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Chardham Yatra 2022: छह मई को तृतीय केदार तुंगनाथ और 19 मई को द्वितीय केदार मदमहेश्वर के खुलेंगे कपाट

केदारनाथ तीर्थ पुरोहित श्रीनिवास पोस्ती ने बताया कि आज बैसाखी के शुभ अवसर पर पंचकेदार गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर उखीमठ में पंचांग गणना पश्चात विधि-विधान पूर्वक द्वितीय केदार भगवान मदमहेश्वर के कपाट खुलने की तिथि तय हो गयी है. ऐसे में 19 मई को विधि-विधान के साथ द्वितीय केदार भगवान मदमहेश्वर के कपाट खोले जाएंगे जबकि, छह मई को भगवान तुंगनाथ के कपाट खुलेंगे. इसी दिन बाबा केदार के कपाट भी खुलेंगे.

Chardham Yatra 2022
छह मई को तृतीय केदार तुंगनाथ और 19 मई द्वितीय केदार मदमहेश्वर के खुलेंगे कपाट
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Published : Apr 14, 2022, 10:55 AM IST

Updated : Apr 14, 2022, 12:58 PM IST

रुद्रप्रयाग: आज बैसाखी पर्व के पावन पर्व पर द्वितीय केदार भगवान मदमहेश्वर और तृतीय केदार भगवान तुंगनाथ के कपाट खोलने की तिथि घोषित की गई है. ओंकारेश्वर मंदिर में पंचांग गणना से निश्चित कर द्वितीय केदार भगवान मदमहेश्वर और मर्कटेश्वर मंदिर मक्कूमठ में विधि-विधान के साथ तृतीय केदार भगवान तुंगनाथ के कपाट खोलने की तिथि व समय घोषित किया गया है. ऐसे में 19 मई को विधि-विधान के साथ द्वितीय केदार भगवान मदमहेश्वर के कपाट खोले जाएंगे जबकि, छह मई को भगवान तुंगनाथ के कपाट खुलेंगे. इसी दिन बाबा केदार के कपाट भी खुलेंगे.

पंचकेदार में प्रसिद्ध द्वितीय केदार भगवान मदमहेश्वर के कपाट 19 मई सुबह 11 बजे खुलेंगे. वहीं, 15 मई को भगवान मदमहेश्वर की चल विग्रह उत्सव डोली पंचकेदार ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ परिसर में स्थापित होगी जबकि, 17 मई डोली रांसी के लिए प्रस्थान करेगी. चल विग्रह डोली का 18 मई को गौंडार में प्रवास होगा और 19 मई को सुबह 11 बजे मदमहेश्वर के कपाट खोले जाएंगे. जबकि, छह मई को भगवान तुंगनाथ के कपाट खुलेंगे. इसी दिन बाबा केदार के कपाट भी खुलेंगे.

वहीं, भगवान तुंगनाथ की चल विग्रह उत्सव डोली मक्कूमठ से रवाना होगी तथा प्रथम रात्रि प्रवास के लिए गांव के मध्य भूतनाथ मंदिर पहुंचेगी, जहां पर स्थानीय भक्तों द्वारा नये अनाज का भोग अर्पितकर विशाल पुणखी मेले का आयोजन किया जायेगा. 4 मई को भगवान तुंगनाथ की चल विग्रह उत्सव डोली भूतनाथ मंदिर में ही भक्तों को दर्शन देगी. 5 मई को भगवान तुंगनाथ की चल विग्रह उत्सव डोली भूतनाथ मंदिर से रवाना होकर अन्तिम रात्रि प्रवास के लिए चोपता पहुंचेगी. 6 मई को भगवान तुंगनाथ की चल विग्रह उत्सव डोली चोपता से रवाना होकर सुरम्य मखमली बुग्यालों में नृत्य करते हुए तुंगनाथ धाम पहुंचेगी तथा भगवान तुंगनाथ की चल विग्रह उत्सव डोली के धाम पहुंचने पर भगवान तुंगनाथ के कपाट दोपहर 12 बजे ग्रीष्मकाल के लिए खोल दिये जायेंगे.

बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति के वरिष्ठ सदस्य एवं केदारनाथ तीर्थ पुरोहित श्रीनिवास पोस्ती ने बताया कि आज बैसाखी के शुभ अवसर पर पंचकेदार गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर उखीमठ में पंचाग गणना पश्चात विधि-विधान पूर्वक द्वितीय केदार भगवान मदमहेश्वर के कपाट खुलने की तिथि तय हो गयी है. ऐसे में 19 मई सुबह 11 बजे भगवान मदमहेश्वर के कपाट खोले जाएंगे. वहीं, छह मई को भगवान तुंगनाथ के कपाट खुलेंगे. इसी दिन बाबा केदार के कपाट भी खुलेंगे.

मदमहेश्वर मंदिर की ये है मान्यता: कहा जाता है कि भगवान शिव खुद को पांडवों से छिपाना चाहते थे, तब बचने के लिए उन्होंने स्वयं को केदारनाथ में दफन कर लिया, बाद में उनका शरीर मदमहेश्वर में दिखाई पड़ा. एक मान्यता के मुताबिक, मदमहेश्वर में शिव ने अपनी मधुचंद्ररात्रि मनाई थी.

वहीं, जो व्यक्ति भक्ति से या बिना भक्ति के ही मदमहेश्वर के माहात्म्य को पढ़ता या सुनता है उसे शिवलोक की प्राप्ति होती है. यहां भगवान शिव के दर्शन के लिए आपको गर्मियों में जाना होगा क्योंकि मदमहेश्वर मंदिर सर्दी के मौसम में बंद रहता है. इस क्षेत्र में पिण्ड दान शुभ माना जाता है. यदि कोई इस क्षेत्र में पिंडदान करता है वह पिता की सौ पीढ़ी पहले के और सौ पीढ़ी बाद के तथा सौ पीढ़ी माता के तथा सौ पीढ़ी श्वसुर के वंशजों को तरा देता है.

पढ़ें-14 अप्रैल को मेष राशि में प्रवेश करेंगे सूर्यदेव, जानिए अर्घ्य देने का शुभ मुहूर्त

तुंगनाथ मंदिर के पीछे की कहानी: तुंगनाथ मंदिर में भगवान शिव के हृदय और बाहों की पूजा होती है. ऐसा कहा जाता है कि महाभारत के युद्ध में विजयी होने पर पांडवों पर अपने भाइयों की हत्या का आरोप लगा. ऐसे में पांडव भातृहत्या पाप से मुक्ति पाना चाहते थे. इसके लिए भगवान शंकर का आशीर्वाद पाना आवश्यक था लेकिन भगवान शिव पांडवों से मिलना नहीं चाहते थे. भगवान शिव ने तब तक बैल का रूप धारण कर लिया था लेकिन पांडवों को संदेह हो गया था. ऐसे में भीम ने अपना विशाल रूप धारण कर दो पहाड़ों पर अपने पैर फैला दिए. अन्य सब गाय-बैल तो निकल गए परंतु शंकर रूपी बैल भीम के पैर के नीचे से कैसे निकलते.

भीम ने जैसे ही उस बैल को पकड़ना चाहा वह धीरे-धीरे जमीन के अंदर होने लगा. भीम ने बैल के एक हिस्से को पकड़ लिया. पांडवों की भक्ति और दृढ़-संकल्प देख भगवान शंकर प्रसन्न हो गए और उन्होंने पांडवों को दर्शन देकर पाप मुक्त कर दिया. उसी समय से भगवान शंकर के बैल की पीठ की आकृति पिंड रूप में केदारनाथ में पूजी जाती है. ऐसा माना जाता है कि जब भगवान बैल के रूप में अंतर्धयान हुए तो उनके धड़ से ऊपर का भाग काठमांडू में प्रकट हुआ. अब वहां पशुपतिनाथ का मंदिर है. जबकि, उनकी भुजाएं तुंगनाथ में है.

