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भू कटाव के साथ बुग्यालों का हो रहा संरक्षण, जियो जूट विधि से कमाल कर रहा रुद्रप्रयाग वन प्रभाग

बुग्यालों के संरक्षण के लिए रुद्रप्रयाग वन प्रभाग नई पहल में जुटा है. रुद्रप्रयाग वन प्रभाग जियो जूट विधि से भू कटाव की परेशानी के साथ साथ बुग्यालों के संरक्षण के लिए भी काम कर रहा है.

Geo jute method in Rudraprayag
भू कटाव के साथ बुग्यालों का हो रहा संरक्षण
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Published : Aug 2, 2023, 7:37 PM IST

Updated : Aug 2, 2023, 7:52 PM IST

भू कटाव के साथ बुग्यालों का हो रहा संरक्षण

रुद्रप्रयाग: मौसम परिवर्तन के कारण हर साल हिमालयी क्षेत्रों में बुग्यालों को भारी नुकसान पहुंच रहा है. बेमौसम बारिश और बेमौसम बर्फबारी से बुग्याली क्षेत्र में भू-कटाव होने में लगा है. ऐसे में जंगलों को भी भारी नुकसान पहुंच रहा है. जंगलों की सुरक्षा और पर्यावरण संरक्षण को लेकर वन प्रभाग रुद्रप्रयाग एक मुहिम में जुटा है. अगर यह मुहिम सफल होती है तो रुद्रप्रयाग जनपद के बुग्यालों का बेहतर संरक्षण होने के साथ ही जंगलों का भविष्य भी सुरक्षित होगा.

बता दें हर साल मौसम में आ रहे परिवर्तन के कारण हिमालयी क्षेत्रों को भारी मात्रा में नुकसान हो रहा है. हिमालयी क्षेत्रों में बुग्यालों को मौसम परिवर्तन का नुकसान झेलना पड़ रहा है. बेमौसम बारिश और बेमौसम बर्फबारी ने बुग्यालों के अस्तित्व पर ही खतरा पैदा कर दिया है. ऐसे में वन प्रभाग रुद्रप्रयाग की ओर से बुग्यालों के संरक्षण व जंगलों की सुरक्षा को लेकर ठोस कदम उठाया गया है. वन प्रभाग की यह मुहिम रंग लाई तो हिमालयी क्षेत्रों के बुग्यालों को बर्बाद होने से बचाया जा सकता है. साथ ही जंगलों को भी सुरक्षित रखा जा सकेगा.

Geo jute method in Rudraprayag
जियो जूट विधि

पढ़ें- दयारा बुग्याल में वन महकमे की अनूठी पहल, भू-कटाव रोकने के लिए साबित होगी 'संजीवनी'

दरअसल, वन प्रभाग रुद्रप्रयाग के डमारगाड़, पदमखाल, धारकुड़ी क्यूनी, धारकुड़ी मटिया व धारकुड़ी पंवाली कांठा बुग्याल के 65 हेक्टेयर हिस्से में जगह-जगह भू-कटाव हो रहा है, जिस कारण बुग्याली क्षेत्र को काफी नुकसान हो गया है. वन प्रभाग की ओर से भू-कटाव वाले स्थानों की सुरक्षा को लेकर जियो जूट के तहत कार्य किया जा रहा है. इसमें जियो जूट में पिरूल भरकर चेकडैम तैयार करने का कार्य किया गया है. अभी तक बहुत से भूकटाव वाले स्थानों पर कार्य किया जा चुका है. इससे बुग्यालों का संरक्षण भी हो रहा है.

Geo jute method in Rudraprayag
जियो जूट विधि से रोका जा रहा भू कटाव

चैकडैम के साथ ही इन हिमालयी बुग्यालों की सुरक्षा में सुरक्षा दीवार भी लगाई जा रही है. इन दीवारों से भी भूस्खलन का खतरा कम हो गया है. यह सभी कार्य इको फ्रैंडली विधि से किये जा रहे हैं. जियो जूट कार्य में अब तक 40 लाख के करीब धनराशि की जा चुकी है. बुग्यालों में यह कार्य पिछले साल से शुरू किया गया है. आगामी दिसम्बर माह में इन बुग्यालों में लगाया गया. जियो जूट से पता चलेगा कि यह भूस्खलन को रोकने में कितना लाभदायक सिद्ध हो रहा है.

