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रुद्रप्रयाग: जीएमओयू की कार्यप्रणाली से जनता में आक्रोश, आरटीओ से की शिकायत

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Published : Jan 9, 2022, 8:00 AM IST

जीएमओयू के रुद्रप्रयाग डिपो से जिले के मुख्य मार्गों के अतिरिक्त सभी सम्पर्क मार्गों तथा चमोली जनपद के पोखरी क्षेत्र के लिए निर्धारित समयान्तराल पर बसें लगाई गई हैं, लेकिन डिपो प्रबन्धन की खामियों एवं मोटर मालिकों की मनमर्जी इन रूटों पर बसों के संचालन पर भारी पड़ रहा है.

Transport services in rudraprayag
जीएमओयू की कार्यप्रणाली से जनता में आक्रोश.

रुद्रप्रयाग: पहाड़ में यातायात के लिए मोटर मालिकों की ओर से बनाया गया सबसे बड़ा संगठन जीएमओयू कभी पहाड़ की लाइफलाइन हुआ करती थी. संगठन के पास सम्पूर्ण एशिया में सबसे बड़ा यातायात बसों का बेड़ा हुआ करता था, मगर इसके प्रबंधन की कार्यप्रणाली से धीरे-धीरे इसकी साख गिरती जा रही है और अब तो यह विश्वसनीय भी नहीं रह गई है. इनके प्रबन्धन की मनमर्जी के कारण निर्धारित रूटों पर कभी भी बस सेवा बन्द कर दी जाती है. जिससे यात्रियों को मजबूरन छोटे वाहनों में यात्रा करनी पड़ती है, जो उनकी जेबों पर बहुत भारी पड़ जाता है. कई बार इसकी शिकायत करने के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं होती. यहां तक कि इनको आरटीओ का भी कोई डर नहीं है.

ऐसा ही मामला जीएमओयू के रुद्रप्रयाग डिपो में देखने को मिला है. जहां प्रबन्धन की खामियों के चलते जनता को भारी परेशानी उठानी पड़ रही है. जीएमओयू के रुद्रप्रयाग डिपो से जिले के मुख्य मार्गों के अतिरिक्त सभी सम्पर्क मार्गों तथा चमोली जनपद के पोखरी क्षेत्र के लिए निर्धारित समयान्तराल पर बसें लगाई गई हैं, लेकिन डिपो प्रबन्धन की खामियों एवं मोटर मालिकों की मनमर्जी इन रूटों पर बसों के संचालन पर भारी पड़ रहा है. ये बसें जनता की जरूरतों के लिए कम और अपनी सुविधा के लिए अधिक चलती है. डिपो की कई बसें स्कूलों में लगी हैं.

पढ़ें- आचार संहिता लागू होने के बाद एक्शन में राज्य निर्वाचन आयोग, जानें क्या है नियम, क्या-क्या होगा बैन

वहीं, शादी ब्याह के सीजन में तो सारी ही बसें बारात में लग जाती हैं और बिना किसी पूर्व सूचना के बस सेवायें बन्द कर दी जाती हैं. यही हाल यात्रा सीजन में होता है, जिससे यात्रियों को भारी परेशानी उठानी पड़ती है और उन्हें टैक्सी इत्यादि में अधिक पैसे देकर अपने गंतव्य को जाना पड़ता हैं. सम्पर्क मार्गों पर तो और भी अधिक परेशानी झेलनी पड़ती है. कई बार बस सेवा सवारी न होने का बहाना करके आधे रास्ते में ही रोक दी जाती है. यहां तक कि डाक ले जाने को भी कोई तैयार नहीं है.

