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समय से पहले खिला फ्योंली और बुरांस के फूल, पर्यावरणविदों ने जताई चिंता - Premature Phyoli flower

रुद्रप्रयाग जिले में समय से पहले खिले बुरांस और फ्योंली फूल को लेकर पर्यावरणविद खासे चिंतित हैं. हालांकि समय से पहले फूलों के खिलने का कारण अधिकांश लोग ग्लोबल वार्मिंग मान रहे हैं.

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ग्लोबल वार्मिंग का हुआ असर
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Published : Jan 19, 2021, 6:25 PM IST

रुद्रप्रयाग: राज्य पुष्प बुरांस व फ्योंली फूल के निर्धारित समय से पहले खिलने से पर्यावरणविद खासे चिंतित हैं. बुरांस व फ्योंली फूल के समय से पहले खिलने का कारण अधिकांश लोग ग्लोबल वार्मिंग को मान रहे हैं. आने वाले दिनों में यदि जनवरी महीने के अन्तिम सप्ताह या फिर फरवरी महीने के प्रथम सप्ताह तक ऊंचाई वाले इलाकों में जमकर बर्फबारी व निचले क्षेत्रों में बारिश नहीं हुई तो निचले क्षेत्रों में भी अधिकांश जंगल बुरांस के फूलों से लकदक हो सकते हैं.

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समय से पहले खिला बुरांस.

बता दें कि पिछले सालों तक बुरांस व फ्योंली का फूल फरवरी के अंतिम सप्ताह में कुछ स्थानों पर खिलते थे. मगर इस साल बुरांस व फ्योंली का फूल अधिकांश जंगलों में खिल चुका है, जो कि चिंता का विषय बना हुआ है. फ्योंली व बुरांस के फूलों को नौनिहाल चैत्र महीने की सक्रांति से लेकर बह्म बेला पर घरों की चौखट पर बिखेरते हैं, मगर इस साल माघ महीने में ही बुरांस व फ्योंली के फूल खिलने से पर्यावरणविद खासे चिन्तित हैं.

ये भी पढ़ें : रणबीर कपूर के साथ एनिमल मूवी में नजर आएंगी तृप्ति डिमरी

पर्यावरणविदों का मानना है कि फ्योंली और बुरांस के फूलों का दो महीने पूर्व खिलना ग्लोबल वार्मिंग का असर है. 75 वर्षीय बुरुवा निवासी प्रेम सिंह का कहना है कि पिछले वर्षो तक फ्योंली व बुरांस के फूलों को फाल्गुन महीने के तीसरे सप्ताह में ही खिलते देखा था, मगर इस साल माघ महीने में ही फ्योंली व बुरांस के फूल खिलना चिंता का विषय बना हुआ है. पर्यावरणविद हर्ष जमलोकी का कहना है कि मानव लगातार प्रकृति का दोहन कर रहा है, जिस कारण ग्लोबल वार्मिंग की समस्या निरन्तर बढ़ती जा रही है, जो कि भविष्य के लिए शुभ संकेत नहीं हैं.

रुद्रप्रयाग: राज्य पुष्प बुरांस व फ्योंली फूल के निर्धारित समय से पहले खिलने से पर्यावरणविद खासे चिंतित हैं. बुरांस व फ्योंली फूल के समय से पहले खिलने का कारण अधिकांश लोग ग्लोबल वार्मिंग को मान रहे हैं. आने वाले दिनों में यदि जनवरी महीने के अन्तिम सप्ताह या फिर फरवरी महीने के प्रथम सप्ताह तक ऊंचाई वाले इलाकों में जमकर बर्फबारी व निचले क्षेत्रों में बारिश नहीं हुई तो निचले क्षेत्रों में भी अधिकांश जंगल बुरांस के फूलों से लकदक हो सकते हैं.

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समय से पहले खिला बुरांस.

बता दें कि पिछले सालों तक बुरांस व फ्योंली का फूल फरवरी के अंतिम सप्ताह में कुछ स्थानों पर खिलते थे. मगर इस साल बुरांस व फ्योंली का फूल अधिकांश जंगलों में खिल चुका है, जो कि चिंता का विषय बना हुआ है. फ्योंली व बुरांस के फूलों को नौनिहाल चैत्र महीने की सक्रांति से लेकर बह्म बेला पर घरों की चौखट पर बिखेरते हैं, मगर इस साल माघ महीने में ही बुरांस व फ्योंली के फूल खिलने से पर्यावरणविद खासे चिन्तित हैं.

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पर्यावरणविदों का मानना है कि फ्योंली और बुरांस के फूलों का दो महीने पूर्व खिलना ग्लोबल वार्मिंग का असर है. 75 वर्षीय बुरुवा निवासी प्रेम सिंह का कहना है कि पिछले वर्षो तक फ्योंली व बुरांस के फूलों को फाल्गुन महीने के तीसरे सप्ताह में ही खिलते देखा था, मगर इस साल माघ महीने में ही फ्योंली व बुरांस के फूल खिलना चिंता का विषय बना हुआ है. पर्यावरणविद हर्ष जमलोकी का कहना है कि मानव लगातार प्रकृति का दोहन कर रहा है, जिस कारण ग्लोबल वार्मिंग की समस्या निरन्तर बढ़ती जा रही है, जो कि भविष्य के लिए शुभ संकेत नहीं हैं.

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