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चारधाम परियोजनाः सरकारी शासनादेश के कारण लोगों में भारी आक्रोश, उग्र आंदोलन की दी चेतावनी

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Published : Nov 28, 2019, 1:50 PM IST

Updated : Nov 28, 2019, 6:20 PM IST

चारधाम परियोजना के अंतर्गत प्रभावितों को मुआवजा नहीं मिलने पर लोगों ने सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. प्रभावितों ने कहा है कि जब तक उनको मुआवजा नहीं मिल जाता वे आंदोलन जारी रखेंगे.

chardham
चारधाम परियोजनाः

रुद्रप्रयागः चारधाम परियोजना के अंतर्गत किये जा रहे राष्ट्रीय राजमार्ग चौड़ीकरण में प्रभावितों को मुआवजा न मिलने पर भारी रोष है. प्रभावितों ने चेतावनी दी है कि जब तक उनको भूमि-भवन का पूरा मुआवजा नहीं मिल जाता, तब तक मार्ग निर्माण का कार्य नहीं करने देंगे. प्रभावितों का आरोप है कि पिछले एक वर्ष से मुख्यमंत्री एवं विभिन्न स्तरों पर पत्राचार एवं वार्ता के बाद भी सरकार उनकी समस्याओं पर ध्यान नहीं दे रही है. इसलिए अब उनके सामने करो या मरो के अलावा कोई भी विकल्प नहीं बचा है.

चारधाम परियोजना संघर्ष समिति के अध्यक्ष मोहित डिमरी ने कहा कि प्रभावितों को मुआवजा देने, व्यापारियों के लिए मार्केटिंग काम्पलेक्स, सिरोबगड़ बाईपास पर तीसरे पुल को निरस्त करने और तिलवाड़ा बाजार में भी अन्य बाजारों की तरह 12 मीटर चौड़ीकरण की मांग को लेकर वे संघर्षरत हैं.

उन्होंने कहा कि प्रभावितों ने निर्णय लिया है कि यदि राष्ट्रीय राजमार्ग के इंजीनियरों द्वारा जबरदस्ती की गई और प्रशासन द्वारा इसमें हस्तक्षेप नहीं किया गया तो लोग सड़कों पर लेट जायेंगे और मशीनों को चलने नहीं देंगे. जन अधिकार मंच के संरक्षक रमेश पहाड़ी ने कहा कि चारधाम परियोजना संघर्ष समिति लंबे समय से प्रभावितों की लड़ाई लड़ रही है.

कई बार आंदोलन के बाद सरकार ने इस संबंध में शासनादेश भी जारी किया, लेकिन शासनादेश के बिंदु सात में इस बात का उल्लेख किया गया है कि केवल उन्हीं कब्जाधारियों को मुआवजा मिलेगा जिनकी अन्यत्र कहीं भी अचल सम्पत्ति जैसे दुकान और मकान नहीं होगी.

यह भी पढ़ेंः दो विकासखंडों में 31 प्रधान ही ले पाए शपथ, वार्ड सदस्यों का चुनाव न होना बनी बड़ी वजह

शासनादेश में इस बिंदु के शामिल होने से पहाड़ के किसी भी प्रभावित को मुआवजा नहीं मिल रहा है. पहाड़वासियों के साथ सौतेला व्यवहार बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. बैठक में निर्णय लिया गया कि जब तक सरकार द्वारा शासनादेश में संशोधन कर कब्जाधारकों को मुआवजा नहीं दिया जाता, कोई भी व्यापारी और भवन स्वामी अपनी दुकान-या मकान खाली नहीं करेगा. वहीं जोर-जबरदस्ती करने पर इसका जबर्दस्त विरोध किया जाएगा.

रुद्रप्रयागः चारधाम परियोजना के अंतर्गत किये जा रहे राष्ट्रीय राजमार्ग चौड़ीकरण में प्रभावितों को मुआवजा न मिलने पर भारी रोष है. प्रभावितों ने चेतावनी दी है कि जब तक उनको भूमि-भवन का पूरा मुआवजा नहीं मिल जाता, तब तक मार्ग निर्माण का कार्य नहीं करने देंगे. प्रभावितों का आरोप है कि पिछले एक वर्ष से मुख्यमंत्री एवं विभिन्न स्तरों पर पत्राचार एवं वार्ता के बाद भी सरकार उनकी समस्याओं पर ध्यान नहीं दे रही है. इसलिए अब उनके सामने करो या मरो के अलावा कोई भी विकल्प नहीं बचा है.

चारधाम परियोजना संघर्ष समिति के अध्यक्ष मोहित डिमरी ने कहा कि प्रभावितों को मुआवजा देने, व्यापारियों के लिए मार्केटिंग काम्पलेक्स, सिरोबगड़ बाईपास पर तीसरे पुल को निरस्त करने और तिलवाड़ा बाजार में भी अन्य बाजारों की तरह 12 मीटर चौड़ीकरण की मांग को लेकर वे संघर्षरत हैं.

उन्होंने कहा कि प्रभावितों ने निर्णय लिया है कि यदि राष्ट्रीय राजमार्ग के इंजीनियरों द्वारा जबरदस्ती की गई और प्रशासन द्वारा इसमें हस्तक्षेप नहीं किया गया तो लोग सड़कों पर लेट जायेंगे और मशीनों को चलने नहीं देंगे. जन अधिकार मंच के संरक्षक रमेश पहाड़ी ने कहा कि चारधाम परियोजना संघर्ष समिति लंबे समय से प्रभावितों की लड़ाई लड़ रही है.