ऐसे में यात्रियों की परेशानी को देखते हुए किशोर न्याय बोर्ड के सदस्य नरेन्द्र कंडारी ने आरटीओ रुद्रप्रयाग से इसकी शिकायत की. जिसके बाद आरटीओ द्वारा जीएमओयू के रुद्रप्रयाग स्टेशन इंचार्ज को पत्र लिखकर दैनिक यात्रियों के साथ ही सम्पर्क मार्गों पर चलने वाली सेवाओं की निरन्तरता बनाये रखने के आदेश दिए, लेकिन एक माह बीत जाने पर भी जीएमओयू ने इस पर कोई कार्रवाई नहीं की है. नरेन्द्र कंडारी का कहना है कि यदि जीएमओयू बस सेवा चलाने में असमर्थ है तो सरकार को इन रूटों पर रोडवेज की बसें संचालित करनी चाहिए.

रुद्रप्रयाग: पहाड़ में यातायात के लिए मोटर मालिकों की ओर से बनाया गया सबसे बड़ा संगठन जीएमओयू कभी पहाड़ की लाइफलाइन हुआ करती थी. संगठन के पास सम्पूर्ण एशिया में सबसे बड़ा यातायात बसों का बेड़ा हुआ करता था, मगर इसके प्रबंधन की कार्यप्रणाली से धीरे-धीरे इसकी साख गिरती जा रही है और अब तो यह विश्वसनीय भी नहीं रह गई है. इनके प्रबन्धन की मनमर्जी के कारण निर्धारित रूटों पर कभी भी बस सेवा बन्द कर दी जाती है. जिससे यात्रियों को मजबूरन छोटे वाहनों में यात्रा करनी पड़ती है, जो उनकी जेबों पर बहुत भारी पड़ जाता है. कई बार इसकी शिकायत करने के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं होती. यहां तक कि इनको आरटीओ का भी कोई डर नहीं है.

ऐसा ही मामला जीएमओयू के रुद्रप्रयाग डिपो में देखने को मिला है. जहां प्रबन्धन की खामियों के चलते जनता को भारी परेशानी उठानी पड़ रही है. जीएमओयू के रुद्रप्रयाग डिपो से जिले के मुख्य मार्गों के अतिरिक्त सभी सम्पर्क मार्गों तथा चमोली जनपद के पोखरी क्षेत्र के लिए निर्धारित समयान्तराल पर बसें लगाई गई हैं, लेकिन डिपो प्रबन्धन की खामियों एवं मोटर मालिकों की मनमर्जी इन रूटों पर बसों के संचालन पर भारी पड़ रहा है. ये बसें जनता की जरूरतों के लिए कम और अपनी सुविधा के लिए अधिक चलती है. डिपो की कई बसें स्कूलों में लगी हैं.

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वहीं, शादी ब्याह के सीजन में तो सारी ही बसें बारात में लग जाती हैं और बिना किसी पूर्व सूचना के बस सेवायें बन्द कर दी जाती हैं. यही हाल यात्रा सीजन में होता है, जिससे यात्रियों को भारी परेशानी उठानी पड़ती है और उन्हें टैक्सी इत्यादि में अधिक पैसे देकर अपने गंतव्य को जाना पड़ता हैं. सम्पर्क मार्गों पर तो और भी अधिक परेशानी झेलनी पड़ती है. कई बार बस सेवा सवारी न होने का बहाना करके आधे रास्ते में ही रोक दी जाती है. यहां तक कि डाक ले जाने को भी कोई तैयार नहीं है.

ऐसे में यात्रियों की परेशानी को देखते हुए किशोर न्याय बोर्ड के सदस्य नरेन्द्र कंडारी ने आरटीओ रुद्रप्रयाग से इसकी शिकायत की. जिसके बाद आरटीओ द्वारा जीएमओयू के रुद्रप्रयाग स्टेशन इंचार्ज को पत्र लिखकर दैनिक यात्रियों के साथ ही सम्पर्क मार्गों पर चलने वाली सेवाओं की निरन्तरता बनाये रखने के आदेश दिए, लेकिन एक माह बीत जाने पर भी जीएमओयू ने इस पर कोई कार्रवाई नहीं की है. नरेन्द्र कंडारी का कहना है कि यदि जीएमओयू बस सेवा चलाने में असमर्थ है तो सरकार को इन रूटों पर रोडवेज की बसें संचालित करनी चाहिए.

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