रुद्रप्रयाग: जिले के विभिन्न गांवों को सिंचाई की सुविधा उपलब्ध कराने के लिए बनाई लस्तर बाया नहर योजना का डेढ़ दशक बाद भी निर्माण कार्य शुरू न होने से क्षेत्रीय जनप्रतिनिधियों में खासा रोष बना हुआ है. हालांकि, इसके लिए शासन स्तर से जांच कमेटी भी बनाई गई, लेकिन जांच अभी तक सार्वजनिक नहीं हो सकी है. जिससे स्थानीय लोगों में आक्रोश बना हुआ है.
वहीं, क्षेत्रीय जनप्रतिनिधियों ने डीएम को दिए ज्ञापन में कहा कि वर्ष 2006-07 में सिंचाई सुविधा के लिए लस्तर बाया नहर योजना को लगभग साढे नौ करोड़ की स्वीकृति मिली थी. वहीं, साल 2012 में सिंचाई विभाग ने योजना का निर्माण शुरू करने के लिए करोड़ों रूपए पाइप भी खरीदे थे, लेकिन नौ वर्षों का समय बीतने के बावजूद भी योजना पर काम शुरू नहीं हो पाया. सिंचाई विभाग द्वारा खरीदे गए पाइप आज भी कोट व गेठांणा में सड़क पर जंक खा रहे हैं, जो सरकारी धन का दुरुप्रयोग है.
स्थानीय लोगों ने कई बार उक्त योजना को शुरू करवाने के लिए कई बार शासन-प्रशासन, विभाग एवं मुख्यमंत्री को अवगत कराया गया, लेकिन आज तक कोई कार्रवाई नहीं हो सकी है. हालांकि, पिछले वर्ष जनवरी माह में तत्कालीन मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिह रावत ने लस्तर सिंचाई नहर का संज्ञान लेते हुए सचिव स्तरीय जांच के आदेश दिए थे, अनिमितताओं की जांच के लिए तीन सदस्यीय कमेटी का गठन भी किया था. जांच होने के एक वर्ष बाद भी अभी तक जांच रिपोर्ट ठंडे बस्ते में पड़ी है तथा जांच रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं हो सकी है.
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जनप्रतिनिधियों का कहना है कि लस्तर बाया नहर भविष्य के लिए काफी उपयोगी है. इस योजना से लगभग पचास गांवों को सिंचाई योजना का लाभ मिलेगा. उन्होंने डीएम से शीघ्र योजना पर निर्माण कार्य शुरू करवाने की मांग की है. वहीं, डीएम ने सिंचाई विभाग से स्पष्टीकरण और परियोजना पर कार्य शुरू करवाने का आश्वासन दिया है.