3 मई से शुरू हो रही है चारधाम यात्राः इस साल यानी 2022 में उत्तराखंड में चारधाम यात्रा 3 मई से शुरू होने जा रही है. 3 मई को अक्षय तृतीया के दिन यमुनोत्री और गंगोत्री धाम के कपाट श्रद्धालुओं के दर्शन के लिए खुलेंगे. यमुनोत्री और गंगोत्री धाम उत्तरकाशी जिले में स्थित हैं. इसके साथ ही द्वादश ज्योतिर्लिंगों में एक केदारनाथ धाम के कपाट इस बार 6 मई को खुलेंगे. केदारनाथ धाम रुद्रप्रयाग जिले में है. बदरीनाथ धाम के कपाट इस बार 8 मई को खुलेंगे. बदरीनाथ धाम चमोली जिले में स्थित है.

रुद्रप्रयाग: आज बैसाखी पर्व के पावन पर्व पर द्वितीय केदार भगवान मदमहेश्वर और तृतीय केदार भगवान तुंगनाथ के कपाट खोलने की तिथि घोषित की गई है. ओंकारेश्वर मंदिर में पंचांग गणना से निश्चित कर द्वितीय केदार भगवान मदमहेश्वर और मर्कटेश्वर मंदिर मक्कूमठ में विधि-विधान के साथ तृतीय केदार भगवान तुंगनाथ के कपाट खोलने की तिथि व समय घोषित किया गया है. ऐसे में 19 मई को विधि-विधान के साथ द्वितीय केदार भगवान मदमहेश्वर के कपाट खोले जाएंगे जबकि, छह मई को भगवान तुंगनाथ के कपाट खुलेंगे. इसी दिन बाबा केदार के कपाट भी खुलेंगे.

पंचकेदार में प्रसिद्ध द्वितीय केदार भगवान मदमहेश्वर के कपाट 19 मई सुबह 11 बजे खुलेंगे. वहीं, 15 मई को भगवान मदमहेश्वर की चल विग्रह उत्सव डोली पंचकेदार ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ परिसर में स्थापित होगी जबकि, 17 मई डोली रांसी के लिए प्रस्थान करेगी. चल विग्रह डोली का 18 मई को गौंडार में प्रवास होगा और 19 मई को सुबह 11 बजे मदमहेश्वर के कपाट खोले जाएंगे. जबकि, छह मई को भगवान तुंगनाथ के कपाट खुलेंगे. इसी दिन बाबा केदार के कपाट भी खुलेंगे.

वहीं, भगवान तुंगनाथ की चल विग्रह उत्सव डोली मक्कूमठ से रवाना होगी तथा प्रथम रात्रि प्रवास के लिए गांव के मध्य भूतनाथ मंदिर पहुंचेगी, जहां पर स्थानीय भक्तों द्वारा नये अनाज का भोग अर्पितकर विशाल पुणखी मेले का आयोजन किया जायेगा. 4 मई को भगवान तुंगनाथ की चल विग्रह उत्सव डोली भूतनाथ मंदिर में ही भक्तों को दर्शन देगी. 5 मई को भगवान तुंगनाथ की चल विग्रह उत्सव डोली भूतनाथ मंदिर से रवाना होकर अन्तिम रात्रि प्रवास के लिए चोपता पहुंचेगी. 6 मई को भगवान तुंगनाथ की चल विग्रह उत्सव डोली चोपता से रवाना होकर सुरम्य मखमली बुग्यालों में नृत्य करते हुए तुंगनाथ धाम पहुंचेगी तथा भगवान तुंगनाथ की चल विग्रह उत्सव डोली के धाम पहुंचने पर भगवान तुंगनाथ के कपाट दोपहर 12 बजे ग्रीष्मकाल के लिए खोल दिये जायेंगे.

बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति के वरिष्ठ सदस्य एवं केदारनाथ तीर्थ पुरोहित श्रीनिवास पोस्ती ने बताया कि आज बैसाखी के शुभ अवसर पर पंचकेदार गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर उखीमठ में पंचाग गणना पश्चात विधि-विधान पूर्वक द्वितीय केदार भगवान मदमहेश्वर के कपाट खुलने की तिथि तय हो गयी है. ऐसे में 19 मई सुबह 11 बजे भगवान मदमहेश्वर के कपाट खोले जाएंगे. वहीं, छह मई को भगवान तुंगनाथ के कपाट खुलेंगे. इसी दिन बाबा केदार के कपाट भी खुलेंगे.

