रुद्रप्रयाग: विकासखंड ऊखीमठ का दूरस्थ गांव गौंडार पिछले 15 दिनों से अंधेरे में है. गांव में बिजली आपूर्ति बहाल करने वाली उरेड़ा योजना भी नाकाम साबित हो रही है. समय पर मेंटेनेंस न होने के कारण उरेडा योजना के तहत गांव में लगाई गई जल विद्युत व्यवस्था खराब होती जा रही है. जिस कारण शाम ढ़लते ही ग्रामीण घरों में कैद हो जाते हैं. वहीं, गांव के पूर्व प्रधान बीरेंद्र पंवार ने जल्द से जल्द बिजली आपूर्ति बहाल करने की मांग की.
बता दें कि सड़क मार्ग से गौंडार गांव तक पहुंचने के लिए 8 किलोमीटर से अधिक पैदल दूरी तय करनी पड़ती है. वहीं, बिजली की व्यवस्था के लिए दो साल पहले उरेडा विभाग ने करोड़ों रुपयों की लागत से गांव के पास बहने वाले गदेरे में एक जल विद्युत परियोजना का निर्माण कराया था. लेकिन विभाग का कोई इंजीनियर और टेक्नीशियन यहां तैनात नहीं किया गया. जिस कारण लम्बे समय से इसका मेंटेनेंस नहीं हुआ और पिछले 15 दिनों से ग्रामीण अंधेरे में हैं.
पढ़ें: वित्त मंत्री के रूप में अरुण जेटली के कार्यकाल की हाइलाइट्स
गौंड़ार गांव सालों से सड़क और बिजली जैसी बुनियादी सुविधाओं की मांग करता आ रहा है. लेकिन सेंचुरी के नाम पर ग्रामीणों को इन सुविधाओं से वंचित किया जा रहा है. बिजली न होने के कारण नौनिहालों को पढ़ाई करने में भी काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. ग्रामीणों द्वारा उरेडा विभाग के अधिकारियों को कई बार इसकी जानकारी देने के बावजूद विभाग के अधिकारी ग्रामीणों की सुध नहीं ले रहे.
वहीं, पूर्व प्रधान बीरेंद्र पंवार ने कहा कि बिजली आपूर्ति ठप होने के कारण रात के समय जंगली जानवरों का खतरा रहता है. जिसके चलते ग्रामीण खौफजदा हैं. इस दौरान उन्होंने जल्द से जल्द गांव में बिजली आपूर्ति बहाल करने की मांग की.