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सर्वे रिपोर्ट: कोरोना ने बच्चों की पढ़ाई का किया बहुत नुकसान, ये आंकड़े करेंगे परेशान

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Published : May 10, 2022, 12:01 PM IST

मार्च 2020 में जब कोरोना संक्रमण के कारण देश भर में लॉकडाउन (nationwide lockdown due to corona infection) लगा तो स्कूल भी बंद हो गए थे. पूरे दो साल तक स्कूल बंद ही रहे थे. इसका दुष्परिणाम अब दिख रहा है. अजीम प्रेमजी के फाउण्डेशन द्वारा कराए गए सर्वे के मुताबिक 33 प्रतिशत बच्चे अपनी कक्षा से एक कक्षा नीचे का दक्षता रखते हैं. वहीं 48 फीसदी बच्चे तो अपनी वर्तमान कक्षा से दो कक्षा नीचे की योग्यता रखते हैं. लर्लिंग लॉस को रीडिंग कैंपेन और मिशन कोशिश के तहत मापा गया है.

Rudraprayag Education Department News
रुद्रप्रयाग शिक्षा समाचार

रुद्रप्रयाग: कोरोना काल में बच्चों के पढ़ने-लिखने का बहुत व्यापक नुकसान हुआ है. लगभग दो वर्षों तक बच्चे अपने विद्यालयों और शिक्षकों के प्रत्यक्ष सम्पर्क से दूर रहे. सूबे में शिक्षा विभाग की मदद कर रहे अजीम प्रेमजी फाउण्डेशन ने देश के विभिन्न राज्यों में कोरोना काल में हुए बच्चों के लर्निंग लॉस को लेकर विभिन्न स्तरों पर सर्वे कराये हैं. सर्वे में यह बात सामने आई की 33 फीसदी से अधिक बच्चे अपनी कक्षा से नीचे की कक्षा का दक्षता स्तर रखते हैं. जबकि 48 प्रतिशत से अधिक बच्चे अपनी वर्तमान कक्षा से दो कक्षा नीचे की दक्षताओं का ज्ञान ही रखते हैं.
100 दिन का रीडिंग कैम्पेन: सरकार ने इस बात को गंभीरता से लेकर अजीम प्रेमजी के विषय विशेषज्ञों के साथ मिलकर 100 दिनों का एक प्लान रीडिंग कैम्पेन के नाम से बनाया था. लेकिन यह प्लान स्कूली आधारभूत सुविधाओं और शिक्षकों की भारी कमी के कारण पूरा नहीं हो पाया. अंततः सरकार द्वारा इस कार्यक्रम को जारी रखने का फैसला किया गया. मिशन कोशिश के साथ इस कार्यक्रम के क्रियान्वयन को लेकर एक दिवसीय रिकवरी ऑफ लर्निंग लॉस कार्यशाला अगस्त्यमुनि स्थित अजीम प्रेमजी फाउण्डेशन कार्यालय में आयोजित की गई.

लर्निंग लॉस का अध्ययन: कार्यशाला में अगस्त्यमुनि विकासखण्ड के चार संकुलों के 27 प्रधानाध्यापकों ने प्रतिभाग किया. कार्यशाला का संचालन करते हुए अजीम प्रेमजी रुद्रप्रयाग कार्यालय के साथी अनूप शुक्ला ने मिशन कोशिश और रीडिंग कैम्पन की विस्तृत जानकारी दी. डायट रतूड़ा के प्रवक्ता विजय चौधरी ने वर्तमान में शिक्षा विभाग द्वारा रिकवरी ऑफ लर्निंग लॉस पर किये जा रहे प्रयासों को रखा गया एवं शिक्षा साथियों के अनुभव को सुना गया. उन्होंने आनंदम कक्षाओं के साथ प्रधानाध्यापक की भूमिका को लेकर कहा कि वर्तमान में टीचिंग प्रोटोकॉल पर काम करने की आवश्यकता है.

अजीम प्रेमजी फाउंडेशन रुद्रप्रयाग के जिला प्रमुख दीपक रावत ने सर्वे के आंकड़ों को सामने रखते हुए बताया कि बच्चे किन कक्षाओं की दक्षतायें रखते हैं, इसका पता करने के लिए हमारे क्या टूल्स हैं. इसके लिए चर्चा प्रश्न भी रखे गए. पहला प्रश्न कि टूल को बनाने के पीछे क्या उद्देश्य होगा? दूसरा कि प्रश्नों की विविधता कैसी है और ये दक्षताओं से कैसे जुड़ते हैं? तीसरा प्रश्न यह था कि आप इस टूल के आधार पर बच्चों के स्तर का निर्धारण कैसे करेंगे?

ये भी पढ़ें: उत्तराखंड में एक हजार से अधिक स्कूलों के भवन जर्जर, मॉनसून में कैसे होगी पढ़ाई ?

