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रुद्रप्रयाग: परिंदों का अद्भुत संसार, संग्रहालय में 80 से अधिक पक्षियों को किया संरक्षित - पक्षी संग्रहालय रुद्रप्रयाग

उत्तराखंड पर्यटन विभाग की ओर से जिला मुख्यालय में राष्ट्रीय स्तर का पक्षी संग्रहालय (बर्ड म्यूजियम) हो गया है. इस म्यूजियम में लोगों को कई प्रकार के पक्षियों के अलग-अलग प्रजातियों की जानकारी मिलेगी. जो रुद्रप्रयाग नगर के आसपास के क्षेत्र में पाई जाती हैं.

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बर्ड म्यूजियम
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Published : Sep 20, 2020, 10:50 AM IST

Updated : Sep 20, 2020, 1:02 PM IST

रुद्रप्रयाग: उत्तराखंड के पक्षी प्रेमियों के लिए एक खुशखबरी है. उत्तराखंड पर्यटन विभाग की ओर से जिला मुख्यालय में राष्ट्रीय स्तर का पक्षी संग्रहालय (बर्ड म्यूजियम) तैयार हो गया है. इस म्यूजियम में लोगों को कई प्रकार के पक्षियों के अलग-अलग प्रजातियों की जानकारी मिलेगी. जो रुद्रप्रयाग नगर के आसपास के क्षेत्र में पाई जाती हैं. बता दें कि, रुद्रप्रयाग जनपद में ही तीन सौ से ज्यादा पक्षियों की प्रजातियां पाई जाती हैं, जिनकी जानकारी म्यूजियम के जरिये लोगों को मिल सकेगी.

पर्यटन विभाग की ओर से जिला मुख्यालय में 95 लाख की लागत से मेडिटेशन हाॅल और संग्रहालय बनाया गया है. जिससे केदारनाथ आने वाले श्रद्धालु और सैलानी योग की बारीकियां सीख सकें. लेकिन अब इस मेडिटेशन हाॅल में पर्यटन विभाग ने राष्ट्रीय स्तर का पक्षी संग्रहालय तैयार किया है. इस म्यूजियम में अभी तक 80 से अधिक पक्षी प्रजातियों को संरक्षित किया गया है, जो जिले के विभिन्न क्षेत्र में पाई जाती हैं. विभाग की इस अनूठी पहल से बर्ड वाचिंग के साथ ही पर्यटन को भी नया आयाम मिलने की उम्मीद जगी है. पक्षी संरक्षण के लिए कार्य कर रही अंतरराष्ट्रीय संस्था ने भी जिले को पक्षी प्रवास के लिए विशेष स्थान दिया है. यह पर्यटन विभाग का शुरुआती कदम है. जिसकी सराहना पक्षी प्रेमी भी कर रहे हैं.

संग्रहालय में 80 से अधिक पक्षियों को किया संरक्षित.

पढ़ें: विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस के 'किशोर' पर 'आप' डाल रही डोरे!

जिले का मिनी स्विट्जरलैंड चोपता भी बर्ड वाचिंग के लिए इंटरनेशल लेवल की जगह बन चुकी है. स्थानीय लोगों को जागरूक करने के उद्देश्य से म्यूजियम बनाया गया है. बता दें कि देश में 1,300 प्रजातियों की पक्षियां मिलती है. बर्ड बाचर की मानें तो इन प्रजातियों में तीन सौ प्रजातियां रुदप्रयाग में पाई जाती हैं. पर्यटन विभाग ने इन तीन सौ प्रजातियों में 80 प्रजातियों का कलेक्शन म्यूजियम में किया है. ये प्रजातियां चिरबटिया, तुंगनाथ, चोपता में पाई जाती हैं. जिला मुख्यालय के बीचों-बीच बहने वाले पुनाड़ गदेरे में एक पक्षी ऐसी देखी गई है, जो देश में बहुत कम पाई जाती है. म्यूजियम में पक्षियों के अलावा हिमालयन थार और जिले के चोपता में पाए जाने वाला बिना पूंछ वाले चूहा जिसे रूंडा कहा जाता है, की जानकारी भी पर्यटकों को मिलेगी.

