भी सड़क नहीं पहुंच पाई है. सड़क की सुविधा न होने से ग्रामीणों को आज भी छह किमी का पैदल सफर तय करना पड़ रहा है. ऐसे में सबसे ज्यादा परेशानी गर्भवती महिलाओं, मरीजों और बुजुर्गों को हो रही है. ग्रामीणों का कहना है कि जनप्रतिनिधि सिर्फ चुनाव के दौरान गांव में वोट मांगने पहुंचते हैं, लेकिन चुनाव के बाद गांव की कोई सुध नहीं ली जाती है.
दरअसल, रुद्रप्रयाग जिले का अंतिम गांव तोषी शिव-पार्वती विवाह स्थल त्रियुगीनारायण से छह किमी दूरी पर बसा हुआ है. त्रियुगीनारायण से गांव जाने के लिए छह किमी का कठिन पैदल सफर तय करना पड़ता है. गांव में आज भी पचास से ज्यादा परिवार निवास करते हैं, लेकिन सड़क मार्ग न होने के कारण ग्रामीणों को कई प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ता है. सबसे ज्यादा परेशानियां ग्रामीणों को बीमार व्यक्तियों को अस्पताल पहुंचाने में होती है. मामूली सिरदर्द की दवाई के लिए भी ग्रामीणों को छह किमी पैदल चलना पड़ता है.
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तोषी गांव बुग्यालों के बीच बसा हुआ है, लेकिन गांव में किसी भी प्रकार की सुख सुविधाएं नहीं हैं. गांव सड़क मार्ग से न जुड़े होने के कारण ज्यादातर ग्रामीण गांव से निचले क्षेत्रों में पलायन भी कर रहे हैं. रुद्रप्रयाग के जिला पंचायत उपाध्यक्ष सुमंत तिवारी ने भी माना है कि सड़क न होने के कारण गांव का विकास नहीं हो पा रहा है. स्वास्थ्य, शिक्षा और सड़क की असुविधा के कारण ग्रामीणों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. साथ ही ग्रामीणों को छह किमी की दूरी पैदल नापनी पड़ती है.