Geo jute method in Rudraprayag
जियो जूट विधि से बुग्यालों का संरक्षण

पढ़ें- उत्तराखंड : दयारा बुग्याल में भू-कटाव रोकने के लिए अनूठी पहल

रुद्रप्रयाग वन प्रभाग क्षेत्र के डमारगाड़, पदमखाल, धारकुड़ी क्यूनी, धारकुड़ी मटिया व धारकुड़ी पंवाली कांठा बुग्याल में भूस्खलन होने से बुग्यालों को खतरा उत्पन्न हो गया था. ऐसे में प्रभाग की ओर से जियो जूट की विधि से बुग्यालों एवं जंगलों को सुरक्षित रखने का कार्य किया जा रहा है. अब तक इस कार्य में सफलता ही हाथ लगी है. हिमालयी क्षेत्रों में मौसम परिवर्तन का सबसे अधिक प्रभाव बुग्यालों में पड़ा है, जिसके संरक्षण और संवर्धन के कार्य में वन प्रभाग जुटा है.

Geo jute method in Rudraprayag
रुद्रप्रयाग वन प्रभाग कर रहा जियो जूट विधि का इस्तेमाल

पढ़ें- Rain and Flood Disaster: उत्तराखंड में गायब हुई 36 हेक्टेयर भूमि, जानें क्या है माजरा

पर्यावरण विशेषज्ञ देव राघवेन्द्र बद्री ने कहा जियो जूट की विधि से बुग्यालों का संरक्षण एक बहुत अच्छी पहल है. इस विधि के तहत जियो जूट में पिरूल भर कर चैकडैम निर्माण से भूकटाव को कम किया जाता है. जियो जूट बायो डिग्रेडेबल है. इससे कोई पर्यावरणीय खतरा नहीं होता है. यह कमजोर मिट्टी की भू-तकनीकी समस्याओं पर काबू पाने में सक्षम होता है.

Geo jute method in Rudraprayag
भू कटाव के साथ बुग्यालों का हो रहा संरक्षण

भू कटाव के साथ बुग्यालों का हो रहा संरक्षण

रुद्रप्रयाग: मौसम परिवर्तन के कारण हर साल हिमालयी क्षेत्रों में बुग्यालों को भारी नुकसान पहुंच रहा है. बेमौसम बारिश और बेमौसम बर्फबारी से बुग्याली क्षेत्र में भू-कटाव होने में लगा है. ऐसे में जंगलों को भी भारी नुकसान पहुंच रहा है. जंगलों की सुरक्षा और पर्यावरण संरक्षण को लेकर वन प्रभाग रुद्रप्रयाग एक मुहिम में जुटा है. अगर यह मुहिम सफल होती है तो रुद्रप्रयाग जनपद के बुग्यालों का बेहतर संरक्षण होने के साथ ही जंगलों का भविष्य भी सुरक्षित होगा.

बता दें हर साल मौसम में आ रहे परिवर्तन के कारण हिमालयी क्षेत्रों को भारी मात्रा में नुकसान हो रहा है. हिमालयी क्षेत्रों में बुग्यालों को मौसम परिवर्तन का नुकसान झेलना पड़ रहा है. बेमौसम बारिश और बेमौसम बर्फबारी ने बुग्यालों के अस्तित्व पर ही खतरा पैदा कर दिया है. ऐसे में वन प्रभाग रुद्रप्रयाग की ओर से बुग्यालों के संरक्षण व जंगलों की सुरक्षा को लेकर ठोस कदम उठाया गया है. वन प्रभाग की यह मुहिम रंग लाई तो हिमालयी क्षेत्रों के बुग्यालों को बर्बाद होने से बचाया जा सकता है. साथ ही जंगलों को भी सुरक्षित रखा जा सकेगा.