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जिले में तीन हजार फीट से लेकर उच्च हिमालय में 11 से 12 हजार फीट ऊंचाई तक रुद्रप्रयाग के पुनाड़ गदेरा क्षेत्र से लेकर मक्कू, मस्तूरा, पलद्वाड़ी, काकड़ागाड़, चिरबटिया, चोपता से लेकर तुंगनाथ तक विभिन्न प्रजातियों की पक्षियां पाई जाती हैं. यहां रेड हेडेड बुलफिंच, डार्क बिस्टेड रोजफिंच, स्त्रकालेट फिंच, पिंक ब्रॉड रोज फिंच, स्पॉट फिंच, हिमालयन ग्रीन फिंच, चीर फीजेंट, माउंटेन हॉक इगल, स्टेपी इगल, नट कैकर, हिमालयन गिद्ध, यूरीशन ग्रीफॉन, यूरीशन जे, बर्फीला तीतर समेत तीन सौ से अधिक पक्षी प्रजातियां प्रवास करती हैं. ग्रीष्मकाल, चैमास और सर्दियों में पक्षियों की इन प्रजातियों में कई निचले इलाके में आते हुए मैदानी क्षेत्रों तक भी पहुंच जाती हैं. बीते वर्ष दिसंबर माह में रुद्रप्रयाग वन प्रभाग द्वारा बर्ड फेस्टिवल आयोजित किया गया था.

पढ़ें: रुद्रप्रयाग: नर कंकालों की खोजबीन में लगी नौ टीमें लौटी बैरंग

इस दौरान देश के विभिन्न क्षेत्रों से पहुंचे 11 पक्षी विशेषज्ञ और शोधार्थियों ने चिरबटिया, चैंड, रई खरक और रई झील के आसपास पक्षियों की चालीस नई प्रजातियों को चिन्हित किया था. पक्षी प्रेमी अशोक चौधरी और गौरव काला ने कहा कि पर्यटन विभाग की ओर से बनाया गया पक्षी संग्रहालय किसी मिसाल से कम नहीं है. यह रोजगार की दृष्टि से भी काफी महत्वपूर्ण है. उत्तराखंड में यह पहला पक्षी संग्रहालय है, जिसमें पक्षियों की जानकारी मिलेंगी. जिले में विभिन्न प्रकार के पक्षी हैं, जिनकी जानकारी हमें भी नहीं है. उन्होंने कहा कि जिले में बर्ड म्यूजियम से बर्ड वॉचिंग को बढ़ावा मिलने के साथ ही यहां मिलने वाली दुर्लभ प्रजातियों के संरक्षण में भी मदद मिलेगी. पर्यटन अधिकारी सुशील नौटियाल ने कहा कि पक्षी प्रेमी म्यूनियम को लेकर काफी खुश हैं. जिले में दुर्लभ प्रजाति के पक्षी रहते हैं. जानकारी के अभाव में लोगों को यह पता नहीं होता है कि यह पक्षी कौन सा है. इको टूरिज्म के जरिये पक्षियों को संरक्षित किया जा सकता है.

रुद्रप्रयाग: उत्तराखंड के पक्षी प्रेमियों के लिए एक खुशखबरी है. उत्तराखंड पर्यटन विभाग की ओर से जिला मुख्यालय में राष्ट्रीय स्तर का पक्षी संग्रहालय (बर्ड म्यूजियम) तैयार हो गया है. इस म्यूजियम में लोगों को कई प्रकार के पक्षियों के अलग-अलग प्रजातियों की जानकारी मिलेगी. जो रुद्रप्रयाग नगर के आसपास के क्षेत्र में पाई जाती हैं. बता दें कि, रुद्रप्रयाग जनपद में ही तीन सौ से ज्यादा पक्षियों की प्रजातियां पाई जाती हैं, जिनकी जानकारी म्यूजियम के जरिये लोगों को मिल सकेगी.

पर्यटन विभाग की ओर से जिला मुख्यालय में 95 लाख की लागत से मेडिटेशन हाॅल और संग्रहालय बनाया गया है. जिससे केदारनाथ आने वाले श्रद्धालु और सैलानी योग की बारीकियां सीख सकें. लेकिन अब इस मेडिटेशन हाॅल में पर्यटन विभाग ने राष्ट्रीय स्तर का पक्षी संग्रहालय तैयार किया है. इस म्यूजियम में अभी तक 80 से अधिक पक्षी प्रजातियों को संरक्षित किया गया है, जो जिले के विभिन्न क्षेत्र में पाई जाती हैं. विभाग की इस अनूठी पहल से बर्ड वाचिंग के साथ ही पर्यटन को भी नया आयाम मिलने की उम्मीद जगी है. पक्षी संरक्षण के लिए कार्य कर रही अंतरराष्ट्रीय संस्था ने भी जिले को पक्षी प्रवास के लिए विशेष स्थान दिया है. यह पर्यटन विभाग का शुरुआती कदम है. जिसकी सराहना पक्षी प्रेमी भी कर रहे हैं.