कई बार आंदोलन के बाद सरकार ने इस संबंध में शासनादेश भी जारी किया, लेकिन शासनादेश के बिंदु सात में इस बात का उल्लेख किया गया है कि केवल उन्हीं कब्जाधारियों को मुआवजा मिलेगा जिनकी अन्यत्र कहीं भी अचल सम्पत्ति जैसे दुकान और मकान नहीं होगी.

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शासनादेश में इस बिंदु के शामिल होने से पहाड़ के किसी भी प्रभावित को मुआवजा नहीं मिल रहा है. पहाड़वासियों के साथ सौतेला व्यवहार बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. बैठक में निर्णय लिया गया कि जब तक सरकार द्वारा शासनादेश में संशोधन कर कब्जाधारकों को मुआवजा नहीं दिया जाता, कोई भी व्यापारी और भवन स्वामी अपनी दुकान-या मकान खाली नहीं करेगा. वहीं जोर-जबरदस्ती करने पर इसका जबर्दस्त विरोध किया जाएगा.

Intro:मुआवजा नहीं मिला तो सड़कों पर लेट जायेंगे व्यापारी
चारधाम परियोजना संघर्ष समिति की बैठक में लिया गया निर्णय
रुद्रप्रयाग। चारधाम परियोजना के अंतर्गत किये जा रहे राजमार्ग चैड़ीकरण ने प्रभावितो को मुआवजा न मिलने पर भारी रोष व्यक्त किया गया तथा चेतावनी दी गई कि जब तक प्राभावितों को उनके भूमि-भवन का पूरा मुआवजा नहीं मिल जाता तब तक मार्ग निर्माण का कार्य नहीं करने दिया जाएगा। प्राभावितों का कहना था कि पिछले एक वर्ष से मुख्यमंत्री एवं विभिन्न स्तरों पर पत्राचार एवं वार्ता के बाद भी उत्तराखंड सरकार जनकी समस्याओं पर ध्यान नहीं दे रही है। इसलिये अब उनके सामने करो या मरो के अलावा कोई भी विकल्प नहीं बचा है। Body:चारधाम परियोजना संघर्ष समिति के अध्यक्ष मोहित डिमरी ने कहा कि संघर्ष समिति प्रभावितों को मुआवजा देने, व्यापारियों को लिए मार्केटिंग काम्पलेक्स, सिरोबगड़ बाईपास पर तीसरे पुल को निरस्त करने और तिलवाड़ा बाजार में भी अन्य बाजारों की तरह 12 मीटर चैड़ीकरण की मांग को लेकर संघर्षरत है। उन्होंने कहा कि प्रभावितों ने निर्णय लिया है कि यदि राष्ट्रीय राजमार्ग के इंजीनियरों द्वारा जोर जबर्दस्ती की गई और प्रशासन द्वारा इसमें हस्तक्षेप नहीं किया गया तो लोग सड़कों पर लेट जायेंगे और मशीनो को आगे नहीं बढ़ने देंगे।
जन अधिकार मंच के संरक्षक रमेश पहाड़ी ने कहा कि चारधाम परियोजना संघर्ष समिति लंबे समय से प्रभावितो की लड़ाई लड़ रही है। कई बार आंदोलन के बाद सरकार ने इस संबंध में शासनादेश भी जारी किया। लेकिन शासनादेश के बिंदु सात में इस बात का उल्लेख किया गया है कि केवल उन्हीं कब्जाधारियों को मुआवजा मिलेगा, जिनकी अन्यत्र कहीं भी अचल सम्पत्ति जैसे दुकान और मकान नहीं होगी। शासनादेश में इस बिंदु के शामिल होने से पहाड़ के किसी भी प्रभावित को मुआवजा नहीं मिल रहा है। पहाड़वासियों के साथ सौतेला व्यवहार बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
बैठक में निर्णय लिया गया कि जब तक सरकार द्वारा शासनादेश में संशोधन कर कब्जेधारकों को मुआवजा नहीं दिया जाता, कोई भी व्यापारी और भवन स्वामी अपनी दुकान-मकान खाली नहीं करेगा। जोर-जबर्दस्ती करने पर इसका जबर्दस्त विरोध किया जाएगा। प्रभावितों के मामलों को निस्तारित करने के लिए सप्ताह में एक दिन आर्बिट्रेटर का शिविर रुद्रप्रयाग मुख्यालय में आयोजित किया जाय। चारधाम परियोजना के चलते कई पट्टेधारी भी प्रभावित हो रहे हैं। लेकिन अभी तक उनकी अलग से सूची नहीं बनाई गई है। इनकी सूची जारी कर उन्हें मुआवजा दिया जाय। शासनादेश के अनुसार सरकारी भूमि पर वर्ष 1983 से पूर्व कब्जेधारियों को नियमित किया जाय।
फोटो: बैठक में विचार रखते संघर्ष समिति के अध्यक्ष मोहित डिमरी
Conclusion:
Last Updated : Nov 28, 2019, 6:20 PM IST
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