रुद्रप्रयागः चारधाम परियोजना के अंतर्गत किये जा रहे राष्ट्रीय राजमार्ग चौड़ीकरण में प्रभावितों को मुआवजा न मिलने पर भारी रोष है. प्रभावितों ने चेतावनी दी है कि जब तक उनको भूमि-भवन का पूरा मुआवजा नहीं मिल जाता, तब तक मार्ग निर्माण का कार्य नहीं करने देंगे. प्रभावितों का आरोप है कि पिछले एक वर्ष से मुख्यमंत्री एवं विभिन्न स्तरों पर पत्राचार एवं वार्ता के बाद भी सरकार उनकी समस्याओं पर ध्यान नहीं दे रही है. इसलिए अब उनके सामने करो या मरो के अलावा कोई भी विकल्प नहीं बचा है.
चारधाम परियोजना संघर्ष समिति के अध्यक्ष मोहित डिमरी ने कहा कि प्रभावितों को मुआवजा देने, व्यापारियों के लिए मार्केटिंग काम्पलेक्स, सिरोबगड़ बाईपास पर तीसरे पुल को निरस्त करने और तिलवाड़ा बाजार में भी अन्य बाजारों की तरह 12 मीटर चौड़ीकरण की मांग को लेकर वे संघर्षरत हैं.
उन्होंने कहा कि प्रभावितों ने निर्णय लिया है कि यदि राष्ट्रीय राजमार्ग के इंजीनियरों द्वारा जबरदस्ती की गई और प्रशासन द्वारा इसमें हस्तक्षेप नहीं किया गया तो लोग सड़कों पर लेट जायेंगे और मशीनों को चलने नहीं देंगे. जन अधिकार मंच के संरक्षक रमेश पहाड़ी ने कहा कि चारधाम परियोजना संघर्ष समिति लंबे समय से प्रभावितों की लड़ाई लड़ रही है.
कई बार आंदोलन के बाद सरकार ने इस संबंध में शासनादेश भी जारी किया, लेकिन शासनादेश के बिंदु सात में इस बात का उल्लेख किया गया है कि केवल उन्हीं कब्जाधारियों को मुआवजा मिलेगा जिनकी अन्यत्र कहीं भी अचल सम्पत्ति जैसे दुकान और मकान नहीं होगी.
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शासनादेश में इस बिंदु के शामिल होने से पहाड़ के किसी भी प्रभावित को मुआवजा नहीं मिल रहा है. पहाड़वासियों के साथ सौतेला व्यवहार बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. बैठक में निर्णय लिया गया कि जब तक सरकार द्वारा शासनादेश में संशोधन कर कब्जाधारकों को मुआवजा नहीं दिया जाता, कोई भी व्यापारी और भवन स्वामी अपनी दुकान-या मकान खाली नहीं करेगा. वहीं जोर-जबरदस्ती करने पर इसका जबर्दस्त विरोध किया जाएगा.