संग्रहालय में 80 से अधिक पक्षियों को किया संरक्षित.

पढ़ें: विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस के 'किशोर' पर 'आप' डाल रही डोरे!

जिले का मिनी स्विट्जरलैंड चोपता भी बर्ड वाचिंग के लिए इंटरनेशल लेवल की जगह बन चुकी है. स्थानीय लोगों को जागरूक करने के उद्देश्य से म्यूजियम बनाया गया है. बता दें कि देश में 1,300 प्रजातियों की पक्षियां मिलती है. बर्ड बाचर की मानें तो इन प्रजातियों में तीन सौ प्रजातियां रुदप्रयाग में पाई जाती हैं. पर्यटन विभाग ने इन तीन सौ प्रजातियों में 80 प्रजातियों का कलेक्शन म्यूजियम में किया है. ये प्रजातियां चिरबटिया, तुंगनाथ, चोपता में पाई जाती हैं. जिला मुख्यालय के बीचों-बीच बहने वाले पुनाड़ गदेरे में एक पक्षी ऐसी देखी गई है, जो देश में बहुत कम पाई जाती है. म्यूजियम में पक्षियों के अलावा हिमालयन थार और जिले के चोपता में पाए जाने वाला बिना पूंछ वाले चूहा जिसे रूंडा कहा जाता है, की जानकारी भी पर्यटकों को मिलेगी.

पढ़ें: विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस के 'किशोर' पर 'आप' डाल रही डोरे!

जिले में तीन हजार फीट से लेकर उच्च हिमालय में 11 से 12 हजार फीट ऊंचाई तक रुद्रप्रयाग के पुनाड़ गदेरा क्षेत्र से लेकर मक्कू, मस्तूरा, पलद्वाड़ी, काकड़ागाड़, चिरबटिया, चोपता से लेकर तुंगनाथ तक विभिन्न प्रजातियों की पक्षियां पाई जाती हैं. यहां रेड हेडेड बुलफिंच, डार्क बिस्टेड रोजफिंच, स्त्रकालेट फिंच, पिंक ब्रॉड रोज फिंच, स्पॉट फिंच, हिमालयन ग्रीन फिंच, चीर फीजेंट, माउंटेन हॉक इगल, स्टेपी इगल, नट कैकर, हिमालयन गिद्ध, यूरीशन ग्रीफॉन, यूरीशन जे, बर्फीला तीतर समेत तीन सौ से अधिक पक्षी प्रजातियां प्रवास करती हैं. ग्रीष्मकाल, चैमास और सर्दियों में पक्षियों की इन प्रजातियों में कई निचले इलाके में आते हुए मैदानी क्षेत्रों तक भी पहुंच जाती हैं. बीते वर्ष दिसंबर माह में रुद्रप्रयाग वन प्रभाग द्वारा बर्ड फेस्टिवल आयोजित किया गया था.

पढ़ें: रुद्रप्रयाग: नर कंकालों की खोजबीन में लगी नौ टीमें लौटी बैरंग

इस दौरान देश के विभिन्न क्षेत्रों से पहुंचे 11 पक्षी विशेषज्ञ और शोधार्थियों ने चिरबटिया, चैंड, रई खरक और रई झील के आसपास पक्षियों की चालीस नई प्रजातियों को चिन्हित किया था. पक्षी प्रेमी अशोक चौधरी और गौरव काला ने कहा कि पर्यटन विभाग की ओर से बनाया गया पक्षी संग्रहालय किसी मिसाल से कम नहीं है. यह रोजगार की दृष्टि से भी काफी महत्वपूर्ण है. उत्तराखंड में यह पहला पक्षी संग्रहालय है, जिसमें पक्षियों की जानकारी मिलेंगी. जिले में विभिन्न प्रकार के पक्षी हैं, जिनकी जानकारी हमें भी नहीं है. उन्होंने कहा कि जिले में बर्ड म्यूजियम से बर्ड वॉचिंग को बढ़ावा मिलने के साथ ही यहां मिलने वाली दुर्लभ प्रजातियों के संरक्षण में भी मदद मिलेगी. पर्यटन अधिकारी सुशील नौटियाल ने कहा कि पक्षी प्रेमी म्यूनियम को लेकर काफी खुश हैं. जिले में दुर्लभ प्रजाति के पक्षी रहते हैं. जानकारी के अभाव में लोगों को यह पता नहीं होता है कि यह पक्षी कौन सा है. इको टूरिज्म के जरिये पक्षियों को संरक्षित किया जा सकता है.

Last Updated : Sep 20, 2020, 1:02 PM IST
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