मदमहेश्वर मंदिर की ये है मान्यता: कहा जाता है कि भगवान शिव खुद को पांडवों से छिपाना चाहते थे, तब बचने के लिए उन्होंने स्वयं को केदारनाथ में दफन कर लिया, बाद में उनका शरीर मदमहेश्वर में दिखाई पड़ा. एक मान्यता के मुताबिक, मदमहेश्वर में शिव ने अपनी मधुचंद्ररात्रि मनाई थी.

वहीं, जो व्यक्ति भक्ति से या बिना भक्ति के ही मदमहेश्वर के माहात्म्य को पढ़ता या सुनता है उसे शिवलोक की प्राप्ति होती है. यहां भगवान शिव के दर्शन के लिए आपको गर्मियों में जाना होगा क्योंकि मदमहेश्वर मंदिर सर्दी के मौसम में बंद रहता है. इस क्षेत्र में पिण्ड दान शुभ माना जाता है. यदि कोई इस क्षेत्र में पिंडदान करता है वह पिता की सौ पीढ़ी पहले के और सौ पीढ़ी बाद के तथा सौ पीढ़ी माता के तथा सौ पीढ़ी श्वसुर के वंशजों को तरा देता है.

पढ़ें-14 अप्रैल को मेष राशि में प्रवेश करेंगे सूर्यदेव, जानिए अर्घ्य देने का शुभ मुहूर्त

तुंगनाथ मंदिर के पीछे की कहानी: तुंगनाथ मंदिर में भगवान शिव के हृदय और बाहों की पूजा होती है. ऐसा कहा जाता है कि महाभारत के युद्ध में विजयी होने पर पांडवों पर अपने भाइयों की हत्या का आरोप लगा. ऐसे में पांडव भातृहत्या पाप से मुक्ति पाना चाहते थे. इसके लिए भगवान शंकर का आशीर्वाद पाना आवश्यक था लेकिन भगवान शिव पांडवों से मिलना नहीं चाहते थे. भगवान शिव ने तब तक बैल का रूप धारण कर लिया था लेकिन पांडवों को संदेह हो गया था. ऐसे में भीम ने अपना विशाल रूप धारण कर दो पहाड़ों पर अपने पैर फैला दिए. अन्य सब गाय-बैल तो निकल गए परंतु शंकर रूपी बैल भीम के पैर के नीचे से कैसे निकलते.

भीम ने जैसे ही उस बैल को पकड़ना चाहा वह धीरे-धीरे जमीन के अंदर होने लगा. भीम ने बैल के एक हिस्से को पकड़ लिया. पांडवों की भक्ति और दृढ़-संकल्प देख भगवान शंकर प्रसन्न हो गए और उन्होंने पांडवों को दर्शन देकर पाप मुक्त कर दिया. उसी समय से भगवान शंकर के बैल की पीठ की आकृति पिंड रूप में केदारनाथ में पूजी जाती है. ऐसा माना जाता है कि जब भगवान बैल के रूप में अंतर्धयान हुए तो उनके धड़ से ऊपर का भाग काठमांडू में प्रकट हुआ. अब वहां पशुपतिनाथ का मंदिर है. जबकि, उनकी भुजाएं तुंगनाथ में है.

3 मई से शुरू हो रही है चारधाम यात्राः इस साल यानी 2022 में उत्तराखंड में चारधाम यात्रा 3 मई से शुरू होने जा रही है. 3 मई को अक्षय तृतीया के दिन यमुनोत्री और गंगोत्री धाम के कपाट श्रद्धालुओं के दर्शन के लिए खुलेंगे. यमुनोत्री और गंगोत्री धाम उत्तरकाशी जिले में स्थित हैं. इसके साथ ही द्वादश ज्योतिर्लिंगों में एक केदारनाथ धाम के कपाट इस बार 6 मई को खुलेंगे. केदारनाथ धाम रुद्रप्रयाग जिले में है. बदरीनाथ धाम के कपाट इस बार 8 मई को खुलेंगे. बदरीनाथ धाम चमोली जिले में स्थित है.

Last Updated : Apr 14, 2022, 12:58 PM IST
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