इन पर समूह में चर्चा के उपरांत शिक्षकों को हिंदी, गणित व अंग्रेजी विषय का टूल व दिशा-निर्देश का एक प्रारूप उपलब्ध करवाया गया, जिसमें समूहों में चर्चा की गयी एवं सभी प्रतिभागियों के समक्ष समूह सदस्यों द्वारा उसका क्रमानुसार प्रस्तुतीकरण किया गया. नैदानिक आकलन बच्चों के स्तर निर्धारण व समूह निर्माण में कैसे मदद करेगा व आकलन के बाद कि क्या प्रक्रिया होगी व इन सभी प्रक्रियाओं का फॉलोअप कैसे होगा आदि बातों पर विस्तार चर्चा की गई. कार्यशाला में प्राथमिक शिक्षक संघ के जिला मंत्री दिनेश भट्ट, जूनियर हाई स्कूल सिल्ला की प्रधानाध्यापिका बीना रावत, मनोज दरमोड़ा, मोती लाल भट्ट सहित कई शिक्षकों ने विद्यालयी समस्याओं पर भी अपनी बात रखी.

रुद्रप्रयाग: कोरोना काल में बच्चों के पढ़ने-लिखने का बहुत व्यापक नुकसान हुआ है. लगभग दो वर्षों तक बच्चे अपने विद्यालयों और शिक्षकों के प्रत्यक्ष सम्पर्क से दूर रहे. सूबे में शिक्षा विभाग की मदद कर रहे अजीम प्रेमजी फाउण्डेशन ने देश के विभिन्न राज्यों में कोरोना काल में हुए बच्चों के लर्निंग लॉस को लेकर विभिन्न स्तरों पर सर्वे कराये हैं. सर्वे में यह बात सामने आई की 33 फीसदी से अधिक बच्चे अपनी कक्षा से नीचे की कक्षा का दक्षता स्तर रखते हैं. जबकि 48 प्रतिशत से अधिक बच्चे अपनी वर्तमान कक्षा से दो कक्षा नीचे की दक्षताओं का ज्ञान ही रखते हैं.
100 दिन का रीडिंग कैम्पेन: सरकार ने इस बात को गंभीरता से लेकर अजीम प्रेमजी के विषय विशेषज्ञों के साथ मिलकर 100 दिनों का एक प्लान रीडिंग कैम्पेन के नाम से बनाया था. लेकिन यह प्लान स्कूली आधारभूत सुविधाओं और शिक्षकों की भारी कमी के कारण पूरा नहीं हो पाया. अंततः सरकार द्वारा इस कार्यक्रम को जारी रखने का फैसला किया गया. मिशन कोशिश के साथ इस कार्यक्रम के क्रियान्वयन को लेकर एक दिवसीय रिकवरी ऑफ लर्निंग लॉस कार्यशाला अगस्त्यमुनि स्थित अजीम प्रेमजी फाउण्डेशन कार्यालय में आयोजित की गई.

लर्निंग लॉस का अध्ययन: कार्यशाला में अगस्त्यमुनि विकासखण्ड के चार संकुलों के 27 प्रधानाध्यापकों ने प्रतिभाग किया. कार्यशाला का संचालन करते हुए अजीम प्रेमजी रुद्रप्रयाग कार्यालय के साथी अनूप शुक्ला ने मिशन कोशिश और रीडिंग कैम्पन की विस्तृत जानकारी दी. डायट रतूड़ा के प्रवक्ता विजय चौधरी ने वर्तमान में शिक्षा विभाग द्वारा रिकवरी ऑफ लर्निंग लॉस पर किये जा रहे प्रयासों को रखा गया एवं शिक्षा साथियों के अनुभव को सुना गया. उन्होंने आनंदम कक्षाओं के साथ प्रधानाध्यापक की भूमिका को लेकर कहा कि वर्तमान में टीचिंग प्रोटोकॉल पर काम करने की आवश्यकता है.

अजीम प्रेमजी फाउंडेशन रुद्रप्रयाग के जिला प्रमुख दीपक रावत ने सर्वे के आंकड़ों को सामने रखते हुए बताया कि बच्चे किन कक्षाओं की दक्षतायें रखते हैं, इसका पता करने के लिए हमारे क्या टूल्स हैं. इसके लिए चर्चा प्रश्न भी रखे गए. पहला प्रश्न कि टूल को बनाने के पीछे क्या उद्देश्य होगा? दूसरा कि प्रश्नों की विविधता कैसी है और ये दक्षताओं से कैसे जुड़ते हैं? तीसरा प्रश्न यह था कि आप इस टूल के आधार पर बच्चों के स्तर का निर्धारण कैसे करेंगे?

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इन पर समूह में चर्चा के उपरांत शिक्षकों को हिंदी, गणित व अंग्रेजी विषय का टूल व दिशा-निर्देश का एक प्रारूप उपलब्ध करवाया गया, जिसमें समूहों में चर्चा की गयी एवं सभी प्रतिभागियों के समक्ष समूह सदस्यों द्वारा उसका क्रमानुसार प्रस्तुतीकरण किया गया. नैदानिक आकलन बच्चों के स्तर निर्धारण व समूह निर्माण में कैसे मदद करेगा व आकलन के बाद कि क्या प्रक्रिया होगी व इन सभी प्रक्रियाओं का फॉलोअप कैसे होगा आदि बातों पर विस्तार चर्चा की गई. कार्यशाला में प्राथमिक शिक्षक संघ के जिला मंत्री दिनेश भट्ट, जूनियर हाई स्कूल सिल्ला की प्रधानाध्यापिका बीना रावत, मनोज दरमोड़ा, मोती लाल भट्ट सहित कई शिक्षकों ने विद्यालयी समस्याओं पर भी अपनी बात रखी.

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