रुद्रप्रयागः चारधाम में शुमार केदारनाथ धाम में स्थानीय लोगों को प्रशासन की ओर से बेदखली की नोटिस दिए जाने पर तीर्थ पुरोहितों ने कड़ी नाराजगी जताई है. साथ ही विहित प्राधिकारी ऊखीमठ कार्यालय की ओर से केदारनाथ में भवनों पर नोटिस चस्पा करने का विरोध किया. जिसे लेकर केदार सभा ने एसडीएम ऊखीमठ के माध्यम से जिलाधिकारी को ज्ञापन भेजा. वहीं, दूसरी ओर केदारनाथ धाम में तीर्थ पुरोहितों ने केंद्र और राज्य सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की.
रुद्रप्रयाग डीएम सौरभ गहरवार को भेजे ज्ञापन में केदार सभा के अध्यक्ष राजकुमार तिवारी ने कहा कि कार्यालय विहित प्राधिकारी ऊखीमठ की ओर से बीती 21 अगस्त को केदारनाथ धाम निवासी पन्ना लाल, दर्शन लाल, कमल चंद्र त्रिवेदी और किशन चंद्र पोस्ती को नोटिस जारी किया है. जिसमें स्पष्ट रूप से आरोप लगाए गए हैं कि इन लोगों के आवासीय भवन एवं धर्मशाला सरकारी भूमि पर बनाए गए हैं. केदार सभा और केदारनाथ धाम के सभी निवासी पीएम मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट में प्रशासन का सहयोग करते आ रहे हैं.
इससे पहले भी कई लोगों ने प्रशासन को अपने आवासीय भवन दिए. ताकि केदारनाथ पुनर्निर्माण काम तय समय पर पूरा हो सके, लेकिन यह चिंताजनक और खेद का विषय है कि विहित प्राधिकारी की ओर से बिना संबंधित भवन स्वामियों से बातचीत किए ही बेदखली के नोटिस चस्पा कर दिए हैं. जिससे यह प्रतीत हो रहा है कि शासन-प्रशासन धाम में स्थानीय लोगों को विश्वास में लिए बिना ही मनमानी करना चाहता है. जिसकी केदारसभा और स्थानीय निवासी घोर निंदा करते हैं.
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तीर्थ पुरोहितों का कहना कि इससे पहले भी कई मौकों पर शासन-प्रशासन की ओर से स्थानीय लोगों को ये विश्वास दिलाया जाता रहा है कि धाम में सभी पुनर्निर्माण से संबंधित कार्यों में स्थानीय लोगों को विश्वास में लेकर जन भागीदारी से कार्य किए जाएंगे, लेकिन वर्तमान में ये सभी बातें खोखली साबित हो रही हैं. उनका कहना है कि यदि इसी तरह शासन-प्रशासन का रवैया रहा तो स्थानीय लोग बिना किसी पूर्व सूचना के आंदोलन के लिए बाध्य होंगे. जिसका सीधा प्रभाव केदारनाथ में हो रहे पुनर्निर्माण कार्यों पर पड़ेगा.
वहीं, ज्ञापन देने वालों में केदार सभा अध्यक्ष राजकुमार तिवारी, महामंत्री राजेंद्र प्रसाद तिवारी, नगर पंचायत ऊखीमठ के अध्यक्ष विजय राणा आदि शामिल रहे. उधर, दूसरी ओर केदारनाथ धाम में तीर्थ पुरोहितों ने केंद्र और राज्य सरकार पर मनमानी का आरोप लगाया है. उनका कहना है कि धाम में किए जा रहे पुनर्निर्माण कार्यों में तीर्थ पुरोहितों को विश्वास में नहीं लिया जा रहा है. सरकार अपनी मनमर्जी का कार्य कर रही है. तीर्थ पुरोहितों ने कहा कि यदि डंबल इंजन की सरकार ने उनकी नहीं सुनी तो वे धाम में आंदोलन के लिए मजबूर हो जाएंगे.