रुद्रप्रयाग: कोरोना महामारी के कारण चारधाम यात्रा बंद पड़ी हुई है, जिससे स्थानीय लोगों में मायूसी देखने को मिल रही है. केदारनाथ यात्रा से केदारघाटी के 80 प्रतिशत लोगों की रोजी-रोटी चलती है और यात्रा बंद होने से लोगों के सामने अब भुखमरी तक की नौबत आ गयी है. ऐसे में केदारघाटी की जनता में सरकार के खिलाफ आक्रोश बना हुआ है.
गौर हो कि हाईकोर्ट की ओर से चारधाम यात्रा पर रोक लगाई गई है. यात्रा पर रोक लगाये जाने से चारधाम यात्रा से जुड़े लोगों के सामने मुसीबतों का पहाड़ टूट पड़ा है. दो साल से यात्रा ठप है और केदारघाटी के लोग छह माह यात्रा से रोजगार कर अपना सालभर का गुजर बसर करते हैं. केदारघाटी क्षेत्र में विश्व विख्यात केदारनाथ, मद्महेश्वर व तुंगनाथ धाम की यात्रा से केदारघाटी के 80 प्रतिशत लोग जुड़े हुए हैं. ये लोग डंडी-कंडी, घोड़ा-खच्चर, ढाबा, होटल चलाकर अपने परिवार का गुजर बसर करते हैं, लेकिन यात्रा बंद होने से इनका रोजगार ठप हो चुका है. ऐसे में इनके सामने परिवार के भरण-पोषण की समस्या खड़ी हो गई है.
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जिला पंचायत उपाध्यक्ष एवं वरिष्ठ तीर्थ पुरोहित सुमंत तिवाड़ी, व्यापारी अनुज रावत, सुमित रावत एवं जिला पंचायत सदस्य सुमन नेगी ने कहा कि केदारघाटी के व्यापारियों का चारधाम यात्रा से रोजगार जुड़ा हुआ है. यात्रा खुलने पर ही ये लोग रोजगार के लिए जाते हैं और छह माह कमाकर सालभर का गुजारा करते हैं. कोरोना महामारी के कारण दो साल से यात्रा ठप पड़ी हुई है. हाईकोर्ट की ओर से बार-बार यात्रा स्थगित के आदेश दिये जा रहे हैं, जबकि सरकार की ओर ठोस पैरवी नहीं की जा रही है. अगर सरकार इस दिशा में ठोस पैरवी करे तो हाईकोर्ट की ओर से यात्रा खोलने के आदेश दिये जा सकते हैं.
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उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार को मालूम होना चाहिए कि चारधाम यात्रा देवभूमि के लोगों के लिए कितने मायने रखती है और इस यात्रा से लोगों का घर चलता है. पिछले दो साल से यात्रा न चलने के कारण लोगों का व्यवसाय बंद पड़ा है, जिस कारण लोगों को बड़ी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. उन्होंने सरकार से मांग करते हुए कहा कि हाईकोर्ट में ठोस तरीके से यात्रा खोलने को लेकर पैरवी की जाय, जिससे चारधाम यात्रा से जुड़े लोगों को राहत मिल सके.