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प्रकृति की दोहरी मार झेल रहे केदारघाटी के लोग - Farmers destroyed crops

केदारघाटी के लोगों को भारी बारिश और बर्फबारी से दोहरी मार झेलनी पड़ रही है. वहीं, काश्तकारों की फसले बर्बाद हो रही है. साथ ही भेड़ पालकों को भी भारी परेशानियां उठानी पड़ रही हैं.

Rudraprayag
बारिश
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Published : Apr 27, 2020, 10:19 PM IST

Updated : Apr 28, 2020, 11:51 AM IST

रुद्रप्रयाग: केदारघाटी के हिमालयी क्षेत्रों में बर्फबारी और निचले हिस्सों में बारिश होने से तापमान में एक बार फिर गिरावट दर्ज की गई. जिससे यहां रह रहे लोग गर्म कपड़े पहनने को मजबूर हो गए. केदारघाटी में एक बार फिर मौसम के बदलने से लोगों को लॉकडाउन के साथ ही प्रकृति की दोहरी मार झेलनी पड़ रही है. बेमौसमी बारिश से काश्तकारों की गेहूं की फसलों को भारी नुकसान पहुंच रहा है. वहीं, बुग्यालों में रहने वाले भेड़ पालकों को भी भारी परेशानियां उठानी पड़ रही हैं.

प्रकृति की दोहरी मार झेल रहे केदारघाटी के लोग

गौर है कि विगत साल 18 अक्टूबर को मौसम की पहली बर्फबारी हुई थी. जनवरी, फरवरी माह में रिकार्ड तोड़ बर्फबारी होने से 45 सालों का रिकॉर्ड टूट गया था. इन दिनों भी हर रोज केदारघाटी में मौसम करवट ले रहा है, जिससे जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है. साथ ही काश्तकारों की गेहूं, जौ और मटर की फसलें बर्बाद हो रही हैं. तल्लानागपुर के कुछ हिस्सों में भारी बारिश से गेहूं की फसल नष्ट हो गई है.

पढ़ें: रुद्रपुर: स्कूल प्रबंधकों ने फीस को लेकर अभिभावकों पर बनाया दबाव, DM ने की बैठक

प्रधान भींगी शांता देवी ने बताया कि कोरोना वायरस के कारण लॉकडाउन होने से काश्तकारों की निगाहें अपनी खेती बाड़ी पर थी, मगर बेमौसमी बारिश ने काश्तकारों के अरमानों पर पानी फेर दिया है. वहीं, मदमहेश्वर घाटी विकास मंच के अध्यक्ष मदन भट्ट ने बताया कि ऊंचाई वाले इलाकों में बर्फबारी होने से बुग्यालों में रहने वाले भेड़ पालकों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.

रुद्रप्रयाग: केदारघाटी के हिमालयी क्षेत्रों में बर्फबारी और निचले हिस्सों में बारिश होने से तापमान में एक बार फिर गिरावट दर्ज की गई. जिससे यहां रह रहे लोग गर्म कपड़े पहनने को मजबूर हो गए. केदारघाटी में एक बार फिर मौसम के बदलने से लोगों को लॉकडाउन के साथ ही प्रकृति की दोहरी मार झेलनी पड़ रही है. बेमौसमी बारिश से काश्तकारों की गेहूं की फसलों को भारी नुकसान पहुंच रहा है. वहीं, बुग्यालों में रहने वाले भेड़ पालकों को भी भारी परेशानियां उठानी पड़ रही हैं.

प्रकृति की दोहरी मार झेल रहे केदारघाटी के लोग

गौर है कि विगत साल 18 अक्टूबर को मौसम की पहली बर्फबारी हुई थी. जनवरी, फरवरी माह में रिकार्ड तोड़ बर्फबारी होने से 45 सालों का रिकॉर्ड टूट गया था. इन दिनों भी हर रोज केदारघाटी में मौसम करवट ले रहा है, जिससे जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है. साथ ही काश्तकारों की गेहूं, जौ और मटर की फसलें बर्बाद हो रही हैं. तल्लानागपुर के कुछ हिस्सों में भारी बारिश से गेहूं की फसल नष्ट हो गई है.

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प्रधान भींगी शांता देवी ने बताया कि कोरोना वायरस के कारण लॉकडाउन होने से काश्तकारों की निगाहें अपनी खेती बाड़ी पर थी, मगर बेमौसमी बारिश ने काश्तकारों के अरमानों पर पानी फेर दिया है. वहीं, मदमहेश्वर घाटी विकास मंच के अध्यक्ष मदन भट्ट ने बताया कि ऊंचाई वाले इलाकों में बर्फबारी होने से बुग्यालों में रहने वाले भेड़ पालकों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.

Last Updated : Apr 28, 2020, 11:51 AM IST
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