रुद्रप्रयागः केदारनाथ हाईवे पर बांसबाड़ा जानलेवा बन गया है. यहां पर दो साल पहले नौ मजदूरों की मलबे में दबने से मौत हो गई थी, जबकि रक्षाबंधन के दिन एक किशोर की मौत हुई. ऐसे में हाईवे पर सफर करना खतरे से खाली नहीं है. जान हथेली पर रखकर लोग यहां से आवागमन करने को मजबूर हैं. वहीं, गुरुवार देर रात बंद हुए सड़क को विभाग और कार्यदायी संस्था ने शुक्रवार दोपहर को सुचारू किया.
बता दें कि मॉनसून सीजन में केदारनाथ हाईवे पर डेंजर जोन सक्रिय हो जाते हैं. हाईवे पर सफर करना जोखिम भरा रहता है. इन दिनों केदारघाटी में लगातार हो रही बारिश के कारण केदारनाथ हाईवे पर डेंजर जोन उभर आए हैं. बांसबाड़ा में फिर से पहाड़ी सक्रिय हो गई है. पहाड़ी के सक्रिय होने से सड़क बार-बार बाधित हो रहा है. हर दिन राजमार्ग पर घंटों जाम लग रहा है. राजमार्ग के दोनों ओर सैकड़ों वाहन राजमार्ग का खुलने का इंतजार करते रहते हैं. समय पर केदारघाटी में आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति भी नहीं हो पा रही है.
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नौ मजदूरों समेत एक किशोर ने गंवा चुके जान
हाईवे के इस स्थान पर दो साल पहले नौ मजदूरों के ऊपर मलबा गिर गया था. जिस कारण उनकी मलबे में दबने से दर्दनाक मौत हो गई थी. इसी स्थान पर बीते तीन अगस्त को रक्षाबंधन के पर्व पर एक किशोर की मौत हो गई थी. किशोर तीन बहनों में इकलौता भाई था. किशोर की मौत से क्षेत्र में आज भी मातम पसरा हुआ है. यहां पर अब तक कई लोग अपनी जान को गंवा चुके हैं.
दो साल बाद फिर से पहाड़ी सक्रिय हो चुकी है. हल्की सी बारिश होने पर पहाड़ी से पत्थर गिरने लगते हैं. जो किसी समय भी मौत का कारण बन सकते हैं. ऐसे में लोगों को जान हथेली पर रखकर सफय तय करना पड़ता है. वहीं, दूसरी ओर गुरुवार रात हुई जोरदार बारिश के चलते केदारनाथ हाईवे बांसवाडा में बंद हो गया था. सुबह के समय मौके पर पहुंची एनएच लोनिवि की मशीनों ने मलबा हटाने का कार्य शुरू किया. इस दौरान मार्ग के दोनों ओर वाहनों की लंबी कतारें लगी रही. जिससे आवाजाही करने वाले लोगों को खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ा.
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वहीं, एनएच लोनिवि की कड़ी मशक्कत के बाद सुबह करीब दस बजे हाईवे से मलबा हटाया गया, लेकिन कुछ देर बाद फिर से मलबा आने से हाईवे बंद हो गया. जिसे साफ करने में फिर घंटो का समय लग गया. इससे पहले भी बांसवाडा में बंद हाईवे 53 घंटे के बाद खुला था. बांसवाडा में लगातार गिर रहे पत्थर के चलते भी यहां पर मलबा हटाने में मशीन संचालकों को खासी दिक्कतें उठानी पड़ रही है.