रुद्रप्रयाग: विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवाल ने गढ़वाल के चार दिवसीय भ्रमण करने के बाद रुद्रप्रयाग में पत्रकारों से वार्ता की. इस दौरान उन्होंने कहा कि देवभूमि के पग-पग में देवताओं का वास है. यहां आकर मन को असीम शांति मिलती है. शीतकाल में भी श्रद्धालुओं को इन तीर्थस्थलों में आना चाहिए और देवभूमि के मठ-मंदिरों के दर्शन करने चाहिए.
विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचन्द्र अग्रवाल ने कहा कि भ्रमण के दौरान तीर्थस्थलों के दर्शनों का सौभाग्य प्राप्त हुआ. इस दौरान जनसंवाद भी किया गया और कार्यकर्ताओं एवं जनप्रतिनिधियों से भी मुलाकात की गई. उनकी समस्याओं को सुना गया और निराकरण का भरोसा दिया गया है. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि रुद्रप्रयाग जिले में ऐसे कई मठ-मंदिर हैं, जिनकी पौराणिक मान्यता काफी प्रचलित है. वहीं प्रदेश की खुशहाली के लिए इन मठ-मंदिरों में जाकर कामना की गई.
विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि ग्रीष्मकालीन यात्रा के दौरान लाखों की संख्या में श्रद्धालु चारधामों में पहुंचते हैं, लेकिन शीतकालीन यात्रा के समय श्रद्धालुओं की संख्या ना के बराबर हो जाती है. ऐसे में स्थानीय लोगों का रोजगार ठप पड़ जाता है और उन्हें रोजगार के लिए फिर से चारधाम यात्रा के खुलने का इंतजार करना पड़ता है. उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का आभार जताते हुए कहा कि ऑलवेदर सड़क निर्माण से देश-विदेश से आने वाले तीर्थयात्रियों को चारधाम यात्रा में काफी राहत मिल रही है. ऐसे में श्रद्धालुओं में सरकार के प्रति अच्छा संदेश जा रहा है. उन्होंने कहा कि गढ़वाल दौरे का उनका यही मकसद था कि लोग शीतकाल में भी यात्रा करें. देवभूमि में कई ऐसे प्रसिद्ध तीर्थस्थल हैं, जहां पर आने से मनोकामना पूर्ण होती है.
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रुद्रप्रयाग में ओंकारेश्वर मंदिर, कालीमठ, त्रियुगीनारायण जैसे तीर्थस्थल हैं, जहां पर सालभर आया जा सकता है. इन धार्मिक स्थलों की महत्ता काफी प्रसिद्ध है. पहाड़ों में आने के बाद शक्ति और उर्जा मिलती है और देवी-देवताओं के दर्शन प्राप्त होते हैं.
वहीं, गैरसैंण राजधानी के मुद्दे पर विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि उत्तर प्रदेश से अलग होने के बाद उत्तराखंड राज्य का काफी विकास हुआ है. रावत सरकार ने जनभावनाओं की कद्र करते हुए गैरसैंण को ग्रीष्मकालीन राजधानी घोषित किया है. पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी को भी उत्तराखंड राज्य से बहुत प्यार था. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि राज्य को बने हुए बीस साल का समय हो चुका है और इतना लंबा समय बीत जाने के बाद त्रिवेंद्र सरकार ने गैरसैंण को ग्रीष्मकालीन राजधानी घोषित किया, जिससे पहाड़ का समुचित विकास होगा.