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15 दिन से अंधेरे में है ये गांव, शाम होते ही घर में कैद हो जाते हैं ग्रामीण

रुद्रप्रयाग जिले का दूरस्थ गांव गौंडार पिछले 15 दिनों से अंधेरे में है. जिस कारण शाम ढलते ही ग्रामीण अपने घरों में कैद होने को मजबूर हैं. वहीं, गांव के पूर्व प्रधान ने जल्द से जल्द बिजली आपूर्ति बहाल करने की मांग की.

अंधेरे में गौंडार गांव.
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Published : Aug 24, 2019, 6:19 PM IST

रुद्रप्रयाग: विकासखंड ऊखीमठ का दूरस्थ गांव गौंडार पिछले 15 दिनों से अंधेरे में है. गांव में बिजली आपूर्ति बहाल करने वाली उरेड़ा योजना भी नाकाम साबित हो रही है. समय पर मेंटेनेंस न होने के कारण उरेडा योजना के तहत गांव में लगाई गई जल विद्युत व्यवस्था खराब होती जा रही है. जिस कारण शाम ढ़लते ही ग्रामीण घरों में कैद हो जाते हैं. वहीं, गांव के पूर्व प्रधान बीरेंद्र पंवार ने जल्द से जल्द बिजली आपूर्ति बहाल करने की मांग की.

अंधेरे में गौंडार गांव.

बता दें कि सड़क मार्ग से गौंडार गांव तक पहुंचने के लिए 8 किलोमीटर से अधिक पैदल दूरी तय करनी पड़ती है. वहीं, बिजली की व्यवस्था के लिए दो साल पहले उरेडा विभाग ने करोड़ों रुपयों की लागत से गांव के पास बहने वाले गदेरे में एक जल विद्युत परियोजना का निर्माण कराया था. लेकिन विभाग का कोई इंजीनियर और टेक्नीशियन यहां तैनात नहीं किया गया. जिस कारण लम्बे समय से इसका मेंटेनेंस नहीं हुआ और पिछले 15 दिनों से ग्रामीण अंधेरे में हैं.

पढ़ें: वित्त मंत्री के रूप में अरुण जेटली के कार्यकाल की हाइलाइट्स

गौंड़ार गांव सालों से सड़क और बिजली जैसी बुनियादी सुविधाओं की मांग करता आ रहा है. लेकिन सेंचुरी के नाम पर ग्रामीणों को इन सुविधाओं से वंचित किया जा रहा है. बिजली न होने के कारण नौनिहालों को पढ़ाई करने में भी काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. ग्रामीणों द्वारा उरेडा विभाग के अधिकारियों को कई बार इसकी जानकारी देने के बावजूद विभाग के अधिकारी ग्रामीणों की सुध नहीं ले रहे.

वहीं, पूर्व प्रधान बीरेंद्र पंवार ने कहा कि बिजली आपूर्ति ठप होने के कारण रात के समय जंगली जानवरों का खतरा रहता है. जिसके चलते ग्रामीण खौफजदा हैं. इस दौरान उन्होंने जल्द से जल्द गांव में बिजली आपूर्ति बहाल करने की मांग की.

रुद्रप्रयाग: विकासखंड ऊखीमठ का दूरस्थ गांव गौंडार पिछले 15 दिनों से अंधेरे में है. गांव में बिजली आपूर्ति बहाल करने वाली उरेड़ा योजना भी नाकाम साबित हो रही है. समय पर मेंटेनेंस न होने के कारण उरेडा योजना के तहत गांव में लगाई गई जल विद्युत व्यवस्था खराब होती जा रही है. जिस कारण शाम ढ़लते ही ग्रामीण घरों में कैद हो जाते हैं. वहीं, गांव के पूर्व प्रधान बीरेंद्र पंवार ने जल्द से जल्द बिजली आपूर्ति बहाल करने की मांग की.

अंधेरे में गौंडार गांव.

बता दें कि सड़क मार्ग से गौंडार गांव तक पहुंचने के लिए 8 किलोमीटर से अधिक पैदल दूरी तय करनी पड़ती है. वहीं, बिजली की व्यवस्था के लिए दो साल पहले उरेडा विभाग ने करोड़ों रुपयों की लागत से गांव के पास बहने वाले गदेरे में एक जल विद्युत परियोजना का निर्माण कराया था. लेकिन विभाग का कोई इंजीनियर और टेक्नीशियन यहां तैनात नहीं किया गया. जिस कारण लम्बे समय से इसका मेंटेनेंस नहीं हुआ और पिछले 15 दिनों से ग्रामीण अंधेरे में हैं.

पढ़ें: वित्त मंत्री के रूप में अरुण जेटली के कार्यकाल की हाइलाइट्स

गौंड़ार गांव सालों से सड़क और बिजली जैसी बुनियादी सुविधाओं की मांग करता आ रहा है. लेकिन सेंचुरी के नाम पर ग्रामीणों को इन सुविधाओं से वंचित किया जा रहा है. बिजली न होने के कारण नौनिहालों को पढ़ाई करने में भी काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. ग्रामीणों द्वारा उरेडा विभाग के अधिकारियों को कई बार इसकी जानकारी देने के बावजूद विभाग के अधिकारी ग्रामीणों की सुध नहीं ले रहे.

वहीं, पूर्व प्रधान बीरेंद्र पंवार ने कहा कि बिजली आपूर्ति ठप होने के कारण रात के समय जंगली जानवरों का खतरा रहता है. जिसके चलते ग्रामीण खौफजदा हैं. इस दौरान उन्होंने जल्द से जल्द गांव में बिजली आपूर्ति बहाल करने की मांग की.

Intro:15 दिनों से अंधेरे में डूबा है रुद्रपयाग जिले का अंतिम गांव गोण्डार
उरेड़ा विभाग की योजना का ग्रामीणों को नहीं मिल रहा लाभ

शाम ढलते ही घरों में कैद होने को मजबूर हैं ग्रामीण

रुद्रप्रयाग। विकासखण्ड ऊखीमठ का दूरस्थ गांव गौंडार 15 दिनों से अंधेरे में डूबा हुआ है। गांव को जोड़ने वाली उरेड़ा योजना भी नाकाम साबित हो रही है, जिस कारण ग्रामीण जनता परेशान है। सड़क मार्ग से आठ किमी से अधिक पैदल दूरी इस गांव में पहुंचने के लिए तय करनी पड़ती है, जबकि बिजली जैसी सुविधा न हाने के चलते ग्रामीण शाम ढलते ही घरों के अंदर कैद हो जाते हैं। Body:दरअसल, दो वर्ष पूर्व उरेड़ा विभाग ने करोड़ों रूपयों की लागत से गांव के नजदीक बहने वाले गदेरे में एक जल विद्युत परियोजना का निर्माण किया, जिससे गांव को बिजली मुहैया करवाई जा रही थी। ग्रामीणों को इस बात की खुशी थी कि कम से कम उनके घरों में आजादी के सात दशक बाद बिजली स्वरूप उजियारा तो हुआ, मगर ग्रामीणों को क्या पता था कि उरेडा की यह योजना ग्रामीणों के लिए मुसीबत साबित होगी। समय-समय पर सही मेंटिनेंस न होने के कारण यह विद्युत व्यस्था खराब होती जा रही है, जबकि बरसात के समय पानी के तेज वेग के साथ कई तकनीकी फाल्ट भी आ जाते हैं, लेकिन विभाग का यहां कोई इंजीनियर और टैक्नीशियन तैनात न होने के कारण लम्बे समय से इसे ठीक नहीं किया जा रहा है, जिससे पिछले पन्द्रह दिनों से अधिक समय से ग्रामीण अंधेरे में हैं। Conclusion:गौड़ार गांव वर्षों से सड़क और बिजली जैसे बुनियादी सुविधाओं की मांग करता आ रहा है, मगर सेंचुरी के नाम पर ग्रामीणों को इन सुविधाओं से वंचित किया जा रहा है। बिजली न होने से नौनिहालों का पठन-पाठन खासा प्रभावित हो रहा है। ग्रामीणों द्वारा उरेडा विभाग के अधिकारियों को कई बार अवगत कराने के बाद भी विभाग के अधिकारी ग्रामीणों की फरियाद सुनने को राजी नहीं हैं। बता दें कि विगत दिनों मदमहेश्वर घाटी में हुई मूसलाधार बारिश से गौण्डार गांव को रोशन करनी वाली लघु जल विद्युत परियोजना क्षतिग्रस्त होने से गौंडार गांव सहित कई तोको में अन्धेरा छाया हुआ है। ग्रामीणों ने उरेडा विभाग के अधिकारियों से कई बार आपूर्ति को सुचारु करने की गुहार लगाई, मगर आज तक आपूर्ति ठप होने से ग्रामीण अंधेरे में रात गुजारने को विवश हैं। पूर्व प्रधान बीरेन्द्र पंवार ने बताया कि बिजली आपूर्ति ठप होने से नौनिहालों का पठन-पाठन बाधित हो रहा है, जबकि रात के समय जंगली जानवरों के आतंक से ग्रामीण भयभीत हैं। उन्होंने जल्द से जल्द गांव में बिजली आपूर्ति बहाल करने की मांग की।
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