Geo jute method in Rudraprayag
जियो जूट विधि

पढ़ें- दयारा बुग्याल में वन महकमे की अनूठी पहल, भू-कटाव रोकने के लिए साबित होगी 'संजीवनी'

दरअसल, वन प्रभाग रुद्रप्रयाग के डमारगाड़, पदमखाल, धारकुड़ी क्यूनी, धारकुड़ी मटिया व धारकुड़ी पंवाली कांठा बुग्याल के 65 हेक्टेयर हिस्से में जगह-जगह भू-कटाव हो रहा है, जिस कारण बुग्याली क्षेत्र को काफी नुकसान हो गया है. वन प्रभाग की ओर से भू-कटाव वाले स्थानों की सुरक्षा को लेकर जियो जूट के तहत कार्य किया जा रहा है. इसमें जियो जूट में पिरूल भरकर चेकडैम तैयार करने का कार्य किया गया है. अभी तक बहुत से भूकटाव वाले स्थानों पर कार्य किया जा चुका है. इससे बुग्यालों का संरक्षण भी हो रहा है.

Geo jute method in Rudraprayag
जियो जूट विधि से रोका जा रहा भू कटाव

चैकडैम के साथ ही इन हिमालयी बुग्यालों की सुरक्षा में सुरक्षा दीवार भी लगाई जा रही है. इन दीवारों से भी भूस्खलन का खतरा कम हो गया है. यह सभी कार्य इको फ्रैंडली विधि से किये जा रहे हैं. जियो जूट कार्य में अब तक 40 लाख के करीब धनराशि की जा चुकी है. बुग्यालों में यह कार्य पिछले साल से शुरू किया गया है. आगामी दिसम्बर माह में इन बुग्यालों में लगाया गया. जियो जूट से पता चलेगा कि यह भूस्खलन को रोकने में कितना लाभदायक सिद्ध हो रहा है.

Geo jute method in Rudraprayag
जियो जूट विधि से बुग्यालों का संरक्षण

पढ़ें- उत्तराखंड : दयारा बुग्याल में भू-कटाव रोकने के लिए अनूठी पहल

रुद्रप्रयाग वन प्रभाग क्षेत्र के डमारगाड़, पदमखाल, धारकुड़ी क्यूनी, धारकुड़ी मटिया व धारकुड़ी पंवाली कांठा बुग्याल में भूस्खलन होने से बुग्यालों को खतरा उत्पन्न हो गया था. ऐसे में प्रभाग की ओर से जियो जूट की विधि से बुग्यालों एवं जंगलों को सुरक्षित रखने का कार्य किया जा रहा है. अब तक इस कार्य में सफलता ही हाथ लगी है. हिमालयी क्षेत्रों में मौसम परिवर्तन का सबसे अधिक प्रभाव बुग्यालों में पड़ा है, जिसके संरक्षण और संवर्धन के कार्य में वन प्रभाग जुटा है.

Geo jute method in Rudraprayag
रुद्रप्रयाग वन प्रभाग कर रहा जियो जूट विधि का इस्तेमाल

पढ़ें- Rain and Flood Disaster: उत्तराखंड में गायब हुई 36 हेक्टेयर भूमि, जानें क्या है माजरा

पर्यावरण विशेषज्ञ देव राघवेन्द्र बद्री ने कहा जियो जूट की विधि से बुग्यालों का संरक्षण एक बहुत अच्छी पहल है. इस विधि के तहत जियो जूट में पिरूल भर कर चैकडैम निर्माण से भूकटाव को कम किया जाता है. जियो जूट बायो डिग्रेडेबल है. इससे कोई पर्यावरणीय खतरा नहीं होता है. यह कमजोर मिट्टी की भू-तकनीकी समस्याओं पर काबू पाने में सक्षम होता है.

Geo jute method in Rudraprayag
भू कटाव के साथ बुग्यालों का हो रहा संरक्षण
Last Updated : Aug 2, 2023, 7:52 PM IST
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