रुद्रप्रयाग: केदारनाथ मंदिर के भीतर प्रवेश करने वाले तीर्थ पुरोहितों के लिए वेशभूषा तय की जाएगी. इसके अलावा मुख्य प्रवेश द्वार पर लोहे की मजबूत रेलिंग का निर्माण किया जाएगा. साथ ही मंदिर परिसर के चारों ओर निगरानी के लिए वाॅच टाॅवर बनाए जाएंगे. जिलाधिकारी ने संबंधित अधिकारियों को प्रस्ताव के साथ आख्या उपलब्ध कराने के निर्देश दिए हैं.
बता दें कि, रुद्रप्रयाग जनपद में स्थित महत्वपूर्ण धार्मिक स्थलों की सुरक्षा व्यवस्था के संबंध में जिलाधिकारी मनुज गोयल ने सभी अधिकारियों को जरूरी दिशा-निर्देश दिए हैं. जिला कार्यालय में आयोजित बैठक में डीएम ने केदारनाथ धाम में तीर्थ पुरोहितों को मंदिर में प्रवेश के लिए निश्चित वेशभूषा तय किए जाने सहित डीएफएमडी व संतरी पोस्ट के लिए स्थाई निर्माण किए जाने, मुख्य प्रवेश के द्वार तक लोहे की मजबूत रेलिंग व शेल्टर बनाए जाने, मंदिर परिसर के चारों ओर निगरानी के लिये वॉच टॉवर बनाए जाने के लिए प्रस्ताव के साथ आख्या उपलब्ध कराने के निर्देश दिए हैं.
उन्होंने मद्महेश्वर धाम में संचार व्यवस्था स्थापित किए जाने, सेंचुरी क्षेत्र होने के कारण वहां की जल निकासी के लिए आवश्यक व्यवस्था सुनिश्चित करने के भी निर्देश दिए हैं.
इसी तरह तुंगनाथ धाम में सुरक्षा के दृष्टिगत सुरक्षाकर्मियों की संख्या बढ़ाए जाने सहित स्थाई विद्युत व्यवस्था करने, त्रियुगीनारायण व कालीमठ मंदिर में अतिरिक्त सुरक्षा कर्मियों को बढ़ाए जाने को लेकर प्रस्ताव बनाने व हरियाली देवी मंदिर में नवरात्र व श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के अवसर पर होने वाली श्रृद्धालुओं की भीड़-भाड़ को देखते हुए सुरक्षा व्यवस्था नियमित पुलिस द्वारा संपादित करने के निर्देश दिए हैं.
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पुलिस अधीक्षक आयुष अग्रवाल ने बताया कि जनपद में कुल छह धार्मिक स्थल-मंदिर स्थापित हैं. जिनमें केदारनाथ धाम को श्रेणी 'ए' में वर्गीकृत किया गया है.
केदारनाथ मंदिर की विशेषता: केदारनाथ मंदिर 85 फीट ऊंचा, 187 फीट लंबा और 80 फीट चौड़ा है. मंदिर को 6 फुट ऊंचे चबूतरे पर बनाया गया है. आश्चर्य की बात यह है कि इतने भारी पत्थरों को इतनी ऊंचाई पर लाकर कैसे मंदिर की शक्ल दी गई होगी.
पत्थरों को एक-दूसरे से जोड़ने के लिए इंटरलॉकिंग तरीके का इस्तेमाल किया गया है. इस मजबूती के कारण ही मंदिर आज भी अपने उसी स्वरूप में खड़ा है.
तीन ओर हैं पहाड़: यह मंदिर तीनों तरफ से पहाड़ों से घिरा हुआ है. यहां पांच नदियों का संगम भी होता है. उनके नाम मंदाकिनी, मधुगंगा, क्षीरगंगा, सरस्वती और स्वर्णगौरी हैं. इन नदियों में से कुछ का अस्तित्व अब नहीं रहा, लेकिन अलकनंदा और मंदाकिनी आज भी मौजूद हैं.
केदारनाथ मंदिर की पूजा-अर्चना: केदारनाथ मंदिर में प्रात:काल में महाभिषेक, रुद्राभिषेक, लघु रुद्रभिषेक, षोडसोपचार पूजा की जाती है. शाम के वक्त सहस्रनामम पथ, महिमस्तोत्र पथ, ताण्डवस्तोत्र पथ पूजा